backup og meta

मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स है पोषण के दो अहम सोर्स, जानिए एक्सपर्ट की राय

Written by नमित त्यागी, को-फाउंडर एंड हेड न्यूट्रीशनिस्ट · डायटेटिक्स और न्यूट्रिशन · Neuherbs & Neusafe India


अपडेटेड 04/07/2022

    मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स है पोषण के दो अहम सोर्स, जानिए एक्सपर्ट की राय

    हम रोजाना जो भी भोजन खाते हैं, उससे हमे पोषण मिलता है। न्यूट्रीशन के कारण ही शरीर का विकास होता है। न्यूट्रीशन यानी पोषण के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी बढ़ती है और साथ ही मेटाबॉलिक समस्याएं जैसे डायबिटीज की समस्या और हार्ट संबंधि समस्याओं के खतरे को कम करने में मदद मिलती है। आपने सुना होगा कि ‘हेल्थ इज वेल्थ’। अगर आपके पास अच्छी हेल्थ है तो आप बहुत धनी हैं। अच्छी हेल्थ के लिए अच्छा न्यूट्रीशन यानी पोषण भी बहुत जरूरी है। हम लोग अपनी डायट में बहुत कुछ शामिल करते हैं लेकिन ये जरूरी नहीं है कि हमे सभी फूड से अच्छा पोषण ही मिलता हो। हमे अपनी डायट के माध्यम से जरूरी और गैर-जरूरी दोनों प्रकार के न्यूट्रीशन मिलते हैं। अच्छे पोषण तत्व से मतलब मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स से है। मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स अच्छे पोषण के दो सोर्स हैं। अगर आपने मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के बारे में कभी नहीं पढ़ा है या फिर आप इसके बारे में नहीं जानते हैं तो इस आर्टिकल के माध्यम से आप जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

    पोषण के स्रोत : मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (Micronutrients and Macronutrients)

    लिविंग सेल्स और टिशू किसी भी ऑर्गेनिज्म के जीवन की इकाई होती है। सेल्स और टिशू से मिलकर ही शरीर के ऑर्गेन यानी अंग बनते हैं। कोशिकाएं सही तरह कार्य करें, इसके लिए जरूरी है कि उसे पोषण मिले। शरीर को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए न्यूट्रीशन चाहिए होता है क्योंकि ये फिजिकल एक्टिविटी के लिए बहुत जरूरी होता है। शरीर के विकास, शरीर के विभिन्न भागों में हुई क्षति को ठीक करने में और जर्म्स से सुरक्षा के लिए शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषण चाहिए होता है। हमारा शरीर पौधे की तरह स्वंय भोजन नहीं बना सकता है इसलिए हमे आहार लेने की जरूरत पड़ती है। हमारे शरीर को सुचारू रूप से काम करने के लिए मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की जरूरत पड़ती है। मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स बुनियादी पोषक तत्व हैं।

    ‘मैक्रो’ शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द मैक्रोस (“Macro” comes from the Greek word makros) से हुई है। इस शब्द का अर्थ है ‘बड़ा होना’। मैक्रोन्यूट्रिएंट्स शरीर को बड़ी मात्रा में पोषक तत्व प्रदान करता है। मैक्रोज को ग्राम में मापा जाता है। इसमे मुख्य रूप से वसा और  प्रोटीन शामिल हैं।वहीं ‘माइक्रो’शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द ‘माइक्रोस’ से हुई है जो शरीर को बहुत कम मात्रा में आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है।जिनकी माप मिलीग्राम या फिर माइक्रोग्राम में भी होती है। माइक्रोन्यूट्रिएंट्स में विटामिन और खनिज शामिल हैं। इसमे कैल्शियम, जिंक और विटामिन बी 6 आते हैं।

    और पढ़ें : इन पारसी क्यूजीन के बिना अधूरा है नवरोज फेस्टिवल, आप भी करें ट्राई स्वादिष्ट पारसी रेसिपीज

    मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के सोर्स क्या हैं (Source of Micronutrients and Macronutrients) ?

    पोषण के स्त्रोत मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का शरीर के लिए आपने महत्व तो समझ लिया ही होगा। अब जानिए कि कौन-से फूड शरीर में मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी को पूरा करने का काम करते हैं। यहां ऐसे ही कुछ फूड के बारे में जानकारी दी जा रही है।

    शरीर के लिए कार्बोहाइड्रेट का महत्व (Carbohydrate)

    कार्बोहाइड्रेट शरीर की ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है। आपको ऐसे में सामान्य की जगह कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट का चुनाव करना चाहिए। आप खाने में सब्जियां, फल, साबुत अनाज और फलियां चुन सकते हैं। इन सभी में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है और साथ ही इनका सेवन करने के बाद जल्द भूख नहीं लगती है। आप जब भी फलियां और फल और सब्जियों का चुनाव करें तो ध्यान रखें कि इनका रंग हल्का नहीं होना चाहिए। वहीं रिफाइंड ग्रेन्स, ब्रेड और पेस्ट्री में फाइबर लगभग

    न के बराबर होता है। फाइबर का सेवन शरीर को कई प्रकार की बीमारियों से बचाने का काम करता है। फाइबर पाचन को सुधारने का काम करता है और साथ ही कब्ज की समस्या से भी राहत दिलाता है। फूड में फाइबर की उचित मात्रा ब्लड सुगर नियंत्रित रखने और कोलेस्ट्रॉल कम

    करने में भी सहायता करती है।

    प्रोटीन (Proteins) का महत्व

    प्रोटीन सेल्स के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। साथ ही ये सेल्स की मरम्त के लिए भी जरूरी होती है। यानी मसल्स की सुरक्षा के लिए प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा का सेवन जरूर करना चाहिए। प्रोटीन शाकाहारी और मांसाहारी भोजन से प्राप्त की जा सकती है।

    और पढ़ें : अल्सरेटिव कोलाइटिस रोगी के डाइट प्लान में क्या बदलाव करने चाहिए?

    प्रोटीन के लिए एनिमल सोर्स (Animal  Source)

    प्रोटीन के लिए खाने में मांस, मछली, अंडा, दूध, पनीर आदि को शामिल किया जा सकता है।

    प्रोटीन के लिए प्लांट सोर्स ( Plant Source)

    प्रोटीन के लिए प्लांट सोर्स में दालें, अनाज, नट्स, बीन्स, मटर आदि शामिल किया जा सकता है।

    वसा का शरीर के लिए महत्व (Fat importance for body)

    भले ही फैट यानी वसा का नाम सुनकर लोग घबरा जाए लेकिन एक बात का ध्यान रखें की अच्छा वसा स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने का काम करता है। वसा का सेवन करने से शरीर न्युट्रिएंट्स को आसानी से ग्रहण करता है और साथ ही फिजिकल प्रोसेस में भी अहम भूमिका निभाता है। हेल्दी फैट के लिए नट्स और सीड्स के साथ-साथ ऑयल जैसे कि ऑलिव ऑयल, मूंगफली का तेल और सरसों का तेल खाने में शामिल करना चाहिए। फैट कई प्रकार के होते हैं इसलिए  आपको इन बातों का ध्यान रखना पड़ेगा कि आप कौन-सा फैट ले रहे हैं।

    विटामिन और खनिज का शरीर के लिए महत्व (Fat importance for body)

    शरीर में विटामिन और मिनिरल्स की कुछ मात्रा आवश्यक होती है लेकिन इनकी कमी होने पर शरीर में समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। ऐसे में आपको खाने में विटामिन और मिनिरल्स की पर्याप्त मात्रा भी शामिल करनी चाहिए। विटामिन और मिनिरल्स माइक्रोन्यूट्रिएंट्स होते हैं जो शरीर को फल और सब्जियों के माध्यम से प्राप्त हो जाते हैं।

    और पढ़ें : वात: इस दोष को संतुलित करने के लिए बदलें अपना डाइट प्लान

    शरीर के लिए पोषक तत्वों की कितनी मात्रा है जरूरी ?

    आप शरीर के लिए जरूरी मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को प्राप्त करने के लिए डायट लिस्ट बना सकते हैं और अपनी पसंदीदा रेसिपी बनाकर उसे खाने में शामिल कर सकते हैं। सेडेंट्री लाइफस्टाइल में लगभग 2000 केकैल चाहिए जिसमें कार्बोहाइड्रेट का 60 प्रतिशत, वसा का 25 प्रतिशत, प्रोटीन का 15 प्रतिशत शामिल हो। माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की तुलना में मैक्रोन्यूट्रिएंट का आकलन आसान है। मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की मात्रा का आंकलन आप उपयोग के दौरान लगा सकते हैं। आप 100 ग्राम पनीर या बिना पकी 30 ग्राम दाल में प्रोटीन, वसा और कार्ब्स का आसानी से आकलन कर सकते हैं। एक बात का ध्यान रखें कि खाने में ताजे फलों और सब्जियों का ही उपयोग करें। ये आपकी रोजाना की जरूरत को पूरा करेगा। साथ ही सभी प्रकार की फलियां, अनाज को शामिल करें।

    ऐसे सजाएं प्लेट में संतुलित आहार

    खाना खाने से पहले अपनी प्लेट को बैलेंस्ड डायट से सजाना चाहिए। आपको खाने में एक जैसे पोषक तत्वों वाले आहार को शामिल नहीं करना चाहिए बल्कि पोषण के विभिन्न सोर्स को शामिल करना चाहिए। आप आधी प्लेट में रंगीन सब्जियां और बिना स्टार्च वाली सब्जियां सजा सकते हैं। खाने की प्लेट में एक चौथाई भाग आप कार्ब से युक्त आहार, बाकी एक चौथाई हिस्से में प्रोटीन से भरपूर फूड को शामिल करें। खाने में गुड फैट यानी अच्छा वसा शामिल करना न भूलें। अगर आपको लंच के कुछ समय बाद भूख लगे तो भारी भोजन करने से अच्छा है कि आप स्नैक में फलों का सेवन करें। आप खाने लिक्विड डायट को शामिल करना न भूलें। खाने के साथ ही पानी की पर्याप्त मात्रा भी शरीर में जरूर पहुंचनी चाहिए। इन बातों का ध्यान रख आप संतुलित आहार का सेवन कर सकते हैं और साथ ही हेल्दी बने रह सकते हैं।

    इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आप आप अपने डॉक्टर से मिलें। इसके अलावा, आप अपने प्लेट में ऐसे फूड्स शामिल करें, जिनसे आपको सभी जरूरी पोषण त्

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    Written by

    नमित त्यागी, को-फाउंडर एंड हेड न्यूट्रीशनिस्ट

    डायटेटिक्स और न्यूट्रिशन · Neuherbs & Neusafe India


    अपडेटेड 04/07/2022

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement