छोटे बच्चों को काजल लगाना असरदार या बेअसर?
निश्चित तौर पर ही अगर आप दादी-नानी की मानें तों काजल एक ऐसी औषधि है, जो आंख में होने वाली सभी तकलीफों को खत्म करता है। भारतीय परंपरा में काजल (kohl) को नजर से बचाने का कवच भी माना जाता है। पर वैज्ञानिक तौर पर अगर इसका विश्लेषण करें तो कुछ और ही तथ्य सामने आते हैं। बहुत से बालरोग विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों को काजल लगाना शिशु के लिये नुकसानदायक भी हो सकता है।
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क्या कहती है एनसीबीआई की रिपोर्ट
सभी धर्मों (65% हिंदू, 30% मुस्लिम, और 5% अन्य धर्म) के 12 साल से कम उम्र के लगभग सौ बच्चों पर एक रिसर्च (NCBI) की गई। जिसके अनुसार सौ में से अस्सी बच्चों को उनके पेरेंट्स ने ‘काजल’ लगाया था। इनमें से 48 लड़कियां थीं और 38 लड़के थे। ज्यादातर बच्चे पांच साल से कम उम्र के थे। स्टडी से कुछ और भी फैक्ट्स सामने आए जैसे-
- उनमें से 90 प्रतिशत महिलाओं ने बड़े-बुजुर्गों की सलाह के अनुसार अपने बच्चों को काजल लगाना शुरू किया था।
- 50% से अधिक माता-पिता ‘काजल’ लगाने के लाभ को नहीं जानते थे। वे ये मिथक को मानते थे कि 1. इससे आंखों का आकार बढ़ता है 2. नेत्र दृष्टि में सुधार होता है और 3. काजल आंखों को बीमारियों से बचाता है।
- उनमें से लगभग 80 प्रतिशत महिलाओं ने घर पर बने काजल का इस्तेमाल किया था। बाकी महिलाओं ने बाजार से खरीदे हुए काजल का प्रयोग किया था।
- कुछ महिलाएं छोटे बच्चों को काजल नहीं लगाती थी लेकिन, उनके काजल लगाने के दुष्प्रभाव नहीं पता थे वे बस बिना किसी कारण ही बच्चों को काजल लगाना पसंद नहीं करती थी।