खुजली वाली त्वचा या जिसे साइंस की भाषा में प्रुरिटस (pruritus) कहते हैं, कभी-कभी बेहद अनकम्फर्टेबल हो सकती है। नेशनल एक्जिमा एसोसिएशन (एनईए) के अनुसार, जो लोग अक्सर खुजली वाली त्वचा का अनुभव करते हैं, उन्हें नींद की समस्या से भी दो चार होना पड़ सकता है। ऐसे में वे एंग्जायटी के भी शिकार हो सकते हैं। त्वचा पर खुजली करते समय कभी-कभी खरोंच भी आ सकती है, जिससे संक्रमण हो सकता है। खारिश वाली त्वचा के सामान्य कारणों में इन्सेक्ट बाइट्स, एलर्जी, स्ट्रेस और स्किन डिजीज (जैसे एक्जिमा और सोरायसिस) शामिल हैं। इन सबके बीच अच्छी बात यह है कि हर तरह की खुजली का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment of itching) किया जा सकता है। आइए जानते हैं।
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खुजली का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment of itching) : खुजली क्या है?
ज्यादातर छोटी-मोटी त्वचा की समस्याएं, जैसे फफोले (blisters), स्किन इर्रिटेशन और सूजन, बाहरी कारणों की वजह से हो सकती है। जैसे- ज्वेलरी में निकल (nickel), कीड़े के काटने, इंफ्केटेड कट की वजह से सूजन और दर्द त्वचा को परेशान कर सकता है। वहीं, आयुर्वेद के अनुसार क्रोनिक स्किन कंडीशन जैसे कि सोरायसिस (psoriasis), एक्जिमा (eczema), पुरानी पित्ती (chronic hives), या मुहांसे (acne) की वजह आंतरिक कारण होते हैं। आयुर्वेद की माने तो रक्त, फेफड़े और यकृत में असंतुलन से उत्पन्न विषाक्त पदार्थ स्किन डिजीज का कारण बनते हैं।
खुजली का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment of itching) और लक्षण
त्वचा रोग के लक्षण क्या हैं? (Skin Disease Symptoms)
- खुजली
- फफोले
- त्वचा के रंग में बदलाव
- दर्द
- स्किन ड्राइनेस
- लालिमा आदि।
खुजली का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment of itching) और कारण
खुजली का कारण क्या है? (Itching Causes)
खुजली का आयुर्वेदिक इलाज जानने से पहले उसका कारण जानना भी जरूरी है। खुजली के कई सामान्य कारण हैं जैसे-
- फ़ूड एलर्जी,
- इन्सेक्ट बाइट्स,
- दवाओं से एलर्जिक रिएक्शन,
- स्किन डिसऑर्डर जैसे – एक्जिमा (eczema), सोरायसिस और ड्राई स्किन,
- कॉस्मेटिक और मेकअप प्रोडक्ट्स,
- लीवर, किडनी या थायरॉयड रोग
- कुछ कैंसर या कैंसर के उपचार
- ऐसे रोग जो तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे कि डायबिटीज और दाद
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खुजली का आयुर्वेदिक इलाज
खुजली का आयुर्वेदिक उपचार कई तरीकों से किया जाता है। जैसे-
खुजली का आयुर्वेदिक उपचार : थेरेपी (Ayurvedic Treatments For Itching)
विरेचन (Virechana)
विरेचन थेरेपी खुजली का आयुर्वेदिक इलाज है। यह आयुर्वेदिक थेरेपी से पीलिया, पित्त विकार, दमा (asthma), मिर्गी (epilepsy) और स्किन कंडीशन के इलाज के लिए अच्छी मानी गई है। इस प्रक्रिया में रेक्टल रूट से बॉडी में मौजूद एक्स्ट्रा पित्त, वात, कफ और टॉक्सिन्स को बाहर निकालने के लिए कई तरह की जड़ी बूटियों को शामिल किया जाता है।
इन हर्ब्स को व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार चुना जाता है। अगर आप एक्जिमा का आयुर्वेदिक इलाज ढूंढ रहे हैं तो विरेचन प्रक्रिया इसमें उपयोगी हो सकती है और एक्जिमा के कारण होने वाली खुजली से छुटकारा मिल सकता है। इसे खुजली का आयुर्वेदिक इलाज कह सकते हैं।
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वमन
इस आयुर्वेदिक प्रक्रिया में व्यक्ति में बढ़े हुए दोष को उल्टी के माध्यम से निकाला जाता है। वमन से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ और बढ़े हुए पित्त और कफ को खत्म करने में मदद मिलती है। वमन प्रक्रिया विशेष रूप से सोरायसिस के इलाज में बहुत उपयोगी है और इस स्किन डिजीज की वजह से होने वाली खुजली को कम कर सकती है।
रक्तमोक्षण (Raktamokshana)
रक्तमोक्षण एक प्रकार का रक्तपात है। इसमें आमतौर पर मैटेलिक इंस्ट्रूमेंट्स (metallic instruments) का उपयोग किया जाता है। इस आयुर्वेदिक प्रक्रिया में ब्लड स्ट्रीम से टॉक्सिन्स को करके रक्त-जनित बिमारियों (blood-borne conditions) का इलाज किया जाता है। यह ल्यूकोडरमा, खुजली, चिकनपॉक्स और सोरायसिस जैसी तमाम त्वचा संबंधित बिमारियों को मैनेज करने में प्रभावी है। इन स्किन प्रॉब्लम्स के कारण होने वाली खुजली को कम करने में यह आयुर्वेदिक प्रक्रिया मदद कर सकती है।
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लेप (Lepa)
खुजली का आयुर्वेदिक इलाज तलाश कर रहे हैं तो ये बेस्ट इलाज है। कई अवयवों जैसे- अमलकी (आंवला), तेल, जौ, वचा (calamus) आदि से तैयार किया गया एक तरह का आयुर्वेदिक लेप है। इसका इस्तेमाल प्रभावित हिस्से पर किया जाता है। दोषघ्न (दोष-निवारण), विघ्न (विष-निरोध) और वारण्य मुक्हल्पा (कॉस्मेटिक) लेप, आयुर्वेदिक में तीन प्रकार के लेप हैं। इनका इस्तेमाल खुजली की समस्या में फायदेमंद है।
उद्वर्थन (Udvarthana)
इसमें कई तरह की जड़ी बूटियों के मिश्रण से एक हर्बल पाउडर तैयार किया जाता है। इस हर्बल पाउडर का इस्तेमाल खुजली के उपचार में किया जाता है।
खुजली का आयुर्वेदिक इलाज : हर्ब्स (Herbs for itching treatment)
कई वर्षों से खुजली का आयुर्वेदिक इलाज हर्ब्स के माध्यम से किया जा रहा है।
खदिरा
दाद खाज खुजली की आयुर्वेदिक हर्ब में कई फाइटोकोनस्टिटुएंट्स (phytoconstituents) जैसे- कैटेचिन (catechin), टैनिन्स (tannins) सक्रिय तत्त्व मौजूद होते हैं। यह सोरायसिस के उपचार में काफी उपयोगी है।
हरिद्रा
हरिद्रा में जीवाणुरोधी (antibacterial), कैरीमैनेटिव (carminative) और कृमिनाशक (anthelmintic) गुण होते हैं। इस हर्ब का उपयोग सोरायसिस, दाद, प्रुरिटस (pruritus) और स्किन एलर्जी के उपचार में किया जाता है। हरिद्रा का इस्तेमाल काढ़े, पाउडर, पेस्ट, लेप के रूप में डॉक्टर की सलाह से कर सकते हैं।
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दारुहरिद्रा (Daruharidra)
दारुहरिद्रा त्वचा रोगों के लिए आयुर्वेदिक दवा है जो पाचन तंत्र पर काम करती है। इसके इस्तेमाल से शरीर से बढ़े हुए पित्त का नाश होता है जो अधिकांश स्किन डिजीज का कारण बनता है। आयुर्वेदिक डर्मेटोलॉजिस्ट दारूहरिद्रा को अक्सर खुजली सहित सोरायसिस के लक्षणों को कम करने के लिए निर्देशित करते हैं। इसका काढ़ा, पाउडर, पेस्ट का इस्तेमाल डॉक्टर के निर्देशानुसार किया जा सकता है।
निम्बा
इस आयुर्वेदिक दवा में कृमिनाशक (anthelmintic) और एंटीसेप्टिक (antiseptic) गुण होते हैं। खुजली के लिए आयुर्वेदिक दवा के रूप में इसका सेवन किया जाता है। इसके सेवन से ब्लड साफ़ होता है जिससे बॉडी से सभी विषाक्त पदार्थ को बाहर निकलते हैं। इस दवा का उपयोग एक्जिमा और चिकनपॉक्स के कारण होने वाली खुजली में आराम पहुंचाता है।
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मंजिष्ठा (Manjishtha)
मंजिष्ठा रक्त-शुद्ध करने वाली कई जड़ी-बूटियों में से सबसे प्रभावी है, जो ब्लड फ्लो को सुधारता है। इससे बॉडी के टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं। इसके औषधीय गुण सोरायसिस के ट्रीटमेंट में मददगार होते हैं। साथ ही इसका उपयोग पीलिया, हेपेटाइटिस और गठिया के इलाज में भी किया जाता है। इसे पाउडर, लेप, काढ़े के रूप में डॉक्टर की सलाह से इस्तेमाल किया जा सकता है।
खुजली का आयुर्वेदिक इलाज : दवाएं
गंधक रसायन
दाद, खुजली के लिए आयुर्वेदिक दवा के रूप में यह हर्बल फॉर्मूला काफी प्रभावकारी है। गुड़, पिप्पली, अदरक, दालचीनी की पत्तियां और छाल, काली मिर्च, शहद आदि जड़ी-बूटियों को मिलाकर यह दवा तैयार की जाती है। यह दवा ब्लड को साफ करने में मदद करती है। इससे फोड़े, कुष्ठ और दूसरी क्रोनिक स्किन कंडीशन के उपचार में मदद मिलती है। इसका इस्तेमाल एक्जिमा के इलाज में भी किया जाता है। नतीजन, एक्जिमा की वजह से होने वाली खुजली कम हो जाती है।
मंजिष्ठादि क्वाथ (Manjishthadi kwatha)
यह आयुर्वेदिक क्वाथ 10 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों (जैसे-हरिद्रा, मंजिष्ठ, त्रिफला आदि) से मिलकर बनाया जाता है। इसे गठिया और डायबिटीज के आयुर्वेदिक इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। एक्जिमा की वजह से होने वाली खुजली को दूर करने के लिए इसको उपयोग में लाया जाता है।
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आरोग्यवर्धिनी वटी (Arogyavardhini vati)
यह आयुर्वेदिक दवा न केवल बिमारियों को ठीक करती है बल्कि पूरी हेल्थ को बेहतर बनाने में हेल्प करती है। इसके इस्तेमाल से दाद, सोरायसिस और एक्जिमा जैसे कई त्वचा रोगों को मैनेज करना आसान हो जाता है। इससे स्किन डिजीज की वजह से होने वाली खुजली भी कम होती है। खुजली के आयुर्वेदिक इलाज में उपयोग की जाने वाली इस दवा को नीम, त्रिफला, अभ्रक भस्म (calcined preparation of mica), और ताम्र भस्म (calcined preparation of copper) आदि के मिश्रण से बनाया जाता है।
ऊपर बताए गए खुजली के आयुर्वेदिक उपचार हर व्यक्ति की प्रकृति के आधार पर अलग-अलग होते हैं इसलिए, दवाओं और ट्रीटमेंट के लिए हमेशा आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
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क्या खुजली का आयुर्वेदिक इलाज प्रभावी है? (Ayurvedic Treatment Of Itching)
आयुर्वेदिक इलाज से ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके, इसके लिए पेशेंस और डिसिप्लिन रखने की जरुरत होती है। उपचार शुरू करने के दो सप्ताह के भीतर कंडीशन बेहतर महसूस हो सकती है। एक स्टडी से सामने आया कि जालुकवचारण कर्म (Jalaukavacharana Karma) जो कि एक आयुर्वेदिक मेथड है, के इस्तेमाल से एक्जिमा के उपचार में काफी मदद मिली। इसके उपयोग से एक्जिमा के लक्षणों में राहत मिली। वहीं सिरवेदना कर्म से पीट और रक्त दोष में आराम मिला। आंतरिक स्नेहापन और अभ्यंग के साथ तीन दिनों तक किया गया सिरवेदना कर्म से और बेहतर परिणाम मिलें।
खुजली के लिए आयुर्वेदिक दवा और इनके साइड इफेक्ट्स (Side effects of ayurvedic treatment)
दाद-खाज-खुजली का आयुर्वेदिक इलाज आयुर्वेदिक डॉक्टर की देखरेख में ही होना चाहिए। हर व्यक्ति की प्रकृति अलग होती है। इसलिए जरूरी नहीं है कि हर हर्ब सबके लिए फायदेमंद ही साबित हो। जैसे जिन लोगों में वात अधिक होता है, उन्हें दारुहरिद्रा के उपयोग में बहुत सतर्कता की आवश्यकता होती है। बिना डॉक्टर की सलाह से ली गई आयुर्वेदिक दवा या हर्बल प्रॉडक्ट स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकते हैं और स्थिति को और बदतर बना सकते हैं।
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आयुर्वेद के अनुसार खुजली वाले लोगों के लिए आहार और जीवन शैली में बदलाव
क्या करें?
- पुराने चावल, मूंग दाल, जौ, ककड़ी, कड़वी पत्तेदार सब्जियां आदि अपने आहार में शामिल करें।
- हल्का खाना खाएं।
- सेंधा नमक का सेवन करें।
- हल्के गुनगुने पानी से नहायें।
- कैफीन से दूर रहें।
- आहार और जीवन शैली को मौसम के हिसाब से मैनेज करें।
- सूती कपड़े पहनें।
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क्या न करें?
- मछली, रिफाइंड आटे के उत्पाद, दही, मूली, गुड़ आदि न खाएं।
- ज्यादा तला-भुना खाने से बचें।
- धूप में ज्यादा रहने से बचें।
- अधिक खट्टा या नमकीन न खाएं।
- ज्यादा और बार-बार खाने से बचें।
- मानसिक तनाव और चिंता से बचें।
- नमक को सीमित करें।
- दिन में नींद न लें।
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खुजली का आयुर्वेदिक इलाज व घरेलू उपाय
खुजली का आयुर्वेदिक इलाज जितना प्रभावी है उतना ही कभी-कभी घरेलू इलाज भी होता है।
- पित्त दोष की वजह से त्वचा पर लालिमा, सूजन और संक्रमण हो सकता है। इसके लिए प्रभावित हिस्से पर नारियल तेल अप्लाई करें।
- वात की अधिकता के कारण सूखी, पपड़ीदार, खुजलीदार त्वचा की समस्या होती है। इसे शांत करने के लिए, तिल या एवोकैडो तेल,अश्वगंधा, ब्राह्मी या कॉम्फ्रे के साथ बनाया गया वार्मिंग और पौष्टिक तेल चुनें।
- कफ दोष की वजह से त्वचा पर रोएंदार चकत्ते की समस्या दिखती है। ऐसे में तेल लगाने से बचें।
- खुजली प्रभावित त्वचा पर ठंडा, गीला कपड़ा या आइस पैक लगाएं। ऐसा करीब पांच से 10 मिनट तक करें या जब तक खुजली कम न हो जाए।
- ओटमील बाथ लें। यह बहुत सूदिंग हो सकता है। विशेष रूप से छाले या पपड़ीदार त्वचा के लिए जो चिकनपॉक्स, पित्ती या सनबर्न के कारण होता है।
- अपनी त्वचा को मॉइस्चराइज करें। हमेशा एडिटिव्स, फ्रेगरेंस और परफ्यूम फ्री माइल्ड मॉइस्चराइजर चुनें।
- अपनी खुजली का इलाज करते समय, त्वचा को खरोंचने से बचें।
- कूलिंग एजेंट जैसे मेन्थॉल या कैलामाइन को अप्लाई करें।
खुजली बहुत ही असहज हो सकती है। इसलिए, खुजली के कारण को जानकर उसका समय रहते इलाज कराना जरूरी है। आप चाहें तो इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।