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फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होने के कारण, लक्षण और उपाय

फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होने के कारण, लक्षण और उपाय

फैलोपियन ट्यूब (Fallopian tube) को बच्चेदानी की नली के नाम से भी जाना जाता है। इसके ब्लॉक होने पर महिलाओं को गर्भधारण करने में परेशानी होती है। इसके ब्लॉक होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। महिलाओं का रिप्रोटक्टिव सिस्टम ओवरी, गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब (Fallopian tubes) से मिलकर बनता है। इन तीनों हिस्सों में कुछ भी प्रॉब्लम होने से महिलाओं को गर्भधारण करने में परेशानी होती है।

दोनों ओवरी फैलोपियन ट्यूब के जरिए गर्भाशय से जुड़ती हैं। फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होने पर एग पुरुष के स्पर्म के संपर्क में नहीं आ पाता और वह अनफर्टिलाइज्ड रह जाता है। हम आपको फैलोपियन ट्यूब के ब्लॉक होने के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में बताने जा रहे हैं।

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फैलोपियन ट्यूब के ब्लॉक होने के कारण (Cause of blockage of fallopian tubes)

फैलोपियन ट्यूब निम्न कारणों से ब्लॉक हो सकती है।

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (Pelvic inflammatory disease)

आमतौर पर पेल्विक इंफ्लमेटरी डिजीज का बैक्टीरिया एसटीडी (सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज) से संक्रमित पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाने से फैलता है। इन बैक्टीरिया से क्लाइमेडिया और गोनोरिया (gonorrhea) होता है। यह बैक्टीरिया वजायना से गर्भाशय ग्रीवा (गर्भाशय का निचला हिस्सा, जो वजायना की तरफ खुलता है) तक फैल जाते हैं।

इसकी वजह से यहां पर इंफेक्शन होता है। यह बैक्टीरिया गर्भाशय ग्रीवा में बने रह सकते हैं या ऊपर की तरफ फैल जाते हैं। इनकी वजह से पेल्विक इंफ्लमेटरी डिजीज होती है। पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के लक्षण मासिक धर्म के अंत में या इसके दौरान नजर आ सकते हैं।

ज्यादातर महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में हल्का से लेकर तेज दर्द का अहसास हो सकता है। इसका दूसरा लक्षण वजायना से होने वाली ब्लीडिंग में अनियमित्ता और डिस्चार्ज भी हो सकता है। जिन महिलाओं को पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज होती है, उन्हें एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने का खतरा छह से 19 गुना ज्यादा बढ़ जाता है। इस स्थिति में भ्रूण यूटरस के बजाय फैलोपियन ट्यूब में विकसित होता है। कई बार यह महिला के लिए जानलेवा हो सकती है।

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एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis)

फैलोपियन ट्यूब में एंड्रोमीट्रियम की परत बन जाने से फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो जाती है। इसके अलावा दूसरे अन्य अंगों के बाहर इसकी परत बनने से भी फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो सकती है। इसे अधीजन्स (adhesions) के नाम से जाना जाता है।

यौन रोग (STD)

एसटीई (सेक्स ट्रांसमिटेड इंफेक्शन) और एसटीडी (सेक्स ट्रांसमिटेड डिजीज) का संक्रमण बिना कंडोम के शारीरिक संबंध बनाने से होता है। यदि आप या आपका पार्टनर सेक्शुअली काफी एक्टिव हैं और आप उसके साथ बिना कंडोम के संबंध बनाती हैं तो यह संक्रमण आपको भी हो सकता है। इससे आपको क्लाइमेडिया और गोनोरिया संक्रमण हो सकता है। इससे पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज होती हैं। यह आपके फैलोपियन ट्यूब को ब्लॉक कर देती हैं।

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फाइब्रॉइड (fibroids) या (बच्चेदानी में या गांठ)

बच्चेदानी में गांठ होने पर फैलोपियन ट्यूब को ब्लॉक हो सकती है। गांठ का आकार बढ़ने से फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो जाती है। विशेषकर उस जगह पर जहां पर फैलोपियन ट्यूब गर्भाशय से जुड़ती है।

हालांकि, ज्यादातर गांठ छोटी होती हैं, जिनका कोई लक्षण नजर नहीं आता। बॉडी में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन का स्तर बढ़ने से बच्चेदानी की गांठ बढ़ जाती है। इन हार्मोन का स्तर नीचे गिरने पर यह गांठ सिकुड़ जाती है। यूटरस की लाइनिंग में गांठ होने से पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग या इसमें अनियमित्ता आ सकती है।

पीरियड्स के दिनों में बच्चेदानी में बड़ी गांठ होने की वजह से दर्द, दबाव या पेल्विक के हिस्से में भारीपन का अहसास हो सकता है। यह ब्लैडर पर दबाव डाल सकते हैं, जिससे बार-बार यूरिन पास करने जाना पड़ सकता है।

पेट की सर्जरी (Stomach surgery)

यदि कभी मिसकैरिज हुआ है तो ऐसी स्थिति में सर्जरी करानी पड़ती है। इससे बच्चेदानी में इंफेक्शन हो जाता है। यह इंफेक्शन धीरे-धीरे बच्चेदानी की ट्यूब्स में पहुंच जाता है, जिसकी वजह से यह फैलोपियन ट्यूब में इंफेक्शन पैदा कर देता है। इससे फैलोपियन ट्यूब में सूजन आने से वह ब्लॉक हो जाती है।

ब्लॉक फैलोपियन ट्यूब के लक्षण (Symptoms of Blocked Fallopian Tubes)

  • फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होने की वजह से इसके लक्षण के रूप में गर्भधारण करने में दिक्कत के अलावा कोई लक्षण नजर नहीं आता है।
  • कुछ महिलाओं में फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होने की वजह से उन्हें पेल्विक या पेट में दर्द का अहसास हो सकता है। संभवतः यद दर्द नियमित रूप से हो सकता है। यह दर्द उनके मासिक धर्म के आसपास की अवधि में हो सकता है।
  • कई बार फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक होने से फर्टिलाइज अंडा यूटरस के बाहर रह जाता है। इस स्थिति को एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के नाम से जाना जाता है। हालांकि, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी हमेशा इसका लक्षण नहीं हो सकती। आमतौर पर इसका पता स्कैन के जरिए लगाया जाता है।
  • वहीं, कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के लक्षणों का अहसास हो सकता है, जिसमें पेट दर्द या बॉडी के एक तरफ दर्द या वजायना से ब्लीडिंग भी हो सकती है। यदि किसी भी महिला को एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने का शक हो तो उसे तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
  • ब्लॉकेज की वजह से पेट में या एक तरफ हल्का और तेज दर्द होने का अहसास होता है। इसे हाइड्रोसालपिंक्स(hydrosalpinx) कहा जाता है। इस स्थिति में फैलोपियन ट्यूब में फ्लूड (पस) भर जाता है और ब्लॉक फैलोपियन ट्यूब बड़ी हो जाती है।

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ब्लॉक फैलोपियन ट्यूब का इलाज (Blocked fallopian tube treatment)

हिस्टेरोसलपिंगोग्राफी (Hysterosalpingography) या एचसीजी टेस्ट

यह एक प्रकार का एक्स-रे है। इसके माध्यम से रेडियोपेक कॉन्ट्रास (विशेष प्रकार की डाई) को इंजेक्शन के द्वारा बच्चेदानी में डाला जाता है। इससे गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब्स एकदम स्पष्ट दिखाई देती हैं।

एचसीजी टेस्ट मासिक धर्म खत्म होने के कुछ दिनों बाद किया जाता है। एचसीजी टेस्ट से फैलोपियन ट्यूब में किसी भी खराबी या सूजन का पता लगाया जा सकता है, जो ट्यूब्स को ब्लॉक कर रही होती हैं।

हालांकि, करीब 15% मामलों में एचसीजी टेस्ट ट्यूब्स के ब्लॉक होने का संकेत देता है। यहां तक कि टेस्ट के सामान्य आने की स्थिति में भी एचसीजी टेस्ट से युवा महिलाओं की फर्टिलिटी में थोड़ा सुधार होता है। इस टेस्ट में अस्थाई रूप से फैलोपियन ट्यूब खुल जाती है या उसमें जमी परत साफ हो जाती है।

सोनोहिस्टेरॉग्राफी (Sonohysterography)

सोनोहिस्टेरॉग्राफी का इस्तेमाल फैलोपियन ट्यूब में हुई समस्याओं और पेल्विक में अन्य दिक्कतों का पता लगाने के लिए किया जाता है। सोनोहिस्टेरॉग्राफी में एक सलाइन बच्चेदानी के जरिए यूटरस के आंतरिक हिस्से में डाली जाती है, जिससे इसका आंतरिक हिस्सा स्पष्ट दिखाई दे और विषमता का पता लगाया जा सके।

इस टेस्ट से आसानी से फैलोपियन ट्यूब की परेशानी का पता लगाया जा सकता है। यदि सलाइन फैलोपियन ट्यूब में आसानी से फ्लो हो जाता है तो ट्यूब्स ब्लॉक नहीं होती हैं।

यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एनेस्थेटिक की जरूरत नहीं पड़ती। यह एचसीजी से सुरक्षित मानी जाती है क्योंकि, इसमें रेडिएशन या कॉन्ट्रास्ट की आवश्यकता नहीं पड़ती। हालांकि, सोनोहिस्टेरॉग्राफी का अनुमान हमेशा सटीक नहीं होता है।

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लेप्रोस्कॉपी (Laparoscopy)

ट्यूब्स ब्लॉक या एंडोमेट्रियोसिस होने पर लेप्रोस्कॉपी की जा सकती है। इसमें नाभि के बिलकुल नीचे से एक छोटा सा लेप्रोस्कॉप पेल्विक केविटी में डाला जाता है।

आमतौर पर इस प्रक्रिया में एक सामान्य एनेस्थेटिक का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया से डॉक्टर सीधे ही यूटरस, फैलोपियन ट्यूब्स और ओवरी को देख सकते हैं। लेप्रोस्कॉप के जरिए एक इंस्टूमेंट डाला जाता है, जिससे पेल्विक के अंदर मौजूद ब्लॉक को साफ किया जाता है।

हिस्टेरोस्कॉपी (Hysteroscopy)

यूटरस के अंदर विषमता पाए जाने पर डॉक्टर इसकी जांच कर सकते हैं। यह जांच हिस्टरोस्कॉपी के जरिए होती है। यह एक प्रकार की ट्यूब होती है, जिसे वजायना और गर्भाशय ग्रीवा के जरिए यूटरस में डाला जाता है। यदि फैलोपियन ट्यूब में चिपकाव, झिल्ली या छोटी गांठ पाई जाती हो तो इस इंस्टूमेंट से इन्हें हटा दिया जाता है। इससे महिला के गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है।

यदि आप भी गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं, तो फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो सकती हैं। इस स्थिति में सबसे बेहतर होगा कि आप सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर के बताए दिशानिर्देशों पर ही अपना इलाज कराएं।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

27/09/2021

Sunil Kumar द्वारा लिखित

Updated by: Manjari Khare


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