डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग (DCC) और कॉर्ड मिल्किंग में क्या अंतर है?
डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग एक नेचुरल प्रोसेस है। इस प्रोसेस में ब्लड अपने आप शिशु तक पहुंच जाता है। लेकिन, अगर शिशु तक ब्लड ठीक तरह से नहीं पहुंच पाता है और ऐसी स्थिति में डॉक्टर या नर्स ब्लड को पुश करते हैं, जिसे कॉर्ड मिल्किंग कहते हैं। कॉर्ड मिल्किंग आवश्यकता पड़ने पर की जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट इस प्रोसेस को सुरक्षित मानते हैं।
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क्या डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग प्लान की जा सकती है?
जिस तरह से आज कल सिजेरियन डिलिवरी प्लान की जाती है, ठीक वैसे ही डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग भी कपल प्लान कर सकते हैं। इसलिए इसके बारे आप अपने गायनोकोलॉजिस्ट से सलाह ले सकते हैं। रिसर्च के अनुसार बेबी डिलिवरी के दौरान अगर इमरजेंसी की भी स्थिति होती है, तो वैसे हालात में भी डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग की जा सकती है।
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क्या DCC की वजह से शिशु में जॉन्डिस का खतरा होता है?
नवजात शिशुओं में जॉन्डिस का खतरा ज्यादा होता है लेकिन, डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग की वजह से जॉन्डिस होने की संभावना नहीं हो सकती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार शिशु के जन्म के बाद गर्भनाल के बाहर आने का इंतजार करना चाहिए। डिलिवरी के दौरान हेल्थ एक्सपर्ट को कुछ मिनटों का इंतजार करना चाहिए। क्योंकि प्लसेंटा भी बाहर आ जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो सारी डिलिवरी एक जैसी नहीं होती है। नॉर्मल डिलिवरी की संभावना भी इमरजेंसी या सिजेरियन डिलिवरी में बदल जाती है। गर्भ में पल रहे शिशु का जन्म आसान नहीं होता है। इस दौरान हर एक चीज का ध्यान रखना आवश्यक होता है। डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग प्रीमैच्योर शिशु और सामान्य शिशु दोनों के लिए फायदेमंद माना जाता है।
नवजात के जन्म के बाद प्लासेंटा को खाने से जुड़ी भी कई जगह मिलती है लेकिन, इसका अभी तक कोई भी प्रमाण नहीं मिला है। इससे जुड़ी रिसर्च अभी भी जारी है। ये बात कितनी सही है या कितनी गलत है, इस बारे में बता पाना संभव नहीं है। दरअसल प्लासेंटा को खाने से इंफेक्शन की भी संभावना बढ़ा सकता है। इसलिए इस बारे में अपने हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लें।