डांस यानी नृत्य किसी भी देश की कला, संस्कृति के साथ ही प्राचीन सभ्यताओं की जानकारी भी देता है। नृत्य कहां से आया या फिर भारत में ये कितना पुराना है ? इस प्रश्न का जवाब है कि नृत्य का विकास भरत मुनि के नाट्यशास्त्र से भी पहले हो चुका था। भले ही आज के समय में डांस या नृत्य को केवल हॉबी के रूप में अपनाया जाता हो, लेकिन भारतीय नृत्य के स्वास्थ्य को भी बहुत से लाभ मिलते हैं।
भारतीय नृत्य प्राचीन नृत्य माना जाता है। भरटनाट्यम, कुचिपुड़ी, ओडिसी, कत्थक, कथकली, मणिपुरी, मोहिनी अट्टम, कृष्णअट्टम और यक्षगान भारतीय नृत्य के प्रकार हैं। डांस के अलग-अलग प्रकार में अलग कहानियां होती हैं। शरीर के विभिन्न हिस्सों की सहायता से नृत्य किया जाता है। चूंकि डांस के दौरान शरीर के विभिन्न अंगों का उपयोग होता है, इसलिए भारतीय नृत्य के अपने स्वास्थ्य लाभ हैं।
अगर आप इंडियन क्लासिकल के शौकिन हैं तो यह डांस आपको फिट रखने में मदद कर सकता है। इंडियन क्लासिकल डांस के स्टेप्स करने से कैलोरी बर्न होने में सहायता मिलती है। कत्थक में पैरों के मूवमेंट पर ज्यादा जोर दिया जाता है, तो वहीं भरतनाट्यम में हाथों की मुद्राओं पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। कुचिपुड़ी और ओड़िसी डांस योगा से कुछ हद तक प्रभावित हैं। क्लासिकल डांस से शरीर का पॉश्चर सही रहता है और शरीर में लचीलापन आता है, जिसकी वजह से वजन नियंत्रित रहता है।
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कैलोरी बर्न करने के लिए भारतीय नृत्य
आप हॉबी के रूप में इंडियन डांस करना पसंद करती हैं तो आपके शरीर को कैलोरी बर्न करने के लिए अन्य एक्सरसाइज की जरूरत नहीं है। डांस को रेगुलर किया जाए तो बॉडी को फिट रखने के लिए आवश्यक कैलोरी को बर्न किया जा सकता है। साथ ही नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है। बॉडी का ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। जो लोग भरतनाट्यम करते हैं उनका एक तरह का कार्डियो वर्कआउट भी साथ में हो जाता है और साथ ही ब्लड सर्कुलेशन भी सही होता है। भारतीय नृत्य से शारीरिक और मानसिक लाभ भी मिलता है। भारतीय नृत्य को रोजाना करने से मेमोरी और इमेजिनेशन की पावर भी बढ़ती है क्योंकि डांस के समय लॉन्ग सीक्वेंस को याद रखना पड़ता है। यानी एक डांस से कैलोरी बर्न होने के साथ ही अन्य फायदे भी पहुंचते हैं।
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होती है आंखों की एक्सरसाइज
अगर आपने इंडियन फॉम डांस देखें होंगे तो उनमे आंखों के माध्यम से किए जाने वाले एक्सप्रेशन भी देखे होंगे। ऐसा करने से आंखों की एक्सरसाइज भी हो जाती है। डांस के दौरान आइज मसल्स का अच्छा वर्कआउट हो जाता है। डांस के वक्त आंखों को एक साइड से दूसरी साइड ले जाना पड़ता है। ऐसा करने से आइज की सभी मसल्स का इस्तेमाल होता है। ऐसा करने से आइज का मूवमेंट दुरस्त रहता है। आप अगर भारतीय नृत्य के बारे में अधिक नहीं जानते हैं तो कुछ भारतीय नृत्य आप देख सकते हैं। इससे आपको पता लग जाएगा कि किस तरह से डांस के दौरान शरीर के विभिन्न हिस्सों का प्रयोग किया जाता है।
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भारतीय नृत्य से मिल सकता है अर्थराइटिस की समस्या से छुटकारा
क्या आप जानते हैं कि भारतीय नृत्य करने से अर्थराइटिस, मसल्स डिजनरेशन, नर्वस डिसऑर्डर, टेनिस एल्बो, नी एल्मेंट्स आदि से राहत मिल सकती है। डांस थेरिपी आपकी सभी परेशानियों को दूर करने में मदद कर सकती है। भारतीय नृत्य के दौरान अपनाई जाने वाली छिन्नमुद्रा के दौरान पहली फिंगर को अंगूठे के साथ जॉइंट किया जाता है और बाकी फिंगर्स को खुला रखा जाता है। ऐसा करने से ब्लड सर्कुलेशन ठीक तरीके से होता है। ऐसा नहीं है कि भरतनाट्यम केवल आपको फिट रखता है, बल्कि जो महिलाएं प्रेग्नेंट हैं, उनके लिए भी भरटनाट्यम सेफ है। डांस सीक्वेंस सेफ होने के कारण फ्लेक्सिबिलिटी, मोबिलिटी और स्ट्रेंथ बनी रहती है और साथ ही रेस्पिरेट्री सिस्टम भी अच्छा रहता है।
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भारतीय लोक नृत्य से होने वाले फायदे
अगर आप सोच रहे हैं कि आखिरकार भारतीय लोक नृत्य यानी डांस से शरीर को फायदा क्यों पहुंचता है, इसके पीछे भी कोई बड़ा लॉजिक नहीं है। हम लोग रोजाना वॉक पर जाते हैं या स्टेयर्स चढ़ते हैं या फिर वर्कआउट करते हैं तो बॉडी के लगभग सभी पार्ट का यूज करते हैं। ऐसा करने से मसल्स का भी यूज होते हैं। बॉडी जब मूवमेंट में रहती है तो कार्डियोवस्कुलर हेल्थ के साथ ही स्ट्रेंथ में भी बैलेंस रहती है। यहीं कारण है कि इंडियन डांस शरीर को मजबूत बनाने का काम करता है।
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भारतीय लोक नृत्य से ब्रेन को मिलता है चैलेंज
जो लोग रोजाना भारतीय लोक नृत्य करते हैं, उनकी मेंटल हेल्थ भी अच्छी रहती है। डांस के मूवमेंट के साथ ही पैटर्न को याद रखना यानी ब्रेन को चैलेंज देना होता है। डांस के दौरान अधिक फोकस की जरूरत पड़ती है। जो लोग डांस को बेहतरीन ढंग से करते हैं उनमें फोकस करने की अच्छी क्षमता होती है।
भारतीय नृत्य को मेंटल एक्सरसाइज का बेहतरीन फॉम कहा जा सकता है। डांस सीखने के दौरान कई लोगों से मिलना होता है, ऐसे में सोशल होना भी आम बात होती है। जो लोग अकेलापन महसूस करते हैं, वे इस तरह की एक्टिविटी को अपनाकर अपना अकेलापन दूर कर सकते हैं। साथ ही डिप्रेशन जैसी समस्या से भी छुटकारा पा सकते हैं।
अगर आपकी किसी भी प्रकार की कोई हेल्थ कंडीशन है या फिर शरीर में कोई इंजुरी है तो डांस करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें। ऐसे में बिना डॉक्टर की सलाह के डांस करना आपके लिए घातक सिद्द हो सकता है। डांस दिमाग को एक्टिव रखने में मदद करता है। अगर आप डांस के अन्य प्रकार को पसंद करती हैं तो उसे भी अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा बना सकती हैं।
ये जरूरी नहीं है कि आप पतली हैं तो डांस न करें क्योंकि डांस शरीर को अन्य प्रकार से भी लाभ पहुंचाता है। अगर आपको किसी प्रकार की चिंता हो रही है तो डांस की हेल्प से रिलैक्स हो सकती हैं। आप चाहे तो डांस सीखने के लिए कोरियोग्राफर की हेल्प भी ले सकती हैं। अपनी पसंद के बारे में कोरियोग्राफर से सलाह भी ले सकती हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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