नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे के अनुसार भारत में नॉर्मल डिलिवरी की तुलना में सी-सेक्शन (Caesarean delivery) डिलिवरी ज्यादा होती है। साल 2005-06 की तुलना में साल 2015-16 में 18.5 प्रतिशत डिलिवरी सिजेरियन हुई थी। आज भी सिजेरियन डिलिवरी को लेकर लोगों के मन कई सारे सवाल रहते हैं। वे कई सारे मिथकों पर भी भरोसा करते हैं। आज ऐसे मिथ और सी-सेक्शन के फैक्ट्स से जुड़े कुछ बातों को हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे लेकिन, सबसे पहले समझने की कोशिश करते हैं की क्या है सी-सेक्शन?
सी-सेक्शन (C-section) को सिजेरियन डिलीवरी भी कहते हैं। दरअसल सी-सेक्शन के वक्त गर्भवती महिला के पेट और गर्भाशय को काट कर शिशु को बाहर निकाला जाता है। वहीं वजायनल डिलिवरी में कोई स्टीच या टांके नहीं दी जाती है। कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भावस्था में किसी तरह की समस्या हो रही है या इससे पहले बच्चे के जन्म के दौरान सी-सेक्शन हो चुका है या आप सामान्य प्रसव यानी योनि के माध्यम से बच्चे का जन्म नहीं करना चाहती हैं, तो समय से पहले ही सी-सेक्शन या सिजेरियन डिलीवरी की योजना बना सकती हैं। हालांकि, पहली बार सी-सेक्शन की आवश्यकता तब तक साफ नहीं होती है जब तक कि लेबर पेन नहीं होता है।
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सी-सेक्शन के फैक्ट्स समझने से पहले जानते हैं किन परिस्थितियों में सी-सेक्शन की जरूरत क्यों पड़ती है?
सिजेरियन डिलिवरी की जरुरत निम्नलिखित परिस्थितियों में पड़ सकती हैं। जैसे-
- बच्चे का सिर सामान्य से ज्यादा बड़ा होना। नवजात का सिर बड़ा होने के कारण भी नॉर्मल डिलिवरी में परेशानी होती है
- ब्रीच बेबी, यह एक पुजिशन है जिसमे शिशु का पैर पहले बाहर आता है। ऐसी स्थिति में भी सिजेरियन डिलिवरी करनी पड़ती है
- गर्भावस्था के शुरुआत से ही गर्भवती महिला को परेशानी महसूस होना
- गर्भवती महिला अगर हाई ब्लड प्रेशर या हार्ट डिजीज से पीड़ित हैं तो सिजेरियन डिलिवरी से शिशु का जन्म करवाया जाता है। सी-सेक्शन के फैक्ट्स भी कहा जा सकता है।
- गर्भवती महिला को वजायना से संबंधित परेशानी होना जैसे इंफेक्शन आदि की समस्या होने पर सिजेरियन डिलिवरी से शिशु का जन्म करवाया जाता है।
- पहले शिशु का जन्म अगर सिजेरियन डिलिवरी से हो चुका है तो प्रायः दूसरे शिशु का जन्म भी सिजेरियन ही हो सकता है। वैसे यह गर्भवती महिला के हेल्थ पर भी निर्भर करता है।
- गर्भ में पल रहे शिशु और मां से जुड़े प्लेसेंटा एब्स्ट्रक्शन या प्लेसेंटा प्रीविया की स्थिति होने पर सिजेरियन डिलिवरी की जरूरत पड़ती है। अगर इसे सामान्य भाषा में समझा जाये तो प्लेसेंटा आपस में उलझ जाते हैं।
- गर्भनाल से जुड़ी परेशानी होने पर भी सी-सेक्शन की जाती है।
- गर्भ में पल रहे शिशु तक अगर ऑक्सिजन ठीक तरह से नहीं पहुंच पाता है, तो ऐसे में डॉक्टर सी-सेक्शन से शिशु का जन्म करवाते हैं।
इन ऊपर बताई गई परिस्थितियों के साथ-साथ गर्भवती महिला के स्वास्थय को देखते हुए सिजेरियन डिलिवरी की आवश्यकता पड़ सकती है।
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सी-सेक्शन के फैक्ट्स और मिथ:
सी-सेक्शन मिथ 1- सिजेरियन डिलिवरी नॉर्मल सर्जरी है।
सी-सेक्शन के फैक्ट्स- इन दिनों सी-सेक्शन से डिलिवरी सामान्य है। कई कपल्स सिजेरियन डिलिवरी प्लान करते हैं, लेकिन यह एक नॉर्मल नहीं मेजर सर्जरी है। जिसको हील होने में कम से कम दो महीने का समय लग जाता है।
सी-सेक्शन मिथ 2- सी-सेक्शन के बाद नॉर्मल डिलिवरी संभव नहीं है
सी-सेक्शन के फैक्ट्स- ज्यादातर लोगों को ऐसा लगता है कि सिजेरियन डिलिवरी के बाद नॉर्मल डिलिवरी नहीं हो सकती है लेकिन, ऐसा नहीं है। नेशल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार सिजेरियन डिलिवरी के बाद 50 प्रतिशत संभावना नॉर्मल डिलिवरी की होती है।
सी-सेक्शन मिथ 3- सी-सेक्शन के बाद स्तनपान नहीं करवाना चाहिए।
सी-सेक्शन के फैक्ट्स- डिलिवरी नॉर्मल हो या सिजेरियन इससे शिशु को स्तनपान करवाने पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता है। दरअसल सी-सेक्शन के बाद स्तनपान करवाने से मां और शिशु दोनों को नुकसान नहीं पहुंचता है। सिर्फ ब्रेस्टफीडिंग करवाते महिला को सतर्कता बरतने की जरूरत होती है।
सी-सेक्शन मिथ 4- शिशु को जन्म देने के लिए नॉर्मल डिलिवरी ही है बेहतर विकल्प है।
सी-सेक्शन की जानकारी- डिलिवरी कैसी होगी? यह गर्भवती महिला की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि नॉर्मल डिलिवरी ही बेहतर विकल्प है। वैसे नॉर्मल डिलिवरी, सिजेरियन डिलिवरी के साथ-साथ वॉटर बर्थ से भी शिशु का जन्म करवाया जाता है।
सी-सेक्शन मिथ 5- सी-सेक्शन के बाद वजायनल ब्लीडिंग नहीं होती है।
सी-सेक्शन के फैक्ट्स- डिलिवरी नॉर्मल हो या सिजेरियन दोनों ही स्टेज में वजायनल ब्लीडिंग होती है, लेकिन यह स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से बात करें।
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सी-सेक्शन मिथ 6- सिजेरियन डिलिवरी के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन नहीं होता है।
सी-सेक्शन की जानकारी- सिजेरियन डिलिवरी के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन न हो ऐसा कम होता है क्योंकि नई मां पर एक अच्छी मां बनने का दवाब होता है और वो खुद भी एक बेहतर मां बनने की कोशिश में लगी रहती हैं। ऐसे में पोस्टपार्टम डिप्रेशन होना लाजमी है।
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सी-सेक्शन मिथ 7- सी-सेक्शन के बाद बच्चे से थोड़ी दूरी बनाकर रखना चाहिए।
सी-सेक्शन के फैक्ट्स- ऐसी धारणा है कि सी-सेक्शन बाद महिला अपने शिशु को अपने पास खासकर ब्रेस्ट के पास नहीं रख सकती हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि डिलिवरी के बाद शिशु से दूरी बनाने की जरूरत है। डिलिवरी के बाद डॉक्टर नवजात को सबसे पहले मां के चेस्ट और ब्रेस्ट के पास रखते हैं। सिजेरियन डिलिवरी के बाद सिर्फ थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत होती है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से बात करें।
सी-सेक्शन मिथ 8- सी-सेक्शन के बाद शारीरिक मूवमेंट संभव नहीं होता है?
सी-सेक्शन के फैक्ट्स- ऐसा कहा जाता है कि सिजेरियन डिलिवरी के बाद शारीरिक मूवमेंट नहीं किया जा सकता यह गलत है। किसी भी सर्जरी के बाद डॉक्टर पेशेंट को सलाह देते हैं कि उन्हें मूवमेंट करना है। यह तेजी से स्वस्थ्य होने में मददगार होता है। जब तक डॉक्टर कंप्लीट बेड रेस्ट की सलाह न दें तब तक ऐसा नहीं करना चाहिए।
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उम्मीद है कि इस आर्टिकल को पढ़कर आपको सी- सेक्शन से जुड़े मिथकों की जानकारी मिल गई होगी। अगर आप सिजेरियन डिलिवरी प्लान कर रहीं हैं, तो ऐसे में आहार के साथ-साथ अन्य जानकारी के लिए इस लिंक (प्रेग्नेंसी) पर क्लिक करें। अगर आप सिजेरियन डिलीवरी या सी- सेक्शन के फैक्ट्स से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। बिना सलाह के किसी भी तरह की दवा का सेवन न करें। अगर आपको किसी भी बात को लेकर दिक्कत हो रही है तो बेहतर होगा कि आप सी सेक्शन से जुड़े मिथक पर ध्यान न दें और जानकारी के लिए एक्सपर्ट से राय लें।
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