शरीर का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है। जब शरीर का तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट या उससे अधिक हो जाता है, तो बुखार या फीवर की स्थिति होती है। सामान्यतः नवजात शिशु को बुखार होना बच्चे में संक्रमण की ओर इशारा करता है लेकिन, इसके लिए कुछ अन्य स्थितियां भी जिम्मेदार हो सकती हैं। चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. आर. के. ठाकुर (आर. के. क्लिनिक, लखनऊ) की “हैलो स्वास्थ्य’ से हुई बातचीत के अनुसार “छोटे बच्चों को बुखार होना स्वाभाविक है क्योंकि शिशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है जिससे वो आसानी से संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं।’ ऐसे में नवजात शिशु को बुखार आने पर क्या करें, क्या न करें। यह जानना जरूरी है।
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शिशु में बुखार के लक्षण क्या हैं? (Newborn Fever Signs)
इन लक्षणों से न्यू पेरेंट्स शिशु में बुखार की पहचान कर सकते हैं:
- माथा और गले का अत्यधिक गर्म होना।
- दांत कटकटाना।
- पसीना आना।
- कंपकंपी होना।
- चेहरा लाल हो जाना।
- शिशु का चिड़चिड़ा होना।
- बच्चे के चेहरे पर थकावट दिखना आदि।
- बच्चे का खाना न खाना भी बुखार का एक लक्षण।
डॉक्टर को कब दिखाएं?
आमतौर पर, आपका बच्चा जितना छोटा होता है, बुखार उतना ही चिंताजनक होता है। डॉक्टर को तुरंत दिखाएं, यदि:
- तीन महीने तक के नवजात शिशु को 100.4 ° F या अधिक बुखार हो
- तीन से छह महीने तक के शिशु को 102 ° F या इससे ज्यादा फीवर हो
- छह महीने से अधिक उम्र का कोई भी जिसका बॉडी टेम्प्रेचर 103 ° F या इससे अधिक हो।
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बच्चों को बुखार होने पर क्या करें और क्या न करें?
बच्चे में बुखार की पहचान करने के बाद उसका इलाज करना जरूरी है। थोड़ी-सी लापरवाही शिशु के लिए खतरनाक हो सकती है। नीचे कुछ जरूरी इलाज और सावधानियां बता रहे हैं, जिनको ध्यान में रखना आवश्यक है:
- शिशु को जरूरत से ज्यादा कपड़े या कंबल से ढंकना ठीक नहीं है। शिशु को हल्के कपड़े ही पहनाएं और हल्की चादर से शरीर को ढंकें।
- बच्चे को बुखार होने पर उसे गुनगुने पानी से नहलाया जा सकता है या उसे स्पंज बाथ दें। गलती से भी शिशु को ठंडे पानी या बर्फ के पानी से न नहलाएं।
- शिशु को हाइड्रेट रखें। इसके लिए बच्चे को तरल पदार्थ दें। यदि शिशु ब्रेस्टफीडिंग करता है, तो उसे जल्दी-जल्दी स्तनपान करवाएं।
- बच्चे का बुखार उतारने के लिए साफ तौलिए को ठंडे पानी में भिगोकर शिशु के माथे , हथेली और पंजे पर कुछ सेकंड के लिए बार-बार रख सकते हैं।
- शिशु को ज्यादा से ज्यादा रेस्ट दें। कुछ ऐसा न करें, जिससे बच्चा असहज महसूस करें।
- बच्चे को रोजाना की तरह साधारण भोजन दिया जा सकता है लेकिन, वह खाने में आनाकानी करें, तो उसके साथ जबरदस्ती न करें।
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नवजात शिशु को बुखार से कैसे बचाएं? (Precaution of fever to newborn)
नवजात शिशु को बुखार से बचाव – स्वच्छता बनाए रखें
शिशु के आसपास का वातावरण साफ रखें और उनके खिलौने आदि को नियमित रूप से धोएं क्योंकि छोटे बच्चे चीजें मुंह में डाल लेते हैं, जिससे बैक्टीरिया शरीर में चले जाते हैं। इसके अलावा जो व्यक्ति शिशु की देखभाल करें, वह खुद को जरूर साफ-सुथरा रखे। नवजात शिशु की इम्यूनिटी कम होती हैं। शिशु को ऐसे व्यक्तियों के पास न जाने दें, जिन्हें सर्दी-जुखाम या किसी तरह का संक्रमण हो।
हाइजेनिक भोजन (Hygienic Food)
बच्चों के लिए खाना बनाते समय यह सुनिश्चित करें कि सब्जियां या अन्य खाद्य सामग्री साफ हो। भोजन कराने से पहले बच्चे के हाथों व मुंह को अच्छी तरह धोएं। छोटे बच्चों को उबला हुआ पानी पिलाएं।
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नवजात शिशु को बुखार से बचाव – हाइड्रेट रखें (Keep hydrated)
शिशु के शरीर में तरल पदार्थ कम न हो, इसलिए उसे पर्याप्त मात्रा में स्तनपान कराएं, पानी और जूस पिलाते रहें। यदि बच्चा खाना खाने लायक है तो उसे ऐसे फलों का सेवन करने के लिए कहें जिनमें पानी ज्यादा हो।
नवजात शिशु को बुखार होने पर उसके शरीर के तापमान की जांच कैसे करें?
रेगुलर टेस्ट (Regular test)
शिशु को समय-समय पर डॉक्टर के पास चेकअप के लिए ले जाएं। इससे शिशु को कोई समस्या है तो वह पहले ही पता चल जाएगी।
रेक्टल टेस्ट (Rectal test)
रेक्टल टेस्ट के दौरान डॉक्टर बच्चे के रेक्टम यानी मलाशय में आधे से एक इंच के अंदर थर्मामीटर डालकर नवजात शिशु को बुखार की जांच करते हैं। रेक्टल टेस्ट करने के लिए अलग से रेक्टल थर्मामीटर आते हैं। हालांकि, यह टेस्ट बहुत ही आसान होता है, लेकिन इसे हमेशा डॉक्टर की देखरेख में ही करें। यह जांच घर में खुद से न करें।
नवजात शिशु को बुखार की जांच- एक्सिलरी टेस्ट
नवजात शिशु को बुखार होने की जांच करमे के लिए एक्सिलरी टेस्ट सबसे आसान तरीका होता है। इस टेस्ट के दौरान डॉक्टर थर्मामीटर को लगभग चार से पांच मिनट तक बच्चे के बगल में रखते हैं और नवजात शिशु को बुखार की जांच करते है।
ओरल टेस्ट (Oral test)
नवजात शिशु को बुखार होने पर डॉक्टर थर्मामीटर को बच्चे के जीभ के नीचे तीन से चार मिनट तक रखकर बुखार की जांच करते हैं। इसे और सामान्य टेस्ट भी करते हैं। सबसे पहले डॉक्टर ओरल टेस्ट की ही सलाह देते हैं।
टेम्परल आर्टरी (माथा)
नवजात शिशु को बुखार होने पर उसके माथे के जरिए भी बुखार की जांच की जाती है। इसके लिए अलग से एक फोरहेड स्ट्रीप थर्मामीटर आते हैं। इसे सिर्फ एक मिनट तक बच्चे के माथे से लगाए रखना होता है।
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नवजात शिशु को बुखार होने पर अपनाएं ये घरेलू उपाय
नवजात शिशु को बुखार के घरेलू उपाय – प्याज रगड़ें (Onion)
प्याज न केवल शरीर के तापमान को कम बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि बुखार के दौरान भी लाभकारी होता है। नवजात शिशु को बुखार होने पर एक प्याज को स्लाइस में काटें और एक-एक करके उन टुकड़ों को कुछ मिनटों के लिए अपने बच्चे के पैरों पर रगड़ें। इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार दोहराएं। जल्द ही नवजात शिशु को बुखार से आराम मिलेगा।
सरसों के तेल और लहसुन की मालिश (Mustard oil and garlic massage)
नवजात शिशु को बुखार होने पर सरसो के तेल में लहसुन की कलियां मिलकर उसे गर्म करें। हल्का गुनगुना होने पर उस तेल से बच्चे की मालिश करें। यह
बुखार कम करने के साथ-सात शरीर के दर्द को भी कम करता है।
नवजात शिशु को बुखार आना पेरेंट्स के लिए चिंता का विषय बन सकता है। पेरेंट्स घबराने की बजाय बच्चों का ध्यान रखें। फीवर के अधिक होने या अन्य कोई लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तुरंत परामर्श करें। इसके साथ ही आर्टिकल में बताए गई सावधानियों का पालन करें। ध्यान रखें कि पेरेंट्स जितना जागरूक रहेंगे, शिशु उतना ही बीमारियों से दूर रहेगा।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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