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डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग से शिशु को होने वाले लाभ क्या हैं?

डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग से शिशु को होने वाले लाभ क्या हैं?

प्लासेंटा या गर्भनाल शिशु को मां से संपूर्ण पोषण प्राप्त करने में अहम भूमिका निभाता है। शिशु के जन्म के बाद गर्भनाल को काट दिया जाता है। बेबी डिलिवरी के बाद गर्भनाल को काटने की प्रक्रिया सदियों से चली आ रही है लेकिन, रिसर्च के अनुसार अम्बिलिकल कॉर्ड को शिशु के जन्म के बाद तुरंत काटना नहीं चाहिए, क्योंकि मां के गर्भ से अलग होने के बावजूद अम्बिलिकल कॉर्ड में मौजूद पोषण नवजात शिशु के लिए लाभकारी होता है। इसलिए अम्बिलिकल कॉर्ड को देर से काटने की सलाह दी जाती है, जिसे डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग (Delayed cord clamping (DCC)) कहते हैं।

डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग क्या है?

नवजात शिशु के जन्म के 10 से 15 सेकेण्ड के बाद अम्बिलिकल कॉर्ड काट दी जाती है जिसे कॉर्ड क्लैपिंग कहते हैं। लेकिन, शिशु के जन्म के बाद एक से तीन मिनट के बाद अम्बिलिकल कॉर्ड को काटने के प्रोसेस को डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग कहते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट और रिसर्च के अनुसार डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग बच्चे की सेहत के लिए लाभकारी होता है। क्योंकि इससे खून की और एनिमिया जैसे खतरे से शिशु को दूर रखा जा सकता है।

भारत सरकार के नेशनल हेल्थ मिशन की ओर हाल ही में एक एडवाइजरी जारी की गई जिसके अनुसार गर्भनाल क्लैपिंग (कॉर्ड क्लैंपिंग) से जुड़ी सलाह दी गई है। इस एडवाइजरी में यह भी लिखा गया है की जिस तरह से शिशु के लिए स्तनपान आवश्यक है, ठीक इसी तरह से अम्बिलिकल कॉर्ड भी बच्चे को पोषण प्रदान करते हैं।

वहीं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) का भी यही मानना है की शिशु के जन्म के एक मिनट बाद ही गर्भनाल को काटना चाहिए। अगर कोई कॉम्प्लिकेशन न हो तो।

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डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग के क्या फायदे हैं?

डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग के निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं। जैसे-

  • जिन बच्चों में डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग की जाती है, उन बच्चों में RBC (रेड ब्लड सेल्स) लेवल बढ़ जाती है।
  • डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग होने पर शिशु में एनीमिया का खतरा कम होता है।
  • शिशु की सेहत अच्छी रहती है।
  • डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग से प्लेसेंटल ट्रांसफ्यूजन (placental transfusion) में बढ़त, RBC का 60 प्रतिशत तक बढ़ना और नवजात शिशु में ब्लड लेवल भी 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
  • डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग स्टेम सेल्स के लेवल को बढ़ाता है, जो शिशु के विकास में मदद करती है और उनकी इम्यूनिटी पावर बढ़ती है।
  • शिशुओं में न्यूरोडेवलपमेंट बेहतर होता है।

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शिशु के जन्म के बाद तुरंत गर्भनाल काटने से होने वाले नुकसान क्या हैं?

नवजात के जन्म के बाद अगर तुरंत गर्भनाल काट दी जाती है, तो बच्चे को निम्नलिखित परेशानी हो सकती है। जैसे-

  • चार महीने के शिशु को भी एनीमिया की समस्या हो सकती है
  • बच्चे का विकास ठीक से न होना
  • सोचने-समझने की शक्ति भी कम हो सकती है

वैसे हेल्थ की माने तो अगर शिशु की सेहत से जुड़ी कोई कॉम्प्लिकेशन है, तो ऐसी स्थिति में गर्भनाल शिशु के जन्म के बाद तुरंत काटना पड़ता है।

किन परिस्थितियों में डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग नहीं की जाती है?

डिलिवरी के दौरान हेल्थ एक्सपर्ट गर्भवती महिला और जन्म लेने वाले शिशु दोनों की सेहत का ध्यान काफी बारीकी से रखते हैं। इसलिए निम्नलिखित परिस्थिति होने पर डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग का इंतजार नहीं किया जा सकता है। जैसे-

  1. अगर मां को अत्यधिक ब्लीडिंग हो रहा हो
  2. प्लासेंटा से जुड़ी परेशानी जैसे प्लेसेंटल अब्रप्शन, प्लेसेंटा प्रीविया, वासा प्रिविया या कॉर्ड से ब्लीडिंग होना। ऐसी स्थिति शिशु के लिए हानिकारक हो सकती है। क्योंकि ऐसे में ब्लड शिशु तक ठीक तरह से नहीं पहुंच पाता है

डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग (DCC) और कॉर्ड मिल्किंग में क्या अंतर है?

डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग एक नेचुरल प्रोसेस है। इस प्रोसेस में ब्लड अपने आप शिशु तक पहुंच जाता है। लेकिन, अगर शिशु तक ब्लड ठीक तरह से नहीं पहुंच पाता है और ऐसी स्थिति में डॉक्टर या नर्स ब्लड को पुश करते हैं, जिसे कॉर्ड मिल्किंग कहते हैं। कॉर्ड मिल्किंग आवश्यकता पड़ने पर की जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट इस प्रोसेस को सुरक्षित मानते हैं।

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क्या डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग प्लान की जा सकती है?

जिस तरह से आज कल सिजेरियन डिलिवरी प्लान की जाती है, ठीक वैसे ही डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग भी कपल प्लान कर सकते हैं। इसलिए इसके बारे आप अपने गायनोकोलॉजिस्ट से सलाह ले सकते हैं। रिसर्च के अनुसार बेबी डिलिवरी के दौरान अगर इमरजेंसी की भी स्थिति होती है, तो वैसे हालात में भी डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग की जा सकती है।

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क्या DCC की वजह से शिशु में जॉन्डिस का खतरा होता है?

नवजात शिशुओं में जॉन्डिस का खतरा ज्यादा होता है लेकिन, डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग की वजह से जॉन्डिस होने की संभावना नहीं हो सकती है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार शिशु के जन्म के बाद गर्भनाल के बाहर आने का इंतजार करना चाहिए। डिलिवरी के दौरान हेल्थ एक्सपर्ट को कुछ मिनटों का इंतजार करना चाहिए। क्योंकि प्लसेंटा भी बाहर आ जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो सारी डिलिवरी एक जैसी नहीं होती है। नॉर्मल डिलिवरी की संभावना भी इमरजेंसी या सिजेरियन डिलिवरी में बदल जाती है। गर्भ में पल रहे शिशु का जन्म आसान नहीं होता है। इस दौरान हर एक चीज का ध्यान रखना आवश्यक होता है। डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग प्रीमैच्योर शिशु और सामान्य शिशु दोनों के लिए फायदेमंद माना जाता है।

नवजात के जन्म के बाद प्लासेंटा को खाने से जुड़ी भी कई जगह मिलती है लेकिन, इसका अभी तक कोई भी प्रमाण नहीं मिला है। इससे जुड़ी रिसर्च अभी भी जारी है। ये बात कितनी सही है या कितनी गलत है, इस बारे में बता पाना संभव नहीं है। दरअसल प्लासेंटा को खाने से इंफेक्शन की भी संभावना बढ़ा सकता है। इसलिए इस बारे में अपने हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लें।

डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग महज कुछ मिनटों के लिए की जाती है लेकिन, किसी भी गर्भवती महिला को हेल्दी प्रेग्नेंसी मेंटेन करने के लिए हेल्दी डायट का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसलिए प्रेग्नेंसी में पौष्टिक आहार का ध्यान रखने के साथ-साथ पानी का सेवन भी ठीक तरह से करें। प्रेग्नेंसी के दौरान वर्कआउट करें। सिर्फ एक्सरसाइज करने से अपने हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लें और फिटनेस एक्सपर्ट की देखरेख में वर्कआउट करें। सावधानी पूर्वक वॉक करें। गर्भावस्था के दौरान फिजिकली एक्टिव रहें। अगर डॉक्टर बेड रेस्ट की सलाह दे तो उसका पालन करें।

अगर आप डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

What Is Delayed Cord Clamping and Is It Safe?/https://www.healthline.com/health/pregnancy/delayed-cord-clamping/Accessed on 30/04/2020

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Umbilical cord care: Do’s and don’ts for parents/https://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/infant-and-toddler-health/in-depth/umbilical-cord/art-20048250/Accessed on 30/04/2020

 

Current Version

20/05/2020

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Shikha Patel


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 20/05/2020

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