वॉटर बर्थ (Water birth) का नाम सुनते ही कुछ नए की फीलिंग आती है। नाम से ही पता चल जाता है कि वॉटर बर्थ में बच्चे को पानी में जन्म दिया जाता है। जब डॉक्टर्स नहीं हुआ करते थे तब भी बच्चे जन्म लिया करते थे। बच्चे की डिलिवरी घर की बुजुर्ग महिला या फिर दाई किया करती थीं। वॉटर बर्थ प्रक्रिया से बच्चे का जन्म पुरानी विधी है। वॉटर बर्थ प्रक्रिया का चलन भारत में कम है, लेकिन विदेशों में वॉटर बर्थ प्रचिलित है। वॉटर बर्थ के बारे में अगर आप सोच रही हैं तो इसके बारे में जानकारी होना भी बहुत जरूरी है। इस प्रक्रिया के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी होता है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कैसी होती है वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water Birth Process) के दौरान क्या होता है। इस समय किन सावधानियों का रखना चाहिए और वॉटर वर्थ के ऑप्शन को कब नहीं चुनना चाहिए।
वॉटर बर्थ का चलन (Water Birth Process)
वॉटर बर्थ प्रक्रिया का भले ही भारत में ज्यादा चलन में न हो, लेकिन विदेशों में इसका चलन अधिक है। यू एस में कुछ बर्थ सेंटर और हॉस्पिटल वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water Birth Process) को संपूर्ण करवाते हैं। साथ ही घर में भी वॉटर बर्थ प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। लेबर की फस्ट स्टेज में बर्थिंग पूल का यूज भी किया जा सकता है। इसका प्रयोग करने से कुछ लाभ होते हैं जैसे-
- लेबर के दौरान होने वाले दर्द को कम करने के लिए।
- एनेस्थिसिया से बचाने में भी सहायक होता है।
- लेबर की स्पीड को बढ़ाने का काम करता है।
यूएस कॉलेज ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट (ACOG) ने गर्भावस्था के दौरान कुछ दिशानिर्देश तय किए हैं। इसके तहत वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water Birth Process) लेबर की पहली स्टेज के दौरान महिला के लिए बेनिफीशियल हो सकती है। लेकिन डिलिवरी के दौरान पानी में बच्चे को जन्म देने के दौरान कुछ रिस्क भी हो सकते हैं। फस्ट स्टेज के दौरान गर्भाशय ग्रीवा पूरी तरह से फैल चुकी होती है। स्टडी में ये बात भी सामने आई है कि वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water Birth Process) की हेल्प से बेबी की मेडिकल आउटकम में कोई बदलाव नहीं आता है।
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वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water birth Process) के दौरान क्या होता है?
वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water Birth Process) के दौरान महिला को गुनगुने पानी के पूल या फिर बाथ टब में बैठाया जाता है। लेबर के दौरान महिला को वॉटर बाथ टब मे बैठाया जाता है। लेबर के दौरान डिफरेंट पुजिशन अपनाने से कहीं अच्छा लेबर के दौरान पानी में बैठना होता है। कुछ स्टडीज में ये बात सामने आई है कि वॉटर बाथ प्रक्रिया के जरिए वजायनल टीयरिंग का खतरा कम हो जाता है। साथ ही यूट्रस में ब्लड फ्लो की स्थिति भी सही हो जाती है। महिलाएं लेबर के दौरान पानी में रिलैक्स फील करती हैं, लेकिन स्टडी के रिजल्ट के कुछ पॉइंट अभी भी क्लीयर नहीं किए जा सके हैं।
वॉटर बर्थ प्रक्रिया में लेबर की सेकेंड स्टेज के दौरान (Second stage of water birth Process)
लेबर की सेकेंड स्टेज में सर्विक्स डायलेशन पूरी तरह से हो जाता है। प्रेग्नेंट महिला तब तक पुश करती है जब तक बच्चा बाहर नहीं आ जाता है। लेबर की सेकेंड स्टेज महिला के लिए कष्टकारी होती है। संकुचन का दर्द सहने के साथ ही महिला को पुश भी करना होता है। ऐसे में बेबी के बाहर आने के बाद पानी का संपर्क उसकी लिए कितना सुरक्षित होगा या फिर नहीं, इस बारे में डॉक्टर्स के लिए कहना भी मुश्किल है।
कॉम्प्लिकेशन होने पर रखें ध्यान
कई डॉक्टर्स इस बारे में राय दे चुके हैं कि सेकेंड लेबर के दौरान पानी में बच्चे का सुरक्षित रह पाता है या फिर नहीं कहा नहीं जा सकता। महिला लेबर की सेंकेड स्टेज में हॉस्पिटल में हो तो किसी भी प्रकार के कॉम्प्लिकेशन में तुरंत डॉक्टर एक्शन ले सकते हैं। वहीं घर में किए जाने वाले वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water Birth Process) में ये असंभव सा लगता है। अगर किसी हॉस्पिटल में ही वॉटर बर्थ प्रक्रिया का इंतेजाम हैं तो यह प्रक्रिया सरल हो जाती है।
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वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water birth Process) के लिए कैसे हो प्रिपेयर?
निम्न बातों का ध्यान रख आप इस प्रक्रिया की तैयारी कर सकती हैं।
- सबसे पहले ऐसा हेल्थ सेंटर या हॉस्पिटल चुने जहां वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water Birth Process) अपनाई जाती हो। वॉटर बर्थ प्रक्रिया के लिए स्पेशल टब का यूज किया जाता है जो आपके हेल्थ केयर प्रोवाइडर के पास मौजूद होगा।
- वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water Birth Process) अपनाने से पहले जिस भी हॉस्पिटल में जाने की योजना बना रहे हैं, वहां की पॉलिसी जानना बहुत जरूरी है।
- अगर घर में ही वॉटर बर्थ प्रक्रिया प्लान कर रहे हैं तो एक बार वॉटर बाथ टब की ऑनलाइन कॉस्ट जरूर चेक कर लें। जानकारी के अभाव में टब आपको महंगा भी पड़ सकता है।
- एक बार लोकल बर्थ सेंटर से भी वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water Birth Process) के बारे में जानकारी प्राप्त करना सही रहेगा।
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वॉटर बर्थ प्रक्रिया के दौरान इन बातों का भी रखें ध्यान (Keep these things in mind during the water worth process)
- वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water Birth Process) के दौरान ज्यादा गरम पानी यूज नहीं करना चाहिए। ज्यादा गरम पानी से मां और होने वाले बच्चे को रिस्क हो सकता है। डीहाइड्रेशन और ओवर हीटिंग परेशानी खड़ी कर सकता है। वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water Birth Process) के समय पानी का तापमान 97 डिग्री फेरानाइट होना चाहिए। बर्थिंग पूल्स को स्पेशली इसी तौर पर डिजाइन किया जाता है ताकि पानी का अधिक न हो।
- वॉटर बर्थ प्रक्रिया सभी महिलाएं नहीं अपना सकती। वॉटर बर्थ लेने के लिए लो रिस्क प्रेग्नेंसी के साथ ही डॉक्टर की राय भी जरूरी होती है। वॉटर बर्थ प्रक्रिया अपनाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। जब डॉक्टर कहें कि वॉटर बर्थ प्रक्रिया से आपको या होने वाले बच्चे को कोई नुकसान नहीं है, तभी ये आपके लिए सेफ प्रॉसेस साबित होगी।
- महिला लेबर के दौरान वॉटर में और डिलिवरी वॉटर के बाहर चुन सकती है। महिलाओं के लिए ये ऑप्शन भी अच्छा साबित हो सकता है। अगर आप लेबर के दौरान हाइड्रोथेरिपी चाहती हैं तो ये प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। ऐसे में हास्पिटल में महिला को पानी में लेबर की इजाजत दी जा सकती है।
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वॉटर बर्थ प्रॉसेस अपनाना या न अपनाना महिला का निजी फैसला हो सकता है। इस बारे में डॉक्टर से विचार करना बहुत जरूरी है। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ कॉम्प्लिकेशन हैं तो डॉक्टर मना भी कर सकता है। इस बारे में अच्छी तरह जानकारी लेने के बाद इस प्रक्रिया को अपनाना चाहिए।
उम्मीद करते हैं कि आपको वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water Birth Process) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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