हिप्नोबर्थिंग (Hypnobirthing) क्या है?
हिप्नोबर्थिंग शिशु के जन्म के दौरान या लेबर पेन दौरान नॉर्मल डिलिवरी से नवजात का जन्म हो सके उसकी एक विधि है। हिप्नोबर्थिंग में विजुअलाइजेशन, आराम और डीप ब्रीदिंग (गहरी सांस) टेक्निक की मदद से डिलिवरी नॉर्मल करवाई जाती है। हिप्नोबर्थिंग को कॉम्प्लिमेंट्री एंड ऑल्टर्नटिव मेडिसन (CAM) के नाम से भी जाना जाता है। हाल ही में टीवी एक्ट्रेस सारा अरफीन खान ने लंदन में हिप्नोबर्थिंग की सहायता से जुड़वा (ट्विन्स) बच्चों को जन्म दिया था।
हिप्नोबर्थिंग से शिशु का जन्म आसानी से हो सकता है?
हिप्नोबर्थिंग वैसी गर्भवती महिलाओं के लिए बेबी डिलिवरी टेक्निक है जो किस कारण लेबर पेन से डरती हैं। कई महिलायें लेबर पेन की वजह से सिजेरियन डिलिवरी का विकल्प चुनती हैं। यही नहीं हिप्नोबर्थिंग की सहायता से शिशु का जन्म अस्पताल के बजाय घर में भी किया जा सकता है। हालांकि यह इतना आसान नहीं इसलिए हिप्नोबर्थिंग से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए इससे जुड़े एक्सपर्ट से बात करें और इस प्रोसेस को समझें। दरअसल हिप्नोबर्थिंग एक तरह से सकारात्मक सोच के साथ बेबी डिलिवरी की जाती है।
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हिप्नोबर्थिंग एक्सपर्ट या क्लास नॉर्मल डिलिवरी के लिए है जरूरी?
हिप्नोबर्थिंग में विजुअलाइजेशन, आराम और डीप ब्रीदिंग टेक्निक सिर्फ एक दिन में नहीं सीखा जा सकता है। गर्भवती मां और उनके पार्टनर को भी हिप्नोबर्थिंग एक्सपर्ट से मिलना चाहिए। इस टेक्निक को समझने में एक सप्ताह से लेकर एक महीने का वक्त लग सकता है। एक्सपर्ट से समझने के बाद घर पर एक्सपर्ट प्रेक्टिकल करने की सलाह देते हैं।हिप्नोबर्थिंग क्लास में प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला का आहार कैसा हो, नॉर्मल डिलिवरी कैसे हो और किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ये भी जानकारी दी जाती है।
हिप्नोबर्थिंग के क्या हैं फायदे?
शिशु के जन्म के लिए हिप्नोबर्थिंग के निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं-
- यह नैचुरल पेन मैनेजमेंट टेक्निक है। इस टेक्निक की मदद से गर्भवती महिला को डिलिवरी के दौरान होने वाली परेशानी को दूर करने की सलाह दी जाती है
- प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला कंफर्टेबल और रिलैक्स महसूस करती हैं
- इससे बेबी डिलिवरी के दौरान परेशानी कम होती है
- डिलिवरी के दौरान होने वाले तनाव को कम करता है
- गर्भवती महिला एनर्जेटिक महसूस करती हैं और मूड भी अच्छा रहता है
- हिप्नोबर्थिंग की वजह से डिलिवरी के बाद होने वाले डिप्रेशन से भी बचने में आसानी होती है। कई महिलाएं डिलिवरी के बाद किसी न किसी कारण डिप्रेशन की शिकार हो जाती हैं। ऐसे में हिप्नोबर्थिंग की मदद से डिलिवरी होना महिला की लिए शारीरिक और मानसिक तौर दोनों ही तरह से लाभकारी होता है।
- डिलिवरी के दौरान आपके पार्टनर का भी पूरा-पूरा सहयोग मिलेगा।
- अगर आप पहली डिलिवरी के दौरान ज्यादा परेशानी अनुभव कर चुकी हैं, तो आपको हिप्नोबर्थिंग से अपनी दूसरी डिलिवरी प्लान करना चाहिए। यह काफी रिलैक्सिंग होगा।
- गर्भवती महिला अगर डिलिवरी की समस्या से परेशान हैं और एंग्जाइटी की परेशानी से पीड़ित हैं, तो हिप्नोबर्थिंग का तरीका जरूर अपनायें।
- गर्भवती महिलाओं को हिप्नोबर्थिंग के लिए प्रेक्टिस और समझने की जरूरत होती है। इसलिए आप हिप्नोबर्थिंग क्लास या सीडी के माध्यम से इस बारे में समझ सकते हैं। इस क्लास या सीडी में आपको लेबर पेन के दौरान अपने आपको मानसिक रूप से स्ट्रॉन्ग रखना चाहिए ये बेहतर तरीके से समझाने की कोशिश की जाती है।
- कई बार और हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार हिप्नोबर्थिंग की वजह से डिलिवरी के दौरान वक्त कम लगता है और शिशु का जन्म आसानी से हो जाता है।
हिप्नोबर्थिंग के ऊपर बताये गये शारीरिक लाभ तो मिलते हैं लेकिन, कभी-कभी गर्भवती महिला किसी गंभीर बीमारी की वजह से पहले से पीड़ित होती हैं तो ऐसे में उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है।
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हिप्नोबर्थिंग के लिए क्या-क्या हैं टिप्स?
- नकारात्मक स्वभाव और नकारात्मक विचार वाले व्यक्ति से दूर रहें। बेबी प्लानिंग, प्रेग्नेंसी के दौरान और डिलिवरी के दौरान भी तनाव में न रहें। गर्भावस्था एक ऐसा वक्त है जिसे आप अपने तरीके से सकारात्मक सोच के साथ बेहतर तरीके से रह सकते हैं। आप अपने इस अहसास को अपने फ्रेंड्स और फेमली के साथ शेयर कर सकती हैं।
- प्रेग्नेंसी के दौरान इससे जुड़ी जानकारी हासिल करें। प्रेग्नेंसी से दरें नहीं बल्कि कोशिश करें की आप इसे अपने तरीके से कैसे बेहतर और यादगार बना सकते हैं।
- योगा या एक्सरसाइज करें रोजाना करें। गर्भवस्था के पहले तीन महीने (फस्ट ट्राइमेस्टर), दूसरे तीन महीने (सेकेंड ट्राइमेस्टर) और अंत के तीन महीने (थर्ड ट्राइमेस्टर) अलग-अलग वर्कआउट किये जाते हैं। इन सभी एक्सरसाइज को फॉलो करें और हेल्दी रहें।
- अत्यधिक और बेकार की बातें न सोचें।
- पौष्टिक आहार का सेवन करें
- गर्भावस्था में सही पुजिशन में सोएं और अच्छी नींद लें
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हिप्नोबर्थिंग के क्या हैं साइड इफेक्ट?
हिप्नोबर्थिंग का सहारा लेने के बाद भी यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है कि शिशु का जन्म नॉर्मल ही हो। गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत पर भी निर्भर करता है की उसका जन्म नॉर्मल होना चाहिए या सिजेरियन डिलिवरी होनी चाहिए। हिप्नोबर्थिंग की मदद से गर्भवती महिला अपने आपको रिलैक्स रखने में सफल होती हैं।
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हिप्नोबर्थिंग से होने वाले लाभ के साथ-साथ इससे जुड़े मिथ भी हैं।
हिप्नोबर्थिंग से जुड़े मिथ निम्नलिखित हैं। जैसे-
- हिप्नोसिस से माइंड कंट्रोल या ब्रैनवॉश (brainwashing) किया जाता है।
- इससे अत्यधिक नींद आती है।
- हिप्नोटाइज की वजह से व्यक्ति किसी भी काम को करने में असमर्थ रहता है।
- आसपास हो रही गतिविधि की जानकारी नहीं होती है।
हिप्नोबर्थिंग से नॉर्मल डिलिवरी की उम्मीद ज्यादा होती लेकिन, अगर आप हिप्नोबर्थिंग से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है। गर्भावस्था के दौरान सकारात्मक सोच बनाये रखने से आप अपने शिशु के जन्म के दौरान बेहतर महसूस कर सकती हैं और आपकी यही पॉसिटिव सोच किसी अन्य गर्भवती महिला को भी नकारात्मक सोच को सकारात्मक सोच में बदलने में मददगार हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला अपने आपको पॉसिटिव रखेंगी लेकिन, इस दौरान उन्हें उनके लाइफ पार्टनर का सहयोग मिलना काफी लाभकारी होता है। इसलिए हस्बैंड के साथ-साथ परिवार के सदस्यों को भी कपल का साथ देना चाहिए। कोई भी दवा या उपाय तभी कारगर हो सकते हैं जब तक आप मानसिक रूप से खुश न रहें।
उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में हिप्नोबर्थिंग से जुड़ी अहम जानकारी दी गई है। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई प्रश्न है तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।
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