आजकल कई महिलाएं सिजेरियन डिलिवरी प्लान करने लगी हैं, लेकिन फिर भी ज्यादातर महिलाएं नॉर्मल डिलिवरी से ही अपने शिशु को जन्म देना चाहती हैं। नॉर्मल डिलिवरी के लिए महिलाएं कई प्रयास भी करती हैं। इन प्रयासों में शामिल है गर्भावस्था के दौरान की जाने वाली एक्सरसाइज, योग, प्रीनेटल क्लासेस आदि, लेकिन शायद आपको जानकर आश्चर्य हो कि नॉर्मल डिलिवरी के बाद भी कुछ परेशानियां होती हैं जिनमें एक है पेरेनियल टेर। इस परेशानी से बचने में मदद करती है पेरिनियल मालिश। इससे नॉर्मल डिलिवरी के दौरान होने वाले पेरिनियल टेर से बचा जा सकता है। साथ ही पेनेरियल मालिश लेबर के पेन को भी कम करने का कम करती है।
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पेरिनियल मालिश (Perineal massage) कैसे करें?
पेरेनियल मालिश से पेरिनेम को फ्लेक्सिबल करने की कोशिश की जाती है। अगर इसे सामान्य भाषा में समझें तो वजायना की मसाज की जाती है। पेरेनियल मालिश डिलिवरी डेट से 6 हफ्ते पहले शुरू करना चाहिए (प्रेग्नेंसी के आखिरी डेढ़ महीने में मसाज करें)। हालांकि गर्भवती महिला पेरेनियल मालिश उनसे ही करवाएं जिनके सामने वे कंफर्टेबल महसूस करें। मसाज के लिए लाइफ पार्टनर या एक्सपर्ट की मदद लें।
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पेरिनियल मालिश करने के लिए पहली जरूरी बात
पेरिनियल मालिश शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें। पेरिनियल मालिश के दौरान यह ध्यान रखें कि वजायना पर ज्यादा दबाव न पड़े।
पेरिनियल मालिश करने के दूसरी जरूरी बात
पेरिनियल मालिश से पहले कुछ देर तक या 10-15 मिनट के लिए हल्के गर्म पानी में बैठें। इससे वजायना की त्वचा सॉफ्ट होगी और मसाज करने में सहायता होगी और गर्भवती महिला को आसानी होगी।
पेरिनियल मालिश करने के लिए तीसरी जरूरी बात
अगर पेरिनियल मालिश आप ही करने जा रही हैं तो पहले अपने नाखूनों को काट लें। नाखून बड़े होने पर वजायना में चोट लगने की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए पेरिनियल मालिश से पहले अपने हाथ की सफाई और नाखून दोनों का ध्यान रखें। पेरिनियल मालिश करने से पहले हाथ को सेनेटाइज करना न भूलें।
पेरिनियल मालिश करने के लिए चौथी जरूरी बात
पेरिनियल मालिश के लिए लुब्रिकेंट या फिर विटामिन-ई, आलमंड ऑयल या ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करें। वैसे लुब्रिकेंट की तुलना में ऑयल मालिश के लिए बेहतर विकल्प है। इस बारे में डॉक्टर से भी सलाह ली जा सकती है।
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पेरिनियल मालिश (Perineal massage) करने का तरीका क्या है?
पेरेनियल मालिश करने के लिए वजायना (योनि) में दोनों अंगूठे (Thumbs) को वजायना के अंदर तकरीबन 1 से 2 इंच तक डालें। अब यू-शेप में वजायना की मसाज करें। ध्यान रखें पेरेनियल मालिश मसाज तेजी से न करें। पेरेनियल मालिश के दौरान गर्भवती महिला को आराम से सांस लेना चाहिए और वजायना को भी ढीला (आरामदायक पुजिशन) रखें। पेरेनियल मालिश सिर्फ एक दिन करने से फायदा नहीं मिलेगा। इसलिए इसे डॉक्टर के सलाह अनुसार नियमित करें। पेरेनियल मालिश के बाद योनि को हल्के गर्म पानी से अवश्य धोएं। लगातार कई दिनों तक पेरेनियल मालिश के बाद गर्भवती महिला वजायना की ओपनिंग ढीली होने लगती है।
गर्भवती महिला खुद पेरिनियल मालिश कैसे करें?
अमेरिकन प्रेग्नेंसी एसोसिएशन के अनुसार गर्भवती महिला निम्नलिखित तरह से अपने वजायना (पेरेनियल) की मालिश कर सकती हैं।
- प्रेग्नेंट लेडी पेरेनियल मालिश करने से पहले अपने हाथ की सफाई करें और नाखून भी काट लें।
- कंफर्टेबल पुजिशन में खड़े या बैठ कर पेरेनियल मालिश करें।
- अपने अंगूठों पर अच्छी तरह से ऑयल लगाकर पेरेनियल मालिश करें।
- महिला खुद से ढ़ाई से पांच मिनट तक पेरेनियल मालिश कर सकती है।
- पेरेनियल मालिश के दौरान अगर थकावट महसूस हो तो रुक जाएं।
पेरेनियल मालिश खुद से करने के दौरान या कोई और मसाज कर रहा हो तो शुरुआत में दर्द महसूस हो सकता है और शायद महिला खुद को सहज महसूस न करे, लेकिन सिर्फ 5 मिनट के नियमित पेरेनियल मालिश से बेबी डिलिवरी के दौरान लेबर पेन कम हो सकता है।
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अगर पहली प्रेग्नेंसी के दौरान स्कार हुआ है तो भी पेरेनियल मालिश की जा सकती है, लेकिन गर्भवती महिला वजायनल इंफेक्शन जैसे थ्रश या अत्यधिक डिस्चार्ज होने पर पेरेनियल मालिश से पहले एक्सपर्ट की सलाह लें। पेरेनियल मालिश से पेल्विस फ्लोर एक्सरसाइज भी हो जाती है और इससे एपीसीओटॉमी (Episiotomy) का खतरा भी कम हो सकता है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार पेरेनियल मालिश से सीरियस पेरेनियल टेर का खतरा कम हो सकता है और परेशानी थर्ड या फोर्थ डिग्री तक नहीं पहुंचती है। दरअसल पेरिनियल टेर अलग-अलग तरह के होते हैं।
पेरिनियल टेर चार तरह के होते हैं जिन्हें फोर डिग्री कहते हैं।
इनमें शामिल है-
1. फर्स्ट डिग्री
वजायना की स्किन टेर होना जो आसानी से ठीक हो जाती है उसे फर्स्ट डिग्री पेरिनियल टेर कहते हैं।
2. सेकेंड डिग्री
पेरिनियम मालिश और स्किन में परेशानी होने पर उसे सेकेंड डिग्री पेरिनियल टेर कहते हैं। पेरिनियल टेर की दूसरी डिग्री के इलाज के लिए स्टिच किया जाता है।
3. थर्ड और फोर्थ डिग्री
कुछ महिलाओं को थर्ड या फोर्थ डिग्री टेर की समस्या होती है जिसे ऑब्स्टेट्रिक एनल स्फिंक्टर इंजरी (obstetric anal sphincter injuries (OASI)) कहते हैं। इस परेशानी को ठीक करने के लिए छोटी सी सर्जरी की जाती है।
हाल ही में मां बनी कामिनी अग्रवाल मुंबई में एक प्राइवेट कंपनी में काम करती हैं। उनका कहना है कि, ‘महिलाएं इस दौर में भी खुलकर बात करने से कतराती हैं अगर बात सेक्स या प्राइवेट पार्ट से जुड़ी हो। कामिनी बात करते हुए कहती हैं कि उन्हें पेरिनियल मालिश से जुड़ी जानकारी ही नहीं थी। हालांकि अब वो इस बारे में समझ भी गई हैं और इससे क्या-क्या फायदा हो सकता है इसकी भी जानकारी मिल गई है। पेरिनियल मालिश के बारे में वे अपने दोस्तों को भी बता चुकी हैं। कामिनी के अनुसार नॉर्मल डिलिवरी में या डिलिवरी के वक्त परेशानी कम से कम हो इसके लिए महिलाएं कई तरीके अपनाती हैं। इसलिए ये तरीका भी जरूर अपनाना चाहिए।
पेरिनियल ट्रॉमा से बचने के लिए ऊपर बताई गई टिप्स फॉलो करें, लेकिन अगर आप पेरिनियल मालिश से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहती हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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