एचपीवी का फर्टिलिटी पर असर (HPV and Fertility) नकारात्मक भी हो सकता है। एनसीबीआई में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक सर्वाइकल एचपीवी से संक्रमित महिलाओं में बिना संक्रमण यानी एचपीवी निगेटिव रिपोर्ट वाली महिलाओं की तुलना में प्रेग्नेंसी के लोअर नंबर रिपोर्ट किए गए। 2018 में हुई स्टडी में ये बात सामने आई है कि पुरुषों में एचपीवी संक्रमण हो जाने के कारण स्पर्म की क्वालिटी में निगेटिव इफेक्ट पड़ता है और ये एंटीस्पर्म एंटीबॉडीज (Antisperm antibodies) के लेवल को बढ़ाने का काम करता है। वहीं महिला के एचपीवी संक्रमित होने पर स्पॉन्टेनियस एबॉर्शन की संभावना बढ़ जाती है। करीब 590 महिलाओं में हुई एक स्टडी में ये बात सामने आई कि एचपीवी संक्रमण का बुरा असर इंट्रायूटेराइन इनसेमिनेशन (Intrauterine insemination) प्रोसेस के दौरान भी होता है। जिन महिलाओं को एचपीवी संक्रमण था, उनमें सामान्य महिलाओं की तुलना में प्रेग्नेंसीज के छह गुना चांसेज कम थे। एचपीवी के कुछ स्ट्रेंस सर्वाइकल कैंसर के रिस्क को बढ़ाने का काम कर सकते हैं। कैंसरस या फिर प्रीकैंसरस सेल्स को सर्विक्स से हटाने पर फर्टिलिटी पर बुरा असर पड़ता है।
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क्या महिलाओं में एचपीवी ट्रीटमेंट डालता है फर्टिलिटी पर बुरा असर?
अभी हमने आपको इस बारे में जानकारी दी कि यदि महिला या फिर पुरुष एचपीवी की समस्या से पीड़ित है, तो कैसे ये संक्रमण उनकी फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है। अब अगला सवाल ये पैदा होता है कि अगर कोई महिला या फिर पुरुष एचपीवी का ट्रीटमेंट कराता है, तो क्या उसकी फर्टिलिटी पर असर पड़ता है? इसका जवाब है हां। लगभग 40 एचपीवी स्ट्रेन जेनिटल ट्रेक्ट को इफेक्ट कर सकते हैं। इस कारण से जेनिटल वार्ट्स और कुछ भाग जैसे कि सर्विक्स (cervix), वजायना (vagina), पेनिस (penis), एनस (anus) आदि में कैंसर हो सकता है।
एचपीवी संक्रमण हर बार ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है लेकिन जब संक्रमण के लक्षण व्यक्ति को परेशान करते हैं, तो ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। ऐसे में डॉक्टर क्रायोथेरेपी (Cryotherapy) , या फ्रीजिंग (Freezing) और असामान्य ऊतकों (Abnormal tissue) को खत्म करने का काम करते हैं। ऐसे में कोन बायोप्सी (Cone biopsy) की सहायता से सर्विक्स के कुछ हिस्से को हटाया जाता है। लूप इलेक्ट्रोसर्जिकल एक्सीशन प्रोसीजर (Loop electrosurgical excision procedure) में इलेक्ट्रिकल चार्ज का इस्तेमाल किया जाता है। ये प्रोसेस कंसीव करने के एबिलिटी को कम करता है। साथ ही ये स्टेनोसिस (Stenosis) का कारण भी बन सकता है। स्टेनोसिस (stenosis) के कारण सर्विक्स की ओपनिंग बहुत कम हो जाती है, जो स्पर्म को एग से फर्टिलाइज होने में समस्या पैदा कर सकता है या फिर फर्टिलाइजेशन की प्रोसेस को कठिन बना देता है।
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एचपीवी का फर्टिलिटी पर असर हमेशा नकारात्मक नहीं होता (HPV treatment and Fertility)