यहां अच्छी खबर यह है कि मौजूदा समय में पीसीओएस का इलाज संभव है। दवा व ट्रीटमेंट से इस बीमारी से ग्रसित करीब 70 फीसदी महिलाएं भी गर्भवती हो जाती हैं।
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सेकेंड्री इनफर्टिलिटी: यूटेरस और फैलोपियन ट्यूब में समस्या (Problem in uterus and fallopian tubes)
महिलाओं की शारीरिक बनावट भी कई बार गर्भधारण करने में समस्या बन सकती है। उदाहरण के तौर पर यदि फैलोपियन ट्यूब में किसी प्रकार का ब्लॉकेज है तो उसके कारण स्पर्म व एग आपस में नहीं मिल पाएंगे। यूटेरस में किसी प्रकार के संरचात्मक समस्या के कारण भी महिला को गर्भवती होने में समस्या होती है।
फैलोपियन ट्यूब और यूटेरस में इन कारणों की वजह से भी आ सकती है समस्या, जैसे
- असामान्य रूप से विकसित यूटेरस के कारण, जिसे यूनिकार्नुएट यूटेरस (unicornuate uterus) कहा जाता है
- गर्भाशय में घाव (uterine scarring)
- गर्भाशय में फाइब्रॉइड और पॉलिप्स (uterine fibroids or polyps)
- एंडोमेट्रिओसिस (endometriosis) : यह गर्भाशय में होने वाली आम समस्या हैं। इसमें गर्भाशय की अंदर वाली लेयर बनाने एंडोमेट्रियम के टिशू असामान्य रूप से बढ़ने लगते हैं और यह फैलकर गर्भाशय से बाहर आ जाते हैं। कई बार एंडोमेट्रियम की लेयर गर्भाशय की बाहरी लेयर के अलावा अंडाशय, आंत और अन्य प्रजनन अंगों तक भी फैल जाती है। इसे ही एंडोमेट्रियोसिस कहा जाता है। एंडोमेट्रियम टिशू बढ़ने से प्रजनन अंगों जैसे फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय की क्षमता प्रभावित होती है। एंडोमेट्रियोसिस के कारण पीरियड्स के दौरान महिलाओं को अधिक ब्लीडिंग और दर्द होता है और यह बांझपन का भी कारण बन जाती है। मतलब एंडोमेट्रियोसिस और गर्भधारण एक साथ होना बेहद मुश्किल है।
एंडोमेट्रिओसिस से करीब 10 फीसदी महिलाएं प्रभावित हैं। यह समस्या सिजेरियन सर्जरी या फिर गर्भाशय की सर्जरी कराने की वजह से भी हो सकती है।
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सेकेंड्री इनफर्टिलिटी: सी सेक्शन स्कारिंग (C-section scarring)

यदि इससे पहले की डिलिवरी सिजेरियन हुई है तो संभव है कि आपके यूटेरस में घाव हों। इसे इस्थोमोसील (isthmocele) कहा जाता है। इस्थोमोसील यूटेरस में इंफ्लामेशन का कारण बन सकता है। हालांकि सर्जिकल प्रक्रिया को अपनाकर इस्थोमोसील (isthmocele) का इलाज किया जा सकता है। कई महिलाएं इस परेशानी का इलाज करवाकर गर्भवती हुई हैं।
इंफेक्शन (Infection) भी है कारण
इंफेक्शन में सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (sexually transmitted infections) के कारण पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (pelvic inflammatory disease) हो सकती हैं। इसके कारण फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज व निशान की समस्या देखने को मिलती है। वहीं ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी – human papillomavirus (HPV) इंफेक्शन सर्वाइकल म्यूकस (cervical mucus) को प्रभावित करता है। जिससे गर्भधारण करने में परेशानी होती है। अच्छी बात यह है कि इंफेक्शन का इलाज संभव है।
ऑटो इम्मयून डिसऑर्डर (Autoimmune disorders)
ऑटोइम्मयून डिसऑर्डर के कारण इनफर्टिलिटी की समस्या पर ज्यादा शोध नहीं हुए हैं, लेकिन इसके कारण शरीर हमारे हेल्दी टिशू पर हमला करता है। इसमें रिप्रोडक्टिव टिशू भी शामिल हैं। आटोइम्मयून डिसऑर्डर में हाशिमोटो (Hashimoto’s), लुपुस (lupus) और रयृमेटाइड अर्थराइटिस (rheumatoid arthritis) के कारण यूटेरस और प्लेसेंटा (placenta) में जलन की समस्या होती है। इसके कारण भी इनफर्टिलिटी की समस्या होती है।
सेकेंड्री इनफर्टिलिटी का कारण हो सकती है बढ़ती उम्र (Secondary infertility may cause)

साइंटिफिकली उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं में फर्टिलिटी की संभावनाएं भी कम होती जाती हैं। 20 से 30 साल गर्भावस्था के लिए अच्छी उम्र होती है, लेकिन 40 वर्ष के बाद समस्याएं आने लगती है। इसके अलावा अन्य कारण भी हैं, जिसकी वजह से इनफर्टिलिटी की समस्या होती है। उन पर शोध नहीं किए जा रहे हैं।
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जानिए सेकेंड्री इनफर्टिलिटी का कैसे किया जाता है इलाज (Treatment of secondary infertility)
यदि आप पहले गर्भधारण कर चुकीं हैं, लेकिन अब इस समस्या से ग्रसित हैं तो सबसे पहले डॉक्टर इसके कारणों का पता लगाने की कोशिश करते हैं। डॉक्टर कुछ टेस्ट कराने का सुझाव दे सकते हैं, जैसे:
यदि टेस्ट में किसी प्रकार की कोई असमानता नहीं है, तो ऐसे में डॉक्टर मेल पार्टनर के टेस्ट कराने का सुझाव देते हैं। इसके अलावा डॉक्टर दवा के साथ सर्जरी व एडवांस रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी- Advanced reproductive technology (ART) की मदद से भी मरीज का उपचार करते हैं।
सेकेंड्री इनफर्टिलिटी से खुद को उबारने के लिए क्या करें?
- खुद को और अपने पार्टनर पर दोष देना बंद करें
- हमेशा सकारात्मक सोच रखें
- अपने पार्टनर के साथ हेल्दी रिलेशन बनाएं
- इस बात पर फोकस करें कि आगे क्या कर सकते हैं
- सपोर्ट हासिल करने की तरकीब तलाशें
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हमेशा एक्सपर्ट की लें सलाह
सेकेंड्री इनफर्टिलिटी के कारण कोई भी महिला मानसिक तौर पर टूट सकती है। वहीं समाज में उसे हीन भाव से देखा जाता है जो गलत है। इसलिए जरूरी है कि आप यदि ऐसी किसी समस्या का सामना रही हैं तो जल्द से जल्द डॉक्टरी सलाह लें। उन्हें अपनी पीड़ा बताने के साथ आप क्या चाहती हैं उसके बारे में विचार-विमर्श करें। एक्सपर्ट की मदद से सही मार्गदर्शन पाकर आप फिर से गर्भवती हो सकती हैं। बस जरूरी है कि आप मनोबल न टूटने दें और आने वाली तमाम समस्याओं का डट कर सामना करें।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और सेकेंड्री इनफर्टिलिटी से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।