पहले बच्चे को लेकर मां के मन में अधिक उत्सुकता रहती है। वहीं, सेकेंड प्रेग्नेंसी या दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान मां की जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। पहली प्रेग्नेंसी में महिलाओं को सिर्फ अपना और गर्भ में पल रहे बच्चे का ध्यान रखना होता है। वहीं सेकेंड बेबी के दौरान महिला को पहले बच्चे की ओर भी ध्यान देना पड़ता है। एक महिला अगर दो से तीन बच्चों को जन्म देती है तो उसका एक्सपीरियंस हर बार अलग भी हो सकता है। दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को शरीर में कुछ अलग बदलाव दिख सकते हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान क्या बदलाव होते हैं और सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान मां क्या महसूस करती है।
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सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान क्या दिखते हैं बदलाव
सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं का पेट जल्दी बढ़ जाता है। पहली प्रेग्नेंसी के दौरान ही महिला के पेट की मसल्स बढ़ चुकी होती है। दूसरी प्रेग्नेंसी में चौथे से पांचवें महीने में ही पेट बड़ा दिखने लगता है। दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान बेबी का किक भी आपको जल्द ही महसूस हो जाता है। पहली प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं मूमेंट को ठीक तरह से नहीं पहचान पाती हैं।
सेकेंड प्रेग्नेंसी से पहले चेकअप है जरूरी
ज्यादातर महिलाएं पहली प्रेग्नेंसी के बाद ही चेकअप आपको दूसरी प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले चेकअप जरूर करा लेना चाहिए। पहली प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं को अक्सर थायरॉइड की समस्या रहती है। अगर आप पहले से चेकअप करा लेंगी तो डॉक्टर थाइरॉइड को बैलेंस करने के लिए दवा देगा। वहीं अन्य बीमारियों के बारे में पता लगने पर उसका उपचार किया जा सकता है। ऐसा करने से होने वाले बच्चे में किसी भी प्रकार का बुरा असर नहीं पड़ेगा।
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सेकेंड प्रेग्नेंसी में ज्यादा थकावट हो सकती है महसूस
आप सोच रही होंगी कि ऐसा क्यों होता है? जब पहली प्रेग्नेंसी थी तो आपके पास कोई खास जिम्मेदारी नहीं थी। सेकेंड प्रेग्नेंसी या दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान आपको अपने छोटे बच्चे का ख्याल रखने की भी जिम्मेदारी होती है। अपना ठीक से ख्याल न रख पाने के कारण महिलाएं जल्दी थकावट महसूस करने लगती हैं। दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान आपको ब्रास्टन हिक्स ( Braxton Hicks ) फील हो सकते हैं। ब्रास्टन हिक्स के दौरान महिलाओं को फॉल्स लेबर या दर्द जैसा महसूस हो सकता है। आपको लगेगा कि लेबर पेन शुरू होने वाला है, लेकिन ऐसा होगा नहीं। आपको हिप्स में और बेबी बंप में खिंचाव महसूस हो सकता है।
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पहले बेबी के लिए भी निकालना पड़ेगा समय
एक मां दूसरे बच्चे के लिए पहले बच्चे को इग्नोर नहीं कर सकती है। यही आपके साथ भी होगा। दूसरे बच्चे की प्रेग्नेंसी के दौरान आपको पहले बच्चे को भी पूरा समय देना पड़ेगा। आप बच्चे के साथ रीडिंग कर सकती हैं। उसके साथ पार्क में खेलने जा सकती हैं। अगर आप अचानक से पहले बच्चे पर ध्यान देना बंद कर देती हैं तो वो बुरा फील करेगा साथ ही आने वाले बच्चे के लिए भी उसके मन में बुरी भावनाएं आ सकती हैं। हो सकता है कि वो अकेलापन महसूस करें।
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हो सकता है जल्दी लेबर
दूसरी प्रेग्नेंसी में आपको पहले से ही कई बातों की जानकारी होती है। हो सकता है कि घर-परिवार में आपका ज्यादा ख्याल अब न रखा जा रहा हो। आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान घर में भी सबको पता होता है कि आप पहले से अधिक सजग हैं। प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में आपको लेबर पेन होने की जल्दी संभावना है। दूसरी प्रेग्नेंसी के आखिरी महीने में आपको सजग रहने की जरूरत है।
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दोनों बच्चों के लिए करनी होगी पहले से प्लानिंग
दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान आपको दोहरी जिम्मेदारी उठानी पड़ सकती है। आने वाले बच्चे के लिए शॉपिंग के साथ ही आपको पहले बच्चे के लिए तैयारी करनी पड़ेगी। जब दूसरा बच्चा पैदा होगा तो पहले बच्चे की देखरेख करने वाला भी कोई होना चाहिए। साथ ही जितने समय तक आप ठीक से चलने की स्थिति में नहीं हो जाती हैं, तब तक दूसरे बच्चे की जिम्मेदारी किसी भरोसेमंद को देना बेहतर रहेगा।
सेकेंड प्रेग्नेंसी में हुआ था अचानक से लेबर पेन
मुंबई की रहने वाली स्वाती अवस्थी हाउसवाइफ हैं। अपनी सेकेंड प्रेग्नेंसी या दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान के कुछ किस्सों को याद करते हुए कहती हैं कि, ‘सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान मेरे मन में डर कम हो गया था। पहली बार जब मां बनी थी तो मन में बहुत सवाल थे कि सब कुछ कैसे मैनेज होगा। पहली प्रेग्नेंसी के दौरान मुझे लेबर पेन नहीं हुआ था। ड्यू डेट के बाद मुझे डॉक्टर के पास जाना पड़ा था। सेकेंड प्रेग्नेंसी या दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान मुझे नौवें महीने की शुरुआत में अचानक से दर्द शुरू हो गया। ये मेरे लिए नया एक्सपीरियंस था। साथ ही सेकेंड प्रेग्नेंसी में मुझे ज्यादा दिक्कत का एहसास नहीं हुआ क्योंकि मुझे पता था कि शरीर में किस तरह के परिवर्तन हो सकते हैं। मेरी दोनों डिलिवरी सी-सेक्शन के माध्यम से हुई हैं। डिलिवरी के बाद का दर्द लगभग समान ही था।’
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सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान बढ़ जाती है जिम्मेदारी
अपनी सेकेंड प्रेग्नेंसी के दिनों को याद करते हुए कानपुर की शशि शुक्ला कहती हैं कि, ‘सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली मां कई बातों के प्रति अवेयर रहती है, लेकिन सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। मेरा तीन साल का लड़का था जब मैं दोबारा प्रेग्नेंट हुई। सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान पहले बच्चे का भी पूरा ध्यान रखना पड़ता है। खुद का ध्यान और बच्चे का ध्यान रखते हुए थकावट भी ज्यादा महसूस होती है। सेकेंड डिलिवरी के वक्त मुझे कम दर्द का एहसास हुआ था। मेरे दोनों बच्चे नॉर्मल डिलिवरी से ही पैदा हुए हैं।’
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पहले बच्चे को करना पड़ा तैयार
मुंबई की रहने वाली वर्किंग मॉम देवयानी अपने सेकेंड बेबी का एक्सपीरियंस शेयर करते हुए कहती हैं कि, ‘वर्किंग होने की वजह से मैंने सेकेंड बेबी के लिए थोड़ा लेट सोचा। तब मेरा पहला बच्चा पांच साल का था। प्रेग्नेंसी के दौरान मुझे उसे इस बात के लिए तैयार करना पड़ा कि उसके साथ अब एक बेबी भी रहेगा। पहले उसे इन बातों को लेकर अजीब महसूस होता था और वो अपनी चीजें भी शेयर नहीं करना चाहता था। सेकेंड प्रेग्नेंसी या दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान मुझे चिंता ज्यादा थी। बाद में सब कुछ ठीक हो गया। मुझे पहला बच्चा सी-सेक्शन से हुआ था लेकिन दूसरा बच्चा नॉर्मल हुआ। मेरे लिए दूसरी प्रेग्नेंसी कम दर्दनाक थी।’
सेकेंड प्रेग्नेंसी से पहले अपनी आर्थिक स्थिति का ख्याल, घर का माहौल और शरीरिक जांच बहुत जरूरी है। दो बच्चों में तीन साल अंतर रखना बेहतर रहेगा। जब भी सेकेंड प्रेग्नेंसी प्लान करें, एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सक सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।
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