शिशु के जन्म के समय सिर के बजाय पैर पहले बाहर आए तो ऐसी स्थिति को ब्रीच पुजिशन कहते हैं और शिशु को ब्रीच बेबी। ब्रीच बेबी को बोलचाल की भाषा में उल्टा बच्चा भी कहते हैं। हालांकि गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में बच्चे का पैर नीचे की ओर ही होता है लेकिन, धीरे-धीरे सिर नीचे की ओर आ जाता है। गर्भ में पल रहे शिशु का सिर प्रेग्नेंसी के 36वें से 37वें हफ्ते में नीचे की ओर आ जाता है। डिलिवरी के दौरान बच्चे का सिर ही पहले आना चाहिए। तकरीबन 100 बच्चों में 4 बच्चे ब्रीच होते हैं।
ब्रीच बेबी किन कारणों से हो सकते हैं? (Causes of breech baby)
निम्नलिखित कारणों से ब्रीच बेबी हो सकते हैं। इन कारणों में शामिल हैं।
- प्लासेंटा का नीचे को ओर होना (low lying placenta)
- पहली प्रेग्नेंसी
- मल्टिपल प्रेग्नेंसी जैसे ट्विन्स या ट्रिप्लेट्स
- गर्भ में पल रहे शिशु के आसपास अत्यधिक तरल पदार्थों का होना जिसे ओलिगोहाइड्रेमनियस (oligohydramnios) या पॉलीहाइड्रेमनियस (polyhydramnios) कहते हैं।
- प्रीमैच्योर बेबी
- यूट्रस का शेप ठीक नहीं होना
इन कारणों से गर्भ में पल रहा शिशु ब्रीच हो सकता है लेकिन, अभी तक इसका कोई ठोस कारण नहीं मिला है।
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ब्रीच बेबी की जानकारी मिलने पर क्या करें?
गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर के मीटिंग टाइम को कभी भी इग्नोर न करें और अपॉइंटमेंट की तारीख पर जरूर मिलें। अगर स्थिति गंभीर होती है तो डॉक्टर 2 से 3 सप्ताह में एक बार अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह दे सकते हैं। गर्भ में पल रहे शिशु की पुजिशन को गर्भ में रहते ही ठीक किया जा सकता है, जिसे एक्सटर्नल सेफेलिक वर्जन (external cephalic version) कहा जाता है। इसके अलावा डॉक्टर पहले से ही सिजेरियन डिलिवरी (C-section) की सलाह देते हैं।
एक्सटर्नल सेफेलिक वर्जन (external cephalic version) (ECV) क्या है?
एक्सटर्नल सेफेलिक वर्जन प्रॉसेस गर्भावस्था के 36वें हफ्ते में और लेबर पेन के पहले की जा सकती है। इसमें गर्भ में पल रहे शिशु की पुजिशन को गर्भ में ही ठीक किया जाता है। डॉक्टर अपने हाथ से पुजिशन ठीक करने का प्रयास करता है। यह प्रक्रिया उन महिलाओं में ज्यादा सफल होती है जो दूसरी बार मां बनी हो। यह प्रॉसेस 50 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में सक्सेसफुल होती है। ECV के बाद सिजेरियन डिलिवरी की संभावना कम हो जाती है।
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सिजेरियन डिलिवरी (C-section) क्या है?
जब शिशु का जन्म किसी कारण वजायना से न होकर सर्जरी की मदद से एब्डोमेन से करवाया जाता है, तो उसे सिजेरियन डिलिवरी कहते हैं। आजकल कपल्स सिजेरियन डिलिवरी पहले से प्लान भी करते हैं।
एक्सटर्नल सेफेलिक वर्जन और सिजेरियन डिलिवरी के अलावा ब्रीच बेबी की पुजिशन को ठीक करने के तरीके उपलब्ध हैं। इनमें शामिल हैं।
1. फॉरवर्ड-लीनिंग इनवर्जन
2. एक्यूपंक्चर और मोक्सीबस्टन
3. स्विमिंग
4. पेल्विस टिल्ट
5. कायरोपेटिक (Chiropractics)
1. फॉरवर्ड-लीनिंग इनवर्जन (Forward-Leaning Inversion)
फॉरवर्ड-लीनिंग इनवर्जन (Forward-leaning inversion) के लिए बेड या सोफे पर घुटने की मदद झुक जाएं। ऐसा करने से पेल्विस मसल्स को आराम मिलेगा और ग्रेविटी के कारण यूट्रस का पुजिशन भी ठीक रहेगी। हालांकि इसे करने से पहले अपने साथ किसी एक्सपर्ट को रखें या परिवार के सदस्य को अपने पास मदद के लिए जरूर रखें। इसे 30 सेकेंड से ज्यादा देर तक न करें और एक दिन में सिर्फ एक बार ही करें।
2. एक्यूपंक्चर और मोक्सीबस्टन (Acupuncture and Moxibustion)
एक्यूपंक्चर और मोक्सीबस्टन (Acupuncture and moxibustion) चायनीज तरीका है। इसमें चाइनीज मेडिसिन और एक्यूपंचर की मदद से ब्रीच पुजिशन को ठीक किया जाता है। इसे एक्सपर्ट ही कर सकते हैं, किसी अन्य या अनुभवहीन से यह करवाना समस्या पैदा कर सकता है और आपको गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इसलिए, बिल्कुल सतर्क रहें।
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3. स्विमिंग (Swimming)
स्विमिंग से ब्रीच बेबी के पुजिशन ठीक करने का कोई प्रमाण तो नहीं है लेकिन, ये गर्भवती महिला के लिए काफी आरामदायक होता है। स्विमिंग मां और शिशु दोनों के लिए लाभदायक होती है। आजकल बेबी की डिलिवरी वॉटर बर्थ की मदद से भी करवाई जाती है। लेकिन, गर्भावस्था में स्विमिंग या कोई भी एक्सरसाइज करते हुए एक्सपर्ट की सलाह लेना न भूलें, क्योंकि इसमें जरा-सी गलती आपके और आपके बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है। जिससे डिलिवरी के समय आपको गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।
4. पेल्विस टिल्ट (Pelvis Tilt)
पेल्विस टिल्ट आसानी से प्रेग्नेंसी में किया जा सकता है। इसके लिए फ्लोर पर घुटने और हाथों के पंजों की सहायता से अपनी पुजिशन ले लें और अपने हिप्स को ऊपर की ओर उठाएं। ऐसा एक दिन में 20 मिनट तक किया जा सकता है। इससे डिलिवरी में आसानी होती है, लेकिन ब्रीच बेबी के पुजिशन में बदलाव आएगा या नहीं यह निश्चित नहीं है।
5. कायरोपेटिक (Chiropractics)
कायरोपेटिक (Chiropractics) एक टेक्निक है जिसे एक्सपर्ट्स से समझना बेहतर होगा। इसमें गर्भवती के पेल्विस और स्पाइन को बैलेंस किया जाता है। जिससे बच्चे की पुजिशन ठीक करने में मदद मिलती है।
ऊपर बताई गई टेक्निक्स अपनाने के पहले अपने हेल्थ एक्सपर्ट्स से जरूर सलाह लें।
बेबी ब्रीच होने की स्थिति में कैसे रखें ख्याल? (Breech baby care)
ब्रीच बेबी या प्रेग्नेंसी की किसी भी स्टेज में खुद का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। इसलिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें।
- नियमित वॉक पर जाएं सिर्फ वॉकिंग के दौरान ध्यान से चलें। बेबी बंप की वजह से नीचे देख पाना आसान नहीं होता है
- प्रेग्नेंसी में की जाने वाली एक्सरसाइज करें लेकिन, एक्सरसाइज करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें और वर्कआउट करने के दौरान फिटनेस एक्सपर्ट की मौजूदगी में एक्सरसाइज करें।
- पौष्टिक आहार का रोजाना सेवन करें
- शरीर को सुस्त पड़ने न दें। फिजिकली एक्टिव रहें
- प्रेग्नेंसी के दौरान अच्छी नींद लें
- प्रेग्नेंसी के दौरान दो से तीन लीटर पानी का सेवन करें
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ब्रीच बेबी से होने वाली परेशानी क्या है?
ब्रीच बेबी की वजह से निम्नलिखित परेशानी हो सकती है। जैसे:-
- बच्चे की पुजिशन बदल जाती है।
- प्लेसेंटा से ब्लीडिंग हो सकती है।
इन दो परेशानियों के अलावा अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रीच बेबी की जानकारी मिलती है, तो तुरंत अपने हेल्थ एक्सपर्ट के संपर्क करें।
अगर आप ब्रीच बेबी से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। क्योंकि, यह शिशु और मां की जिंदगी से संबंध रखता है। इसलिए डॉक्टर से सलाह-मशविरा करना बेहतर विकल्प है, वह आपकी शारीरिक क्षमताओं व कमजोरियों को ध्यान में रखकर आपको इसके सही उपाय के बारे में उचित सलाह देता है।
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