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वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water birth Process) के दौरान क्या होता है?
वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water Birth Process) के दौरान महिला को गुनगुने पानी के पूल या फिर बाथ टब में बैठाया जाता है। लेबर के दौरान महिला को वॉटर बाथ टब मे बैठाया जाता है। लेबर के दौरान डिफरेंट पुजिशन अपनाने से कहीं अच्छा लेबर के दौरान पानी में बैठना होता है। कुछ स्टडीज में ये बात सामने आई है कि वॉटर बाथ प्रक्रिया के जरिए वजायनल टीयरिंग का खतरा कम हो जाता है। साथ ही यूट्रस में ब्लड फ्लो की स्थिति भी सही हो जाती है। महिलाएं लेबर के दौरान पानी में रिलैक्स फील करती हैं, लेकिन स्टडी के रिजल्ट के कुछ पॉइंट अभी भी क्लीयर नहीं किए जा सके हैं।
वॉटर बर्थ प्रक्रिया में लेबर की सेकेंड स्टेज के दौरान (Second stage of water birth Process)
लेबर की सेकेंड स्टेज में सर्विक्स डायलेशन पूरी तरह से हो जाता है। प्रेग्नेंट महिला तब तक पुश करती है जब तक बच्चा बाहर नहीं आ जाता है। लेबर की सेकेंड स्टेज महिला के लिए कष्टकारी होती है। संकुचन का दर्द सहने के साथ ही महिला को पुश भी करना होता है। ऐसे में बेबी के बाहर आने के बाद पानी का संपर्क उसकी लिए कितना सुरक्षित होगा या फिर नहीं, इस बारे में डॉक्टर्स के लिए कहना भी मुश्किल है।
कॉम्प्लिकेशन होने पर रखें ध्यान
कई डॉक्टर्स इस बारे में राय दे चुके हैं कि सेकेंड लेबर के दौरान पानी में बच्चे का सुरक्षित रह पाता है या फिर नहीं कहा नहीं जा सकता। महिला लेबर की सेंकेड स्टेज में हॉस्पिटल में हो तो किसी भी प्रकार के कॉम्प्लिकेशन में तुरंत डॉक्टर एक्शन ले सकते हैं। वहीं घर में किए जाने वाले वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water Birth Process) में ये असंभव सा लगता है। अगर किसी हॉस्पिटल में ही वॉटर बर्थ प्रक्रिया का इंतेजाम हैं तो यह प्रक्रिया सरल हो जाती है।
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वॉटर बर्थ प्रक्रिया (Water birth Process) के लिए कैसे हो प्रिपेयर?
निम्न बातों का ध्यान रख आप इस प्रक्रिया की तैयारी कर सकती हैं।