लखनऊ की निहारिका जायसवाल कुछ पुरानी बातों को याद करते हुए कहतीं हैं, “मेरी एक दोस्त थी, जिसकी मदद मैंने हर तरीके से की थी। उसे जब भी कोई काम होता था, तो वह इमोश्नली तौर पर मुझे इस्तेमाल करके अपना काम करवा लेती थी। यह सिलसिला कई सालों तक ऐसे ही चला भी। लेकिन, जब मैंने उससे मदद के लिए कहा, तो उसने सामने से इंकार कर दिया। जिसके बाद से अब मैं उससे किसी भी तरह की दोस्ती नहीं रखना चाहती।’ सच्चा दोस्त कभी-कभार इमोश्नली आपका फायदा उठाते हैं ऐसे में आपको अपना रास्ता बजल देना चाहिए।
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3.पीठ पीछे कुछ और था : पीयूष सिंह राजपूत
मध्य प्रदेश के पीयूष सिंह राजपूत दोस्ती के लिए काफी मशहूर रहते हैं। स्कूल से लेकर कॉलेज तक उनके दोस्तों की संख्या बहुत ज्यादा है। वो बताते हैं, “कॉलेज के दिनों में मेरा एक दोस्त था। मैंने कॉलेज में पार्टी जॉइन की थी। जब वह मेरे साथ होता था, तो मुझे और मेरी पार्टी को सपोर्ट करता था लेकिन, मेरे पीछे ही दूसरी पार्टी के ग्रुप को स्पोर्ट करता था। जब मुझे इसके बारे में पता चला, तो मैंने उससे हमेशा के लिए अपनी दोस्ती खत्म कर दी।’
4.अपनी बातों से मुकर जाता था : शिल्पा खोपड़े
मुंबई की शिल्पा खोपड़े स्वाभाव से दोस्ताना व्यवहार की हैं। वो लोगों के सामने हमेशा सीधी बात करतीं हैं। उन्हें अगर किसी बात से तकलीफ होगी, तो वो उसके बारे में साफ-साफ बात करना पसंद करती हैं। उनका कहना है, “मेरा एक दोस्ता था, जो हमेशा कई तरह की बातें करता था। लेकिन, जब भी उन बातों को पूरा करने का समय आता, वो हमेशा अपनी ही बात से मुकर जाता, जिसके बाद मैंने धीरे-धीरे उससे अपनी दोस्ती खत्म कर दी।’
5.डबल फेसेस थी : मंजरी खरे
मध्य प्रदेश की मंजरी खरे पत्रकारिता में एक लंबा अनुभव रखती हैं। अपनी दोस्ती के किस्से हैलो स्वास्थ्य के साथ शेयर करते हुए वो कहतीं हैं, “मेरी एक दोस्त हमेशा अपने चेहरे पर मुखौटा पहना करती थी। मैं चार लड़कियों के साथ एक हॉस्टल में रहती थी। जब भी हम चारों में से कोई एक वहां पर नहीं होती थी, तो वह बाकी दोनों से उसकी बुराई करती थी। जब धीरे-धीरे हमें उसकी इस आदात का पता चला तो, हमने उससे दूरी बनाना शुरू कर दिया।’