हेपेटाइटिस एक ऐसा इंफेक्शन है, जिसकी वजह से हमारे लिवर को नुकसान होता है। क्षति पहुंचने की वजह से लिवर में घाव होने लगते हैं, जिसे सिरॉसिस (Cirrhosis) कहते हैं। ये घाव लिवर कैंसर का रूप भी ले सकते हैं। हेपेटाइटिस इंफेक्शन पांच प्रकार के होते हैं। जैसे- हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई। इनमें से हेपेटाइटिस ए, बी और सी बेहद सामान्य हैं। ये तीनों इंफेक्शन जानलेवा हैं। ऐसे में खुद का हेपेटाइटिस बी और सी से बचाव के लिए कुछ जानाकरी जानना बेहद जरूरी है।
हेपेटाइटिस बी को एक साइलेंट किलर भी कहा जाने लगा है। क्योंकि कई सालों तक इस बीमारी के कोई लक्षण पीड़ित में दिखाई ही नहीं देते हैं। इसी वजह से कई मामलों में प्राथमिक उपचार मिलने में भी लोगों को बहुत समय मिल जाता है।
हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए जरूरी है लक्षण पहचानें :
- स्किन पर लाल धब्बे
- जोड़ों में दर्द
- थकान बने रहना
- हेपेटाइटिस बी का शुरुआती लक्षण पीलिया भी हो सकता है
हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए इन खतरों से बचें
हेपेटाइटिस बी इंफेक्टेड शख्स के खून, वीर्य या शरीर के अन्य लिक्विड्स के संपर्क में आने से फैलती है। हेपेटाइटिस बी इंफेक्शन के मुख्य कारण हैं :
- हेपेटाइटिस से बचाव के लिए जरूरी है असुरक्षित यौन संबंध करने से बचें और एचआईवी से संक्रमित किसी व्यक्ति से भी संबंध न बनाए।
- इंफेक्टेड निडल के प्रयोग से फैल सकता है हेपेटाइटिस बी का खतरा।
- समलैंगिग पुरूषों के यौन संबंध से भी बढ़ सकता है हेपेटाइटिस बी की खतरा।
- किसी एचआईवी से ग्रसित इंसान के साथ रहने से भी बढ़ता है हेपेटाइटिस का खतरा।
- हेपेटाइटिस से संक्रमित मां से पैदा हुए शिशु को भी होता है इसका खतरा।
- जिन जगहों हेपेटाइटिस का इंफेक्शन फैला हो, वहां यात्रा करने से इसका खतरा बढ़ जाता है।
हेपेटाइटिस बी से बचाव
हेपेटाइटिस बी से बचाव ही सही विकल्प है। क्योंकि कई बार इसका शिकार होने के बावजूद कई साल तक कोई लक्षण नहीं दिखते। ऐसे में बेहतर होगा कि पहले ही सावधानी बरती जाएं। हेपेटाइटिस से बचाव के तरीके:
टीका लगवाएं
- हेपेटाइटिस बी से बचने का सबसे तरीका है कि हर बच्चे को उसके शुरुआती सालों में ही इसका वैक्सीनेशन लगवाएं।
- हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए नवजात बच्चों में इसके तीन टीके लग जाते हैं। पहला जन्म के तुरंत बाद और बाकी दो छठे महीने और 18वें महीने में लगाए जाते हैं।
- जिन बच्चों की मां को गर्भावस्था के दौरान हेपेटाइटिस बी हो, उन्हें 12 घंटे के भीतर एक खास टीका लगाया जाता है।
- 19 साल से कम उम्र के बच्चों को जिन्हें हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए टीका न लग पाया हो उन्हें कैच-अप डोज दिए जाते हैं।
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वयस्कों में भी इसके खास तरह के टीके लगाए जाते हैं
- डॉक्टर्स और चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े लोग, जिनका ज्यादातर समय संक्रमित लोगों के साथ बितता है, उन्हें भी हेपेटाइटिस से बचाव के लिए टीका लगवाने की जरूरत होती है।
- जिन लोगों को किडनी की गंभीर समस्या, लिवर की बीमारी और एचआईवी हो उन्हें भी हेपेटाइटिस से बचाव के लिए टीके की जरूरत होती है।
- जिन लोगों के एक से ज्यादा लोगों के साथ शारीरिक संबंध हो या ऐसे पुरुष, जो दूसरे पुरुषों से संबंध बनाते हों, उन्हें भी इस हेपेटाइटिस से बचाव के लिए वैक्सीन की जरूरत होती है।
- वहीं, वर्तमान में हेपेटाइटिस-सी का कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
हेपेटाइटिस बी के लिए जांच
अगर आपके डॉक्टर को अपके अंदर हेपेटाइटिस के लक्षण देखते हैं, तो वे आपको ब्लड टेस्ट कारने की सलाह दे सकते हैं। ब्लड टेस्ट से इस बात की पुष्टि हो सकती है कि पीड़ित में इसका वायरस है कि और साथ ही इस बात का भी पता लगाया जा सकता है कि यह वायरस पीड़ित के शरीर में कब से है। इसके अलावा डॉक्टर लिवर बायोप्सी कराने की भी सलाह दे सकता है। क्योंकि इस बीमारी में लिवर को ही नुकसान होता है और यह देखने के लिए कि लिवर को कितना नुकसान हुआ है डॉक्टर इस जांच की सलाह देता है। लिवर बायोप्सी में लिवर के कुछ टिश्यूज के नमूने लेकर उन्हें टेस्ट के लिए भेजता है।
हेपेटाइटिस बी से बचाव और इलाज
हेपेटाइटिस से बचाव का सही विकल्प है कि शुरुआत में ही इसके लक्षणों को पहचान कर मेडिकल हेल्प ले ली जाएं। लेकिन, कई बार इसके लक्षण कई सालों तक नहीं दिखते हैं ऐसे में अपने डॉक्टर से सलाह लेना ठीक रहेगा। इसके अलावा अगर आपको आशंका है कि आप इसके वायरस के संपर्क में आए हैं , तो हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए यदि आप 12 घंटे के भीतर ही हेपेटाइटिस बी इम्यून ग्लोबेयुलिन का इंजेक्शन लगवाते हैं, तो हेपेटाइटिस बी के आपके शरीर में विकसित होने की संभावना कम हो जाती है। वायरस के संपर्क में आने के बावजूद यदि आप कोई भी वैक्सीनेशन नहीं लगवाते हैं, तो आपको क्रोनिक या एक्यूट हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
अच्छी लाइफ स्टाइल बनाए रखें
हेपेटाइटिस बी छूने, हाथ मिलाने, किस करने आदि चीजों से नही फैलता है। बस ये संक्रमित व्यक्ति के खून या शरीर के अन्य द्रव्यों के संपर्क में आने से फैलता है।
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इससे बचने के लिए करें ये उपाय
अपनी पर्सनल चीजें जैसे रेजर, ब्रश आदि चीजें किसी से शेयर न करें।
- ड्रग इक्युपमेंट सिरेंज आदि शेयर न करें
- टेटू गुदवाते वक्त खास ध्यान रखें
- सुरक्षित यौन संबंध बनाएं
हेपेटाइटिस-बी से बचाव के अन्य तरीके
किसी का ब्लड लेने से पहले उसकी जांच अच्छी तरह करवाएं।
अगर कोई व्यक्ति हेपेटाइटिस-बी के संक्रमण का शिकार बन गया है, तो 12 घंटे के भीतर उसे हेपेटाइटिस इम्यून ग्लोब्यूलिन (Hepatitis Immune Globulin (HBIG) या हेपेटाइटिस-बी की वैक्सीन दी जानी चाहिए।
हेपेटाइटिस से बचाव के लिए जरूरी है कि सही समय पर इसके लक्षण पहचान कर वैक्सीनेशन लेना। यदि सही समय पर वैक्सीनेशन नहीं कराया जाता है तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि कोई भी आशंंका होने पर तुरंत जरूरी जांच करा लें।
नए संशोधन की समीक्षा डॉ. प्रणाली पाटील द्वारा की गई
अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना न भूलें।
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