प्रेग्नेंसी के बारे में पता चलने के बाद जब आप पहली बार प्रीनेटल विजिट (Prenatal visit) पर जाती हैं तो डॉक्टर आपको कुछ टेस्ट (Tests) करवाने की सलाह देते हैं। प्रीनेटल चेकअप्स (Prenatal checkup) के साथ ही प्रीनेटल विजिट में प्रश्न पूछने को लेकर भी मन में उत्साह रहता है। ये प्रश्न आने वाले बच्चे और खुद से जुड़ी सावधानियों से संबंधित हो सकते हैं। जब हैलो स्वास्थ्य ने इस संबंध में फोर्टिस हॉस्पिटल कोलकाता की कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सगारिका बसु से बात की तो उन्होंने कहा कि ‘महिलाएं प्री-प्रेग्नेंसी चेकअप के लिए आती हैं तो उनके मन में प्रश्न भी होते हैं। ये स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे जैसे कि पहले से कोई बीमारी डायबिटीज, ब्लड प्रेशर आदि से संबंधित प्रश्न हो सकते हैं। साथ ही बच्चे से जुड़े अहम सवाल भी होते हैं।’ आइए जानते हैं इनके बारे में।
प्रेग्नेंसी के दौरान एक्सरसाइज करना मेरे लिए सही रहेगा? (Exercise during pregnancy)
फोर्टिस हॉस्पिटल की कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. अर्चना सिन्हा इस बारे में कहती हैं कि प्रेग्नेंसी की शुरुआत से ही वॉक और योगा (Yoga) की शुरुआत की जा सकती है। प्रेग्नेंसी के आखिरी महीने में आसान डिलिवरी के लिए पेल्विक मसल्स के लिए एक्सरसाइज (exercise) करना जरूरी है। बटरफ्लाई एक्सरसाइज (butterfly exercise) पेल्विक मसल्स को ढीला करने का काम करती हैं। डिलिवरी के समय मसल्स ढीली रहेंगी तो बच्चा को बाहर आने में आसानी रहेगी। आप चाहे तो ट्रेनर की हेल्प भी ले सकती है। अगर महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या है तो एक्सरसाइज करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी होता है।
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प्रेग्नेंसी में कितना वेट बढ़ना सही रहता है? (Weight gain in pregnancy)
प्रीनेटल विजिट ((prenatal visit) में प्रश्न के दौरान यह मुख्य रूप से पूछा जाता है। डॉक्टर का मानना है कि प्रेग्नेंसी (pregnancy) के हर महीने में एक से दो किलो वजन बढ़ना आम है। अगर आप प्रेग्नेंसी के दौरान वेट को चेक करना चाहती हैं तो प्रेग्नेंसी वेट कैलक्युलेटर का यूज कर सकती है। पेट में शिशु के बढ़ने के साथ ही महिला का वजन बढ़ना नॉर्मल होता है। प्रेग्नेंसी वेट कैलक्युलेटर से वजन जानने के लिए आपको प्रेग्नेंसी के पहले के वेट की जानकारी भी होनी चाहिए। साथ ही हाइट का भी पता होना चाहिए। प्रेग्नेंसी (pregnancy) के हफ्ते के हिसाब से वजन की सही जानकारी हो सकती है।
प्रेग्नेंसी के दौरान अचानक से ज्यादा वजन बढ़ जाना या फिर अचानक से वजन कम हो जाना मां और होने वाले बच्चे की सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है। बेहतर रहेगा समय-समय पर वजन की जांच कराएं। प्रेग्नेंसी के दौरान पौष्टिक आहार खाने में जरूर ध्यान दें। ये बच्चे और मां दोनों की सेहत के लिए अच्छा रहेगा।
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प्रीनेटल चेकअप्स: प्रीनेटल विजिट में सवाल वैक्सिनेशन से संबंधित भी हो सकता है (Pregnancy and vaccination)
प्रेग्नेंसी के दौरान दो वैक्सिनेशन (pregnancy and vaccination) लेना जरूरी होता है। पहला वैक्सिनेशन एडल्ट टीडीएपी (Adult Tdap) महिला को प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में सजेस्ट किया जाता है। इसे 36 सप्ताह के दौरान कभी भी दिया जा सकता है। प्रेग्नेंसी में वैक्सिनेशन की हेल्प से होने वाले बच्चे की इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग होती है। दूसरा जरूरी वैक्सिनेशन है इंफ्लुएंजा वैक्सीन, जिससे सीजनल वायरस को दूर रखा जाता है।
साथ ही प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ वैक्सीनेशन से दूर रहने की सलाह दी जाती है। ऐसे वैक्सीनेशन के बारे में जानकारी लें जिन्हें प्रेग्नेंसी में नहीं लिया जाता है। ये बच्चे की सेहत पर बुरा असर भी डाल सकता है। आप डॉक्टर से प्रीनेटल चेकअप्स के बारे में भी जानकारी ले सकते हैं।
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प्रीनेटल विजिट में सवाल- प्रग्नेंसी के दौरान ओटीसी (over the counter) मेडिसिन सेफ रहती है?
प्रेग्नेंसी के दौरान आपका डॉक्टर सेफ ओटीसी (OTC) मेडिसिन के बारे में आपको जानकारी देगा। प्रीनेटल विजिट में प्रश्न पूछते समय मेडिसिन की जानकारी लेना भी बहुत जरूरी है। प्रेग्नेंसी के दौरान सिरदर्द, उल्टी, मितली के आप डॉक्टर की सजेस्ट की गई दवाओं का उपयोग कर सकते हैं। बिना डॉक्टर की सलाह के प्रेग्नेंसी में किसी भी तरह की दवाइयों का प्रयोग करना सही नहीं रहेगा।
प्रेग्नेंसी के पहले और बाद में महिला के शरीर में बहुत परिवर्तन आ जाते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान उन मेडिसिन का प्रयोग बिल्कुल न करें जो आप प्रेग्नेंसी से पहले करती थी। डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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प्रीनेटल विजिट में सवाल – प्रेग्नेंसी के दौरान कितना काम किया जा सकता है? (Work in pregnancy)
इस बारे में डॉ. अर्चना सिन्हा कहती हैं कि प्रेग्नेंसी कोई बीमारी नहीं है। अगर प्रेग्नेंसी में किसी भी तरह का कॉम्प्लिकेशन (complications in pregnancy) नहीं है तो ऑफिस वर्क के साथ ही घर का काम भी किया जा सकता है। थकावट लगने पर रेस्ट लेना जरूरी होता है। ऑफिस में काम करने वाली महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान और डिलिवरी के कुछ समय बाद तक मैटरनिटी लीव मिलती है । कंपनी की लीव पॉलिसी के अनुसार महिला छुट्टी लेकर खुद की और बच्चे की केयर (Baby care) कर सकती है। प्रेग्नेंसी के आखिरी महीने में महिलाओं को अधिक थकावट लगती है। ऐसे में ऑफिस से छुट्टी लेना सही रहेगा।
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प्रीनेटल विजिट में सवाल – नॉर्मल डिलिवरी होगी या फिर सी-सेक्शन?
प्रीनेटल विजिट में प्रश्न करते समय महिलाएं ये प्रश्न भी जरूर पूछती हैं। ये बात सिचुएशन पर डिपेंड करती है। अगर प्रेग्नेंसी में किसी भी तरह का कॉम्प्लिकेशन नहीं है तो नॉर्मल डिलवरी के चांसेज बढ़ जाते हैं। अगर किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो डॉक्टर को सी-सेक्शन करना पड़ता है। महिला नॉर्मल डिलिवरी के लिए तैयारी जरूर कर सकती है। भले ही डिलिवरी के समय कैसी भी सिचुएशन हो, हर महिला को डॉक्टर से राय लेने के बाद फिजिकल एक्टिविटी में ध्यान जरूर देना चाहिए। अगर महिला को पहले से ही कोई समस्या है तो डॉक्टर आपको उस बारे में उचित राय देंगे। प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ समस्याएं हो सकती हैं जैसे,
- प्रेग्नेंसी के दौरान मोटापा
- जेस्टेशनल डायबिटीज
- पोस्ट-टर्म प्रेग्नेंसी
- पिछला सिजेरियन डिलिवरी
- एडवांस मेटरनल एज (महिला की 35 से अधिक आयु)
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प्रीनेटल विजिट में सवाल – बच्चे को डिलिवर कौन करेगा?
ये बात कई बार परिस्थितयों पर भी निर्भर करती है। वैसे तो आप जिस डॉक्टर से अपना ट्रीटमेंट करा रही हैं, वहीं बेबी की डिलिवरी करता है, लेकिन इमरजेंसी के समय दूसरा डॉक्टर भी बच्चा डिलिवर कर सकता है। कई बार महिलाओं को आधी रात अचानक से दर्द शुरू हो जाता है। ऐसे में हॉस्पिटल में अगर डॉक्टर सही समय पर नहीं पहुंच पाता है तो हॉस्पिटल में मौजूद डॉक्टर ही डिलिवरी करवाते हैं। अगर हालात ऐसे नहीं होते हैं तो आपका डॉक्टर ही डिलिवरी करवाएगा।
प्रीनेटल विजिट में प्रश्न पूछने से होने वाली महिला के मन को संतुष्टि मिलती है। अगर आपके मन में भी कोई प्रश्न आ रहा है तो आप भी प्रीनेटल विजिट में प्रश्न पूछ सकती हैं। डॉक्टर जो जवाब देंगे, वो आपके साथ ही बच्चे के लिए भी उचित होगा।
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