सिफलिस (syphilis) एक सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन है जो ‘ट्रीपोनीमा पैलिडम’ बैक्टीरिया के कारण होता है। अगर इसका उपचार समय रहते ना किया जाए तो यह इंफेक्शन सीरियस हेल्थ प्रॉब्लम का कारण बन सकता है और संक्रमण पूरे शरीर में फैल सकता है। सिफलिस की बीमारी एक से दूसरे व्यक्ति में वजायनल, एनल और ओरल सेक्स के जरिए फैलती है। अगर पहली स्टेज पर इसका इलाज नहीं कराते हैं तो यह आगे की स्टेज की ओर बढ़ता जाती है। सिफलिस को चार स्टेज में बांटा गया है। प्राथमिक, द्वितीय, अव्यक्त और तीसरी (Primary, secondary, latent and tertiary)। सिफलिस का घाव फोड़ा या दाने पेनिस (Penis), वजायना (Vagina ), एनस (Anus), रेक्टम (Rectum), लिप्स (lips), माउथ (mouth) के आसपास हो सकता है। सिफलिस की बीमारी इंफेक्टेड मां से बच्चे को भी हो सकती है।
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सिफलिस इंफेक्शन कैसा दिखाई देता है? What does syphilis look like?
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि सिफलिस को चार स्टेज में बांटा गया है। हर स्टेज में सिफलिस बीमारी के संकेत और लक्षण अलग होते हैं। प्राइमरी सिफलिस (primary syphilis) बीमारी में घाव (Sore) (एक या इससे ज्यादा) इंफेक्शन की जगह पर ही होते हैं। यह घाव अक्सर जेनिटल्स के चारों ओर, एनस के चारों और या मुंह की चारों ओर होते हैं। ये घाव या दानें अक्सर (पर हमेशा नहीं) गोलाकार, सख्त और दर्द रहित होते हैं। सेकेंड्री सिफलिस (secondary syphilis) में स्किन पर रैशेज (Skin rash), लिम्फ नोड में सूजन (swollen lymph nodes) और बुखार (Fever) आता है। पहली और दूसरी स्टेज में सिफलिस माइल्ड होता है और उसे नोटिस भी नहीं किया जा सकता है। लेटेंन स्टेज (latent stage) में कोई लक्षण और संकेत नहीं होते हैं। तीसरी स्टेज (Tertiary syphilis) में कई प्रकार की परेशानियां होती हैं। सिफलिस बीमारी हार्ट, ब्रेन और बॉडी के दूसरे अंगों को प्रभावित कर सकती है। डॉक्टर सिफलिस का पता कई प्रकार के टेस्ट के जरिए लगाते हैं। सिफलिस बीमारी चार स्टेज में फैलती है। हर स्टेज में इसका प्रभाव अलग होता है।
प्राइमरी स्टेज (Primary stage)
पहली स्टेज के दौरान फोड़ा या घाव सामान्यत: दर्दरहित होता है और यह वहीं दिखाई देता है जहां से बैक्टीरिया बॉडी में प्रवेश करता है। इसका असर बैक्टीरिया के एस्पोजर के लगभग तीन हफ्ते में दिखाई देता है, लेकिन इसकी रेंज 10 दिन से 90 दिन तक हो सकती है। पहली स्टेज के दौरान यह सबसे ज्यादा संक्रमण फैलाता है।
- पहली स्टेज के दौरान पुरुषों में फोड़ा (Chancre) जेनिटल एरिया (genital area) में होता है। सामान्यत: यह पेनिस पर होता है।
- वहीं महिलाओं में सिफलिस बीमारी की पहली स्टेज भी दर्द रहित (Painless) होती है। फोड़ा वजायना के आउटर या इनर पार्ट पर होता है। वजायना के अंदर या सर्विक्स के ओपनिंग साइड पर होने पर फोड़ा दिखाई नहीं देता और इस पर ध्यान नहीं जाता है क्योंकि ये असानी से विजिबल नहीं होते हैं।
- फोड़े के आसपास के लिम्फ नोड्स (Lymph Nodes) पर सूजन दिखाई देती है।
- फोड़ा या दानें या घाव जेनिटल्स के अलावा शरीर के दूसरे हिस्से पर भी दिखाई दे सकते हैं।
- दाने या फोड़ा 3 से 6 हफ्ते में चले जाते हैं। कभी-कभी ट्रीटमेंट के बिना भी ये ठीक हो जाता है और एक हल्का सा निशान छोड़ जाते हैं। फोड़ा ठीक होने के बाद भी सिफलिस की बीमारी रहती है और व्यक्ति अभी भी एक से दूसरे में इंफेक्शन फैला सकता है। अगर इस समय पर ट्रीटमेंट ले लिया जाता है तो इंफेक्शन को दूसरी स्टेज पर फैलने से रोका जा सकता है।
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सेकेंड्री स्टेज (Secondary stage)
सिफलिस बीमारी की सेकेंड्री स्टेज में (Secondary syphilis) फोड़ा होने के 2-8 हफ्ते के बाद या फोड़े के ठीक होने के पहले बॉडी पर रैशेज दिखाई देते हैं। कुछ दूसरे लक्षण भी दखाई देते हैं जिनका मतलब होता है कि इंफेक्शन पूरी बॉडी में फैल चुका है। व्यक्ति दूसरी स्टेज के दौरान बेहद संक्रामक स्थिति (highly contagious) में होता है। रैशेज बॉडी के ऊपर डेवलप हो जाते हैं जिसमें हथेलियों में और तलवों में प्रमुख तौर पर ये दिखाई देते हैं।
- रैशेज सामान्यत: लाल भूरे रंग ( reddish brown) के, छोटे, सख्त, फ्लेट या उभरे हुए होते हैं। ये (Sores) 2CM के हो सकते हैं। ये दूसरी स्किन प्रॉब्लम्स की तरह ही दिखाई देते हैं।
- छोटे और खुले हुए घाव या फोड़े म्यूकस मेम्ब्रेन (Mucous membranes) पर दिखाई देते हैं। इनमें पस होता है। यह वार्ट्स (warts) की तरह दिखाई देते हैं।
- डार्क स्किन कलर के लोगों में ये फोड़े की स्किन के कलर से हल्के रंग के होते हैं।
- स्किन रैश (चकत्ते) आमतौर पर 2 महीने के अंदर ठीक हो जाते हैं। इनका दाग भी नहीं रहता है। इनके ठीक होने के बाद स्किन डिस्लोकेशन (skin discoloration) डेवलप हो सकती है। भले ही चकत्ते या दाने ठीक हो गए हों, लेकिन सिफलिस बीमारी अभी भी मौजूद है और एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति को संक्रमण हो सकता है।
सिफलिस बीमारी की दूसरी स्टेज में जब संक्रमण पूरी बॉडी में फैल जाता है तो व्यक्ति में निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
- 101°F (38°C) से कम बुखार आना
- गले में खराश (sore throat)
- कमजोरी का एहसास होना और असहजता महसूस होना
- वजन कम होना
- एक पैच से बालों का झड़ना जिसमें आईब्रो, आईलैशेज और स्कैल्प के बाल शामिल हैं
- सेकेंड्री सिफलिस (secondary syphilis) के कुछ नर्वस सिस्टम से संबंधित लक्षण भी दिखाई देते हैं जिसमें नेक स्टिफनेस, सिर में दर्द, चिड़चिड़ापन, पैरालिसिस, आदि शामिल हैं।
लेटेंट स्टेज (Latent stage)
अगर इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो इंफेक्टेड व्यक्ति लेटेंट स्टेज तक पहुंच जाता है जिसे हिडन स्टेज (hidden stage) भी कहा जाता है। दूसरी स्टेज के बाद रैशेज चले जाते हैं। इस दौरान मरीज में कुछ समय के लिए किसी प्रकार के लक्षण भी दिखाई नहीं देते हैं इसलिए इसे हिडन स्टेज कहते हैं। लेटेंट पीरियड (latent period) 1 साल से लेकर 20 साल तक का हो सकता है। इस स्टेज के दौरान सटीक निदान (diagnosis) केवल ब्लड टेस्ट (blood test) के जरिए हो सकता है। इसके साथ ही मरीज की हिस्ट्री और बच्चे के जन्म के आधार पर (congenital syphilis) के बारे में डॉक्टर पता करता है। मरीज लेटेंट स्टेज के शुरुआती समय में संक्रामक होता है। भले ही उस समय सिफलिस बीमारी के कोई लक्षण ना दिखाई दें।
100 में से 20-30 लोगों में लेटेंट स्टेज के दौरान सेकेंड्री स्टेज रिलेप्स (Relapses of secondary syphilis) हो जाती है। रिलेप्स का मतलब होता है कि मरीज सेकेंड स्टेज से गुजर चुका है। उसमें सिफलिस बीमारी के कोई लक्षण भी नहीं है। इसके बाद उसे फिर से सेकेंड्री स्टेज के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। रिलेप्स कई बार हो सकता है। जब रिलेप्स होना बंद हो जाता है तो वो व्यक्ति संक्रामक नहीं रहता।
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महिलाओं में लेटेंट स्टेज के दौरान भी सिफलिस की बीमारी संक्रामक होती है जो गर्भवती होने पर बच्चे को ट्रांसफर हो सकती है और यह इंफेक्शन मिसकैरिज (miscarriage), या स्टिलबर्थ (stillbirth) का कारण बन सकता है। बच्चे में जन्मजात सिफलिस (congenital syphilis) भी हो सकता है। अगर महिला सिफलिस से ग्रसित है तो वह कम वजन वाले बच्चे को जम्न दे सकती है। सिफलिस पॉजिटिव होने पर महिला को तुरंत ट्रीटमेंट लेना चाहिए। अगर यह ठीक नहीं होता है तो पैदा होने वाले बच्चे में सिफलिस बीमारी के लक्षण दिखाई देते। अगर तुरंत इसका इलाज ना किया जाए तो बच्चे में बहरापन, मिर्गी जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
तीसरी स्टेज (Tertiary (late) stage )
यह सिफलिस बीमारी की सबसे खतरनाक स्टेज होती है। अगर इलाज ना किया जाए तो यह इंफेक्शन होने के 1 साल बाद या जीवन में कभी भी शुरू हो सकती है। सिफलिस बीमारी की इस स्टेज के दौरान मरीज को बीमारी का अनुभव नहीं होता। तीसरी स्टेज के लक्षण इस स्टेज के कॉम्प्लिकेशन पर निर्भर होते हैं। जिनमें शामिल हैं:
- गुम्माटा (Gummata) यह बड़े फोड़े होते हैं जो बॉडी के अंदर या स्किन के ऊपर दिखाई देते हैं।
- कॉर्डियोवैस्कुलर सिफलिस (Cardiovascular syphilis) जो दिल और ब्लड वैसल्स को प्रभावित करता है
- न्यूरोसिफलिस (Neurosyphilis) जो नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है।
मैं सिफलिस की बीमारी से कैसे बच सकती/ सकता हूं ?
एटीडी (STD) से बचने का एक ही तरीका वजायनल (Vaginal), एनल (Anal) और ओरल सेक्स (oral sex) को अवॉइड करना। अगर आप सेक्शुअली एक्टिव हैं तो सिफलिस बीमारी से बचने के लिए आप दो बातों को फॉलो करके इसकी संभावना से बच सकते हैं।
- लंबे समय तक एक ही व्यक्ति के साथ सेक्शुअल रिलेशनशिप में रहें जिनसे सिफलिस का टेस्ट करवाया हो और जिसे सिफलिस ना हो।
- हमेशा सेक्स के दौरान लेटेक्स कॉन्डोम का उपयोग करें। कॉन्डोम सिफलिस के संपर्क में आने से होने वाले ट्रांसिमशन को रोकता है।
- कई बार सिफलिस ऐसी जगहों पर भी होता है जो कॉन्डोम से कवर नहीं होते। ऐसे में ये सोर सिफलिस को फैला सकते हैं।
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क्या मुझे सिफलिस होने का जोखिम है? Am I at risk for syphilis?
कोई भी सेक्शुअली एक्टिव व्यक्ति अनप्रोटेक्टेड वजायनल, एनल और ओरल सेक्स के चलते सिफलिस से ग्रसित हो सकता है। अगर आपने कभी इस तरह का सेक्शुअल बिहेवियर रखा है तो अपने डॉक्टर से ईमानदारी से बात करें और उनसे पूछें कि क्या आपको सिफिलिस बीमारी या किसी अन्य एसटीडी के लिए टेस्ट कराना चाहिए?
- सभी प्रेग्नेंट महिलाओं को सिफलिस का टेस्ट फर्स्ट प्रीनेटल विजिट के दौरान कराना चाहिए।
अगर आप सेक्शुअली एक्टिव हैं और निम्न स्थितियों से गुजरे हैं तो आपको टेस्ट जरूरी कराना चाहिए।
- अगर आप पुरुष हैं और पुरुष के साथ ही सेक्शुअली एक्टिव हैं
- अगर आपको एचआईवी (HIV) है
- अगर आपका पार्टनर सिफलिस पॉजिटिव आया है
उम्मीद करते हैं कि आपके लिए यह आर्टिकल उपयोगी साबित होगा और सिफलिस बीमारी से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।