क्या बच्चों को ग्राइप वॉटर देना सुरक्षित है?
यह सवाल अक्सर मन में आता है कि बच्चों को ग्राइप वाॅटर देना कितना सुरक्षित है? हालांकि, यह साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि बच्चों को ग्राइप वाॅटर देना सुरक्षित है या नहीं। दरअसल, बच्चों को ग्राइप वाॅटर देने की कई किस्में बाजार में मौजूद हैं। किसी-किसी ग्राइप वाॅटर में एल्कोहॉल की कुछ मात्रा भी शामिल होती है, जो शिशु के लिए हानिकारक है। हालांकि, अब बिना एल्कोहॉल के ग्राइप वाॅटर आते हैं। इसके अलावा ग्राइप वॉटर में ऐसे इंग्रीडेंट्स होते हैं जिनका उपयोग शिशु की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
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सोडियम बायकार्बोनेट (Sodium Bicarbonate)
ग्राइप वॉटर में सोडियम बायकार्बोनेट भी मौजूद होता है। इसका उपयोग ज्यादा करने से शिशु को अल्कालोसिस (Alkalosis) और मिल्क अल्कली सिंड्रोम (Milk-alkali Syndrome) जैसी समस्या हो सकती है। इससे शिशु की किडनी और दूसरे अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है। अल्कली सिंड्रोम में बॉडी में कैल्शियम की मात्रा अधिक हो जाती है। बॉडी में हाई कैल्शियम की मात्रा से मसल्स अकड़ जाती हैं। इसके साथ ही इससे ईसीजी चेंजेज भी आ सकते हैं।
शुगर
ग्राइप वॉटर में अत्यधिक मात्रा में शुगर होती है। इसे शिशु को ज्यादा पिलाया जाए, तो बच्चों के नए दांत खराब हो सकते हैं। इसलिए, ग्राइप वॉटर खरीदते समय उसमें शुगर की मात्रा चेक करना न भूलें।
ग्लूटेन
ग्राइप वॉटर में कई बार ग्लूटेन भी रहता है, जो शिशु की सेहत को खराब कर सकता है। ग्लूटेन का सेवन शिशु को कम से कम छह महीने के बाद ही कराना चाहिए। यदि उससे पहले शिशु को यह दिया जाए, तो उसे सीलिएक (Celiac) होने की संभावना होती है। यह एक तरह की आंत संबंधी बीमारी है।
वेजिटेबल कार्बन या चारकोल
ग्राइप वॉटर में वेजिटेबल कार्बन या चारकोल का प्रयोग भी किया जाता है, जो शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है। शिशु के लिए ग्राइप वाॅटर खरीदने से पहले लेबल पर दी गई सामग्रियों की जांच जरूर करें। अगर उसमें चारकोल मौजूद हो, तो उसे अपने शिशु को न पिलाएं।
इन सबके अलावा ग्राइप वॉटर में कुछ ऐसी जड़ी-बूटियां होती हैं, जिसके साइड इफेक्ट्स शिशु पर हो सकते हैं। इसलिए, शिशु को ग्राइप वॉटर डॉक्टर की सलाह पर ही देना चाहिए।