“एक सच्चा दोस्त काफी है, ताउम्र एक ही महफिल में गुजारने के लिए’। लेकिन, अगर सच्चा दोस्त न हो, तो हजार महफिल में भटकने से भी उम्र किसी बोझ जैसी लग सकती है। इसलिए, जीवन में एक सच्चा दोस्त होना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि अगर साथ में सच्चा दोस्त है, तो जीवन की आधी परेशानी अपने-आप ही हल हो सकती हैं। लेकिन, अगर दोस्तों की लिस्ट में मतलबी दोस्त हों, तो यह जीवन का सबसे बुरा अनुभव भी हो सकता है।
अक्सर एक मतलबी दोस्त हर किसी के जीवन में होता है, जिनसे न हम खुलकर बात कर सकते हैं और न ही उनसे सीधी तरह अपनी दोस्ती खत्म कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में क्या किया जाए, यह बहुत बड़ी परेशानी भी बन सकती है।
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इस तरह के स्वभाव वाले मतलबी दोस्त को कहें अलविदा
हर किसी के जीवन में अलग-अलग स्वाभाव के दोस्त होते हैं, जिनके बारे में जानने के लिए हैलो स्वास्थ्य की टीम ने कुछ लोगों से बात की, जिन्होंने हमारे साथ अपने मतलबी दोस्तों के किस्से शेयर किए हैं।
1. वो सेल्फिश थी : शिखा वर्मा
लखनऊ की शिखा कहती हैं, “मेरी एक बहुत ही खास दोस्त थी। जब उसका ब्रेकअप हुआ, तो मैं हर पल उसके साथ रहती थी। वो अपनी पुरानी बातों को सोच-सोच को दुखी न हो इसके लिए हमेशा उससे नई-नई बातें करती रहती थी। लेकिन, ब्रेकअप से उबरने के बाद वो मुझे पूरी तरह से भूल गई। अब वो मुझसे तभी बात करेगी जब मैं खुद सामने से उसे फोन कॉल या मैसेज करती हूं। मेरे दोस्तों की संख्या बहुत ज्यादा है। लेकिन, वो मेरी अकेली ऐसी दोस्त थी, जिसके लिए मैं बहुत बुरा महसूस करती हूं।’ हर किसी को सच्चा दोस्त चाहिए होता है लेकिन अगर आपके सामने कोई सेल्फिश दोस्त हो तो ऐसे दोस्त से दूरी बनाकर रखें।
2.इमोश्नली इस्तेमाल करती थी : निहारिका जायसवाल
लखनऊ की निहारिका जायसवाल कुछ पुरानी बातों को याद करते हुए कहतीं हैं, “मेरी एक दोस्त थी, जिसकी मदद मैंने हर तरीके से की थी। उसे जब भी कोई काम होता था, तो वह इमोश्नली तौर पर मुझे इस्तेमाल करके अपना काम करवा लेती थी। यह सिलसिला कई सालों तक ऐसे ही चला भी। लेकिन, जब मैंने उससे मदद के लिए कहा, तो उसने सामने से इंकार कर दिया। जिसके बाद से अब मैं उससे किसी भी तरह की दोस्ती नहीं रखना चाहती।’ सच्चा दोस्त कभी-कभार इमोश्नली आपका फायदा उठाते हैं ऐसे में आपको अपना रास्ता बजल देना चाहिए।
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3.पीठ पीछे कुछ और था : पीयूष सिंह राजपूत
मध्य प्रदेश के पीयूष सिंह राजपूत दोस्ती के लिए काफी मशहूर रहते हैं। स्कूल से लेकर कॉलेज तक उनके दोस्तों की संख्या बहुत ज्यादा है। वो बताते हैं, “कॉलेज के दिनों में मेरा एक दोस्त था। मैंने कॉलेज में पार्टी जॉइन की थी। जब वह मेरे साथ होता था, तो मुझे और मेरी पार्टी को सपोर्ट करता था लेकिन, मेरे पीछे ही दूसरी पार्टी के ग्रुप को स्पोर्ट करता था। जब मुझे इसके बारे में पता चला, तो मैंने उससे हमेशा के लिए अपनी दोस्ती खत्म कर दी।’
4.अपनी बातों से मुकर जाता था : शिल्पा खोपड़े
मुंबई की शिल्पा खोपड़े स्वाभाव से दोस्ताना व्यवहार की हैं। वो लोगों के सामने हमेशा सीधी बात करतीं हैं। उन्हें अगर किसी बात से तकलीफ होगी, तो वो उसके बारे में साफ-साफ बात करना पसंद करती हैं। उनका कहना है, “मेरा एक दोस्ता था, जो हमेशा कई तरह की बातें करता था। लेकिन, जब भी उन बातों को पूरा करने का समय आता, वो हमेशा अपनी ही बात से मुकर जाता, जिसके बाद मैंने धीरे-धीरे उससे अपनी दोस्ती खत्म कर दी।’
5.डबल फेसेस थी : मंजरी खरे
मध्य प्रदेश की मंजरी खरे पत्रकारिता में एक लंबा अनुभव रखती हैं। अपनी दोस्ती के किस्से हैलो स्वास्थ्य के साथ शेयर करते हुए वो कहतीं हैं, “मेरी एक दोस्त हमेशा अपने चेहरे पर मुखौटा पहना करती थी। मैं चार लड़कियों के साथ एक हॉस्टल में रहती थी। जब भी हम चारों में से कोई एक वहां पर नहीं होती थी, तो वह बाकी दोनों से उसकी बुराई करती थी। जब धीरे-धीरे हमें उसकी इस आदात का पता चला तो, हमने उससे दूरी बनाना शुरू कर दिया।’
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6.हर बात पर डीमोटिवेट करते थें : संकेत
हैलो स्वास्थ्य के सोशल मीडिया की सारी जिम्मेदारी संकेत के कंधों पर ही है। आप तक हमारे लेख पहुंच पाते हैं, इसमें संकेत का सबसे बड़ा और अहम योगदान है। संकेत का कहना है, “कॉलेज के दिनों से अब तक मैंने बहुत सारे दोस्तों से अपनी दोस्ती खत्म की है क्योंकि, उनके मन में हमेशा एक डीमोटिवेट करने वाले विचार रहते थे। किसी के विचार कैसे हैं उससे मुझे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, लेकिन अगर वो अपने विचार से किसी पर दबाव बनाने लग जाता है, तो मैं उससे दूर रहना ही खुद के लिए बेहतर समझता हूं। ऐसे लोग भविष्य में करियर या किसी भी काम के लिए एक बड़ा रोड़ा बन सकते हैं।’ सच्चा दोस्त आपको कभी डिमोटिवेट नहीं करता बल्कि वह हमेशा आपके लिए अच्छा सोचता है।
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7.उनके साथ हर पल जलील होना पड़ता था : रश्मि वर्मा
दिल्ली की रश्मि वर्मा कहतीं हैं, “स्कूल के दिनों में हम तीन लड़कियों का एक अच्छा ग्रुप था। हम तीनों एक साथ स्कूल जाते थे। एक साथ शॉपिंग पर भी जाते थे। लेकिन, कॉलेज में आने के बाद मेरी एक दोस्त बहुत बदल गई। वो अपने नए दोस्तों के सामने मुझे हमेशा जलील करती थी। वो उनसे सिर्फ मेरी बुराइयां ही करती थी। जिसके बाद मैंने उससे कभी भी बात न करने का फैसला लिया।’
ऐसे ही कई मतलबी दोस्त हमारे और आपके जीवन में हो सकते हैं, जिनसे दूर रहना ही एक बेहतर फैसला साबित हो सकता है, क्योंकि एक सच्चा दोस्त अपने स्वभाव से आपका दोस्ता बनता है, न कि दोस्तों की बढ़ती संख्या से। दोस्ती करते समय आपको हमेशा एक बात समझनी होगी कि सच्चा दोस्त आपके पास एक भी हो वह आपके काम आता है। दोस्तों की संख्या से फर्क नहीं पड़ता बल्कि कोई आपके साथ कैसा व्यवहार करता है फर्क इससे पड़ता है। सच्चा दोस्त हमेशा आपके काम आता है और जरूरत पड़ने पर आपका साथ देता है। सच्चा दोस्त आपके साथ किसी फायदे के लिए नहीं होता बल्कि वो आपके साथ निस्वार्थ भाव से होता है।
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