बच्चे का करवट लेकर सोना भी सही और सेफ बेबी स्लीपिंग पुजिशन नहीं माना जाती क्योंकि सोते समय बच्चा अपने पेट को रोल-ऑन करता है। ऐसे में एसआईडीएस (सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम) का खतरा बढ़ जाता है।
बेबी स्लीपिंग पुजिशन का ध्यान रखने के साथ ही कुछ अन्य बाते हैं जिनका ध्यान बच्चों को सुलाते वक्त रखना चाहिए।
सेफ बेबी स्लीपिंग पुजिशन के अलावा शिशु को लपेटते समय रखें ध्यान
बच्चे को सुलाते समय लपेटना अच्छा रहता है, लेकिन सेफ बेबी स्लीप के लिए बच्चों को कसकर लपेटना सही नहीं रहेगा। बच्चे को इस प्रकार से लपेटें कि वो अपने हाथ पैर से मूमेंट कर सके। साथ ही बच्चे के उठ जाने पर उसे थोड़ा सा खोल देना बेहतर रहेगा। सोते समय कसकर लपेट देने से बच्चों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
बच्चे को लपेटने के लिए सूती और सॉफ्ट कपड़े का ही प्रयोग करें। जब भी बच्चे को लपेटे, थोड़ा सा स्पेस जरूर छोड़ दें ताकि बच्चा आसानी से हाथ-पैर को हिला सके। अगर बच्चा हाथ और पैर सही से नहीं हिला पाएगा तो उसे उलझन महसूस हो सकती है। ऐसे में बच्चा रो भी सकता है। इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
सेफ बेबी पुजिशन में सुलाते वक्त न करें पिलो यूज
आपने कई बार देखा होगा कि माएं बच्चे को पालने में तकिए की मदद से कवर करके सुलाती है। साथ ही गर्दन पर पिलो भी लगाती हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। जब बच्चा बड़ा हो जाए तो ऐसा किया जा सकता है। नवजात बच्चे के तकिया लगाने से उसे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। शिशु और वयस्क अलग-अलग होते हैं। तकिया लगाने से नवजात शिशु का दम घुट सकता है। प्रतिवर्ष तकिया लगाने से 32 बच्चों की मौत हो जाती है। सेफ बेबी स्लीप के लिए बेहतर रहेगा कि नवजात के लिए गद्दे का प्रयोग करें। तकिए का प्रयोग गद्दों के किनारे करें। ये सेफ बेबी स्लीप के लिए बेहतर रहेगा।
सेफ बेबी स्लीप के लिए बच्चे के लिए मध्यम लाइट का यूज करना भी बेहतर रहता है। रात में कमरे में अंधेरा करके ना सोएं। हो सकता है कि माता-पिता को लगे कि बच्चा अंधेरे में जल्दी सो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है। जब बच्चे का पेट भर जाता है तो बच्चा अपने आप सो जाता है। लाइट का तेज होना बच्चे के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है।