प्रेगनेंसी के नौ महीने बड़े ही चुनौती भरे होते हैं। इस दौरान गर्भवती महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। गर्भावस्था में कई बार महिलाओं का शुगर लेवल कंट्रोल नहीं हो पाता है, जिससे कई प्रकार की परेशानियां शुरू हो जाती हैं। इन्हीं इन्हीं समस्याओं में से एक है प्रेग्नेंसी में डायबिटीज यानी गर्भावधि मधुमेह। इसे ‘जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes)’ के नाम से भी जाना जाता है। जानते हैं इस आर्टिकल में कि गर्भावस्था में शुगर लेवल क्यों बढ़ जाता है? इसके बचाव के किन तरीकों को अपनाना चाहिए?
गर्भावस्था के दौरान शुगर लेवल क्यों बढ़ जाता है ये समझना बहुत जरुरी है। एक्सपर्ट्स का मानना है की गर्भावस्था के दौरान शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम होने लगती है। यह ज्यादातर चौथे या पांचवें महीने में होता है। शरीर में इंसुलिन का कम होना ब्लड में शुगर लेवल को बढ़ाने का काम करता है जो प्रेग्नेंसी में डायबिटीज का रूप ले सकता है। जेस्टेशनल डायबिटीज, डायबिटीज टाइप 1 और डायबिटीज टाइप 2 से अलग होती है।
प्रेग्नेंसी में डायबिटीज के कारण क्या हैं? (Diabetes in pregnancy)
जब बॉडी में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता, तब प्रेग्नेंसी में डायबिटीज होता है। इंसुलिन शरीर में स्वाभाविक रूप से रिलीज होने वाला एक हार्मोन है, जिसका काम बॉडी में भोजन और ग्लूकोज को एनर्जी में बदलता है। प्रेग्नेंसी के दौरान कई हार्मोंस के लेवल में बढ़ोत्तरी होती है, जिससे बॉडी का वजन बढ़ने जैसे कई बदलाव होते हैं। इसकी वजह से शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बिगड़ जाता है। इस कंडीशन को इंसुलिन प्रतिरोधक कहते हैं। इसके कारण बॉडी को इंसुलिन की आवश्यकता और अधिक हो जाती है।
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प्रेगनेंसी में मधुमेह के लक्षण (Signs of diabetes in pregnancy)
अगर आप प्रेग्नेंट हैं और आपको गर्भावधि मधुमेह के बारे में जागरूक रहना है, तो नीचे बताए गए लक्षणों पर ध्यान दें। ये लक्षण प्रेग्नेंसी में डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं-
- बहुत जल्दी थकान होना,
- बार-बार प्यास लगना,
- जल्दी-जल्दी यूरिन पास करने की जरूरत होना,
- धुंधला दिखाई देना,
- मूत्राशय, वजाइना और स्किन में लगातार इंफेक्शन होना।
गर्भावस्था में कैसे करें शुगर लेवल कंट्रोल ? (How to control diabetes in pregnancy)
- गर्भावस्था के दौरान वजन को ज्यादा बढ़ने ना दें। इस दौरान 10 से 11 किलो तक वजन बढ़ने से कोई समस्या नहीं होती।
- शरीर को इस दौरान आराम की स्थिति में न रखें। अगर डॉक्टर ने आपको बेड रेस्ट की सलाह दी है तो ऐसी स्थिति में आराम करना जरुरी है लेकिन, अगर आप बिलकुल स्वस्थ हैं तो टहलना चाहिए, गर्भावस्था के दौरान करने वाले योग या आसन करना चाहिए जिससे शरीर एक्टिव रहेगा। आहार का विशेष ध्यान रखें क्योंकि आपके आहार से ही गर्भ में पल रहे बच्चे को न्यूट्रिशन मिलेगा।
- कार्बोहाइड्रेट से भरपूर आहार लें। कार्बोहाइड्रेट शरीर में धीरे-धीरे और कम मात्रा में शुगर का निर्माण करता है। कार्बोहाइड्रेट और वसा को रोज अपने आहार में शामिल करें।
- गर्भवती महिलाएं जिन्हें को नॉन- वेजेटेरियन खाना पसंद है तो अच्छी तरह पका और कम मसाले में बना हुआ नॉनवेज खाना चाहिए।
- कभी-कभी अधिक उम्र में गर्भ धारण करने की वजह से भी जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
- प्रेग्नेंसी के दौरान टहलना भी लाभकारी होता है।
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प्रेग्नेंसी में डायबिटीज (Diabetes in Pregnancy) की वजह से मां और शिशु को होने वाले जोखिम
गर्भावस्था में मधुमेह की वजह से ये रिस्क हो सकते हैं :
प्रेग्नेंसी में डायबिटीज – शिशु का आकार बड़ा होना (Increased size of foetus)
यदि किसी प्रेग्नेंट महिला को डायबिटीज है, तो गर्भ में शिशु का आकार सामान्य से थोड़ा ज्यादा बड़ा हो सकता है। इसकी वजह से सिजेरियन डिलिवरी की संभावना बढ़ जाती है।
टाइप-2 डायबिटीज (Type 2 diabetes)
जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी में डायबिटीज होता है, उन्हें और उनके शिशु को भविष्य में टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा भी हो सकता है।
प्रेग्नेंसी में डायबिटीज (Diabetes in Pregnancy) – मृत शिशु का जन्म
अगर गर्भावधि मधुमेह का इलाज समय पर न किया जाए, तो मृत शिशु के जन्म का खतरा रहता है।
समय पूर्व प्रसव की संभावना बढ़ना (Pre-mature delivery)
प्रेग्नेंसी में डायबिटीज से जूझती महिलाओं में समय से पूर्व प्रसव का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, इस स्थिति में शिशु को सांस संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।
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प्रेग्नेंसी में डायबिटीज – प्रीक्लेम्पसिया (Preeclampsia)
प्रेग्नेंसी में डायबिटीज के दौरान प्रीक्लेम्पसिया (उच्च रक्तचाप से संबंधित स्थिति) का खतरा भी बढ़ सकता है।
जेस्टेशनल डायबिटीज का जोखिम किन्हें ज्यादा होता है? (Gestational Diabetes)
हालांकि, प्रेग्नेंसी में डायबिटीज किसी भी प्रेग्नेंट महिला को हो सकता है, लेकिन नीचे बताए गए मामलों में इसका जोखिम बढ़ सकता है।
- 25 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज (गर्भावधि मधुमेह) होने का खतरा ज्यादा रहता है।
- अगर परिवार में किसी को डायबिटीज है, तो गर्भावस्था में डायबिटीज की संभावना अधिक रहती है।
- अगर आपको पहले की गर्भावस्था में भी डायबिटीज था, तो अगली प्रेगनेंसी में भी डायबिटीज होने की आशंका बढ़ जाती है।
- यदि पहले से ही डायबिटीज है, तो इसका खतरा और भी बढ़ सकता है।
- यदि प्रेग्नेंट महिला का वजन सामान्य से अधिक है, तो जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।
प्रेग्नेंसी में डायबिटीज का इलाज (Diabetes in pregnancy treatment)
अगर किसी प्रेग्नेंट महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज है, तो इसका जल्द से जल्द इलाज करवाना जरूरी है। जेस्टेशनल डायबिटीज का सबसे पहला इलाज है, स्वस्थ जीवनशैली और संतुलित खानपान अपनाना है। साथ ही गर्भावस्था बढ़ने के साथ ही आपको इंसुलिन की आवश्यकता अधिक होगी। इसके लिए डॉक्टर आपको इंसुलिन के इंजेक्शन दे सकते हैं। सामान्य डायबिटीज में दी जाने वालीं कई दवाइयां प्रेगनेंसी में लेनी सुरक्षित नहीं होती है। इसलिए, इंसुलिन के इंजेक्शन लेना आवश्यक हो जाता है। डॉक्टर की सलाह से डायबिटीज का उचित इलाज करवाएं।
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गर्भावस्था में आपको अपने खानपान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। अगर आपको गर्भावस्था में डायबिटीज है तो बेहतर होगा कि आप ऐसे फूड बिल्कुल न लें, जो आपकी परेशानी को अधिक बढ़ां दें। आप चाहे तो डॉक्टर से डायट प्लान के बारे में भी पूछ सकते हैं। ऐसा करने से आपको भी खाने-पीने में आसानी महसूस होगी।
गर्भावस्था के दौरान कैसे समझें कि आपका शुगर लेवल (Sugar level) कितना है?
गर्भावस्था शुरू होने के साथ ही डॉक्टर्स आपको कई तरह के टेस्ट (जांच) करवाने की सलाह देते हैं। हालांकि प्रारंभिक जांच में ये पता कर पाना कि शुगर लेवल कितना है यह थोड़ा कठिन होगा लेकिन, प्रेग्नेंसी के कुछ सप्ताह के बाद यूरिन टेस्ट और ब्लड टेस्ट से शुगर लेवल की जानकारी मिल सकती है। बस जरुरत है तो आपको सतर्क रहने की। अगर इस दौरान शुगर लेवल ज्यादा होता है तो डॉक्टर आपको बॉडी के अनुसार सही उपचार देंगे।
गर्भवती महिला को भी एक्सपर्ट्स के बताए अनुसार ही काम करना चाहिए। क्योंकि प्रेग्नेंसी में डायबिटीज डिलिवरी के बाद ठीक तो हो जाती है लेकिन, इसका गर्भ में पल रहे बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जेस्टेशनल डायबिटीज की वजह से जन्म से ही शिशु को कई जटिल बीमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।
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