ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (Human papillomavirus virus) ओरल या जेनिटल म्युकस मेंबरेन में एपिथेलियल सेल्स (Epithelial cells) को संक्रमित करते हैं। ये एक प्रकार का सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (Sexually transmitted infection) है। ये हाथ और पैरों की स्किन को संक्रमित करते हैं। अगर किसी संक्रमित व्यक्ति से कोई स्वस्थ्य व्यक्ति संबंध बनाता है या फिर संक्रमित स्थान को छूता है, तो संक्रमण आसानी से फैल सकता है। जो लोग सेक्शुअल एक्टिव है, उन लोगों में ये संक्रमण आम होता है। एचपीवी कई प्रकार के होते हैं और आधी से अधिक आबादी इससे संक्रमित होती है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) के अनुसार करीब 150 वैराइटी के एचपीवी वायरस अस्तित्व में हैं। वैसे तो एचपीवी का संक्रमण एक से दो साल में अपने आप ठीक हो जाता है लेकिन कुछ एचपीवी वायरस सीरियस हेल्थ कंडीशन का कारण बन सकते हैं। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको एचपीवी का फर्टिलिटी पर असर (HPV and Fertility) क्या हो सकता है, इस बारे में जानकारी देंगे।
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एचपीवी का फर्टिलिटी पर असर (HPV and Fertility)
एचपीवी हमेशा शरीर को नुकसान पहुंचाए, ये जरूरी नहीं है लेकिन ये फर्टिलिटी पर बुरा असर डाल सकती है। एचपीवी संक्रमण (Sexually transmitted infection) महिलाओं को और पुरुषों में फैलने वाला आम संक्रमण माना जाता है और ये विश्व की आबादी के ज्यादातर हिस्से को प्रभावित करता है। एचपीवी वायरस एपिथिलियल लीसंस (Epithelial lesions) और कैंसर से भी जुड़ा हुआ है। एचपीवी वायरस का महिलाओं और पुरुषों की फर्टिलिटी पर बुरा असर पड़ सकता है। इनफर्टिलिटी के कारण रिप्रोडक्टिव एज में करीब 10–30% कपल्स को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई स्टडी में ये बात सामने आ चुकी है कि ये वायरस मिसकैरिज के साथ ही बांझपन का कारण भी बन सकता है। अगर इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति के स्पर्म का एग से फर्टिलाइजेशन होता है, तो अधिक संभावना है कि महिला का कुछ महीने बाद मिसकैरिज हो जाए।
एचपीवी का फर्टिलिटी पर असर (HPV and Fertility) नकारात्मक भी हो सकता है। एनसीबीआई में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक सर्वाइकल एचपीवी से संक्रमित महिलाओं में बिना संक्रमण यानी एचपीवी निगेटिव रिपोर्ट वाली महिलाओं की तुलना में प्रेग्नेंसी के लोअर नंबर रिपोर्ट किए गए। 2018 में हुई स्टडी में ये बात सामने आई है कि पुरुषों में एचपीवी संक्रमण हो जाने के कारण स्पर्म की क्वालिटी में निगेटिव इफेक्ट पड़ता है और ये एंटीस्पर्म एंटीबॉडीज (Antisperm antibodies) के लेवल को बढ़ाने का काम करता है। वहीं महिला के एचपीवी संक्रमित होने पर स्पॉन्टेनियस एबॉर्शन की संभावना बढ़ जाती है। करीब 590 महिलाओं में हुई एक स्टडी में ये बात सामने आई कि एचपीवी संक्रमण का बुरा असर इंट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन (Intrauterine insemination) प्रोसेस के दौरान भी होता है। जिन महिलाओं को एचपीवी संक्रमण था, उनमें सामान्य महिलाओं की तुलना में प्रेग्नेंसीज के छह गुना चांसेज कम थे। एचपीवी के कुछ स्ट्रेंस सर्वाइकल कैंसर के रिस्क को बढ़ाने का काम कर सकते हैं। कैंसरस या फिर प्रीकैंसरस सेल्स को सर्विक्स से हटाने पर फर्टिलिटी पर बुरा असर पड़ता है।
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क्या महिलाओं में एचपीवी ट्रीटमेंट डालता है फर्टिलिटी पर बुरा असर?
अभी हमने आपको इस बारे में जानकारी दी कि यदि महिला या फिर पुरुष एचपीवी की समस्या से पीड़ित है, तो कैसे ये संक्रमण उनकी फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है। अब अगला सवाल ये पैदा होता है कि अगर कोई महिला या फिर पुरुष एचपीवी का ट्रीटमेंट कराता है, तो क्या उसकी फर्टिलिटी पर असर पड़ता है? इसका जवाब है हां। लगभग 40 एचपीवी स्ट्रेन जेनिटल ट्रेक्ट को इफेक्ट कर सकते हैं। इस कारण से जेनिटल वार्ट्स और कुछ भाग जैसे कि सर्विक्स (cervix), वजायना (vagina), पेनिस (penis), एनस (anus) आदि में कैंसर हो सकता है।
एचपीवी संक्रमण हर बार ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है लेकिन जब संक्रमण के लक्षण व्यक्ति को परेशान करते हैं, तो ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। ऐसे में डॉक्टर क्रायोथेरेपी (Cryotherapy) , या फ्रीजिंग (Freezing) और असामान्य ऊतकों (Abnormal tissue) को खत्म करने का काम करते हैं। ऐसे में कोन बायोप्सी (Cone biopsy) की सहायता से सर्विक्स के कुछ हिस्से को हटाया जाता है। लूप इलेक्ट्रोसर्जिकल एक्सीशन प्रोसीजर (Loop electrosurgical excision procedure) में इलेक्ट्रिकल चार्ज का इस्तेमाल किया जाता है। ये प्रोसेस कंसीव करने के एबिलिटी को कम करता है। साथ ही ये स्टेनोसिस (Stenosis) का कारण भी बन सकता है। स्टेनोसिस (stenosis) के कारण सर्विक्स की ओपनिंग बहुत कम हो जाती है, जो स्पर्म को एग से फर्टिलाइज होने में समस्या पैदा कर सकता है या फिर फर्टिलाइजेशन की प्रोसेस को कठिन बना देता है।
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एचपीवी का फर्टिलिटी पर असर हमेशा नकारात्मक नहीं होता (HPV treatment and Fertility)
जी हां! ये बात बिल्कुल सही है। एचपीवी का फर्टिलिटी पर असर (HPV and Fertility) हमेशा बुरा या नकारात्मक नहीं होता है। कुछ लोगों एचपीवी के कारण इनफर्टिलिटी की समस्या देखने को मिल सकती है। ये समस्या से बचाव के लिए जरूरी है कि एचपीवी वायरस से बचा जाए। पुरुषों में एचपीवी की स्क्रीनिंग उपलब्ध नहीं है लेकिन अगर सावधानी रखी जाए, तो कई समस्याओं से बचा सकता है। एचपीवी संक्रमण से बचने के लिए गार्डासिल 9 वैक्सीन (Gardasil 9 vaccine) दी जाती है। उम्र के हिसाब से वैक्सीन की डोज उपलब्ध होती है। वैक्सीन संक्रमण के खतरे को काफी हद तक कम कर देती है और आपको इस संक्रमण से छुटकारा दिला सकती है। आपको डॉक्टर से इस बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और वैक्सीन लगवानी चाहिए।
प्रेग्नेंसी में एचसीवी का संक्रमण (HCV infection in pregnancy)
अगर प्रेग्नेंसी के दौरान महिला एचपीवी से संक्रमित है, तो डिलिवरी के दौरान भी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लार्ज वार्ट्स (large warts) के कारण डिलिवरी के दौरान ब्लीडिंग की समस्या भी हो सकती है। ये बर्थ कैनाल को ब्लॉक करने का काम भी करते हैं। यानी एचपीवी न केवल फर्टिलिटी पर बुरा प्रभाव डालता है बल्कि प्रेग्नेंसी और डिलिवरी के दौरान भी ये समस्या पैदा कर सकता है। सेक्स के दौरान अगर कॉन्डोम का इस्तेमाल किया जाए, तो भी इस सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज से बचा जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करना चाहिए।
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क्या एचपीवी वैक्सिनेशन (HPV Vaccination) पैदा करती है इनफर्टिलिटी की समस्या?
एचपीवी वैक्सीन एचपीवी से संबंधित कैंसर के प्राइमरी प्रिवेंशन के लिए दी जाती है। नेशनल हेल्थ और न्यूट्रीशनल एक्जामिनेशन सर्वे के मुताबिक एचपीवी वैक्सीन लेने के बाद कुछ लोगों ने बांझपन की समस्या की बात कही। ये इनफर्टिलिटी परमानेंट नहीं थी। हालांकि ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम थी। ये कहा जा सकता है कि इस बात के कोई सुबूत नहीं है कि एचपीवी वैक्सीन लेने से इनफर्टिलिटी यानी बांझपन की समस्या होती है। एचपीवी वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है और महिला और पुरुष दोनों को ही लगवानी चाहिए।
एचपीवी का फर्टिलिटी पर असर क्या होता है, हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से समझ आ गया होगा। सेफ सेक्स न करने से कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अगर संक्रमण के लक्षण दिखे, तो आपको तुरंत इलाज कराना चाहिए। ऐसा करने से बीमारी को दूर किया जा सकता है। आपको इस विषय से संबंधित अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूर करना चाहिए। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
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