थोड़ी सी भी उदासी होने के बाद अक्सर लोग खुद को डिप्रेशन में समझने लगते हैं। ब्रेकअप हुआ तो डिप्रेशन, ऑफिस में कोई दिक्कत हुई तो डिप्रेशन या कोई अन्य पारिवारिक। हर चीज को डिप्रेशन से जोड़कर देखना सही नहीं होता है। दरअसल, डिप्रेशन और उदासी में अंतर होता है। डिप्रेशन की शुरुआत भले ही उदासी से हो सकती है लेकिन, इसमें एक बड़ा अंतर है। किसी को सलाह देने से पहले आप भी डिप्रेशन और उदासी में अंतर को समझ लें।
डिप्रेशन और उदासी में अंतर?
डिप्रेशन और उदासी में अंतर 1. क्या आप अभी भी अपनी मनपसंद चीजों को इंजॉय करते हैं?
उदासी: दुखी होने से पहले आपको जो चीजें बहुत पसंद थीं अगर वह आज भी आपको खुशी देता है, इसका मतलब है कि आपको डिप्रेशन नहीं है। हालांकि एकदम से आप इनसे खुश नहीं हो सकते लेकिन, इनमें एक बार इंवोल्व होने के बाद आप भले ही कुछ देर के लिए लेकिन अपना दुख भूल जाते हैं।
डिप्रेशन: तनाव में रहते हुए व्यक्ति उन चीजों से भी खुश नहीं होता जिन्हें, कभी वह पसंद किया करता था। यदि आपको घूमना—फिरना अच्छा लगता था या दोस्तों के साथ क्रिकेट या फूटबॉल खेलना अच्छा लगता था तो डिप्रेशन में व्यक्ति इन चीजों से भी दूर हो जाता है।
डिप्रेशन और उदासी में अंतर 2. क्या आप किसी एक विशेष कारण से ही परेशान हैं?
उदासी: ऐसे मामले में उदासी और मानसिक तनाव में अंतर करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। उदासी किसी भी कारण से हो सकती है, किसी करीबी की मौत, घर से दूरी आदि। तनाव से अलग इसमें बस यह है कि कुछ वक्त के बाद यह ठीक हो जाती है या कम हो जाती है।
डिप्रेशन: तनाव भी किसी एक विशेष कारण से हो सकता है या फिर अकारण भी हो सकता है। तनाव वाला व्यक्ति किसी भी नेगेटिव इवेंट में बहुत खराब तरह से पेश आता है। ऐसे लोगों के लिए छोटी से छोटी घटना भी बहुत दर्दनाक हो जाती है।
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डिप्रेशन और उदासी में अंतर 3. क्या आप पहले की ही तरह खाना—पीना और सोना कर रहे हैं?
उदासी: किसी भी अनहोनी घटना के बाद यदि आपको भूख—प्यास सही से लग रही है, आप काम के लिए बाहर भी जा रहे हैं या आपकी नींद में भी कोई परेशानी नहीं है तो आप डिप्रेस नहीं हैं।
डिप्रेशन: तनाव में आने के बाद आपकी भूख—प्यास, उठने—सोने आदि में बदलाव हो जाता है। यह भी हो सकता है कि आपको नींद ही न आए या आप पूरा दिन या रात सोएं ही ना। किसी भी चीज का कोई फायदा नहीं है, बस इस सोच के कारण ही यह बदलाव होता है।
डिप्रेशन और उदासी में अंतर 4. क्या आप खुद को सजा देने या खुद को बुरा—भला कहते रहते हैं?
उदासी: कई बार एक्सपेक्टेशन के मुताबिक काम नहीं हो पाने के कारण आप खुद को कोसने लगते हैं। कई बार किसी घटना के लिए भी आप खुद को बुरा—भला कहने लगते हैं या आप खुद को ही दोषी मान लेते हैं। उदासी में ऐसा होता है पर डिप्रेशन के इतर आप इनपर ही अटके नहीं रहते हैं। इसके कारण आप हर चीज को नहीं कोसते।
डिप्रेशन: इसमें आप खुद को हद पार करके सजा देने की सोचते हैं। इसमें खुदकुशी भी जुड़ी है। आप खुद को नाकाबिल, बुरा कहकर बार—बार कोसते रहते हैं।
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डिप्रेशन और उदासी में अंतर 5. क्या आपके मूड में बदलाव आता है?
उदासी: उदासी हमेशा नहीं बनी रहती। ऐसे कई मौके आते हैं जब आप उदासी को भूलकर खुश हो जाते हैं।
डिप्रेशन: जब मोडरेट डिप्रेशन होता है तब दिन भर आपका मूड लो होता है। सिवियर डिप्रेशन में आप लगातार बेहद डिप्रेश महसूस करते हैं। यह दिन या रात के अनुसार नहीं बदलते।
ऊपर बताई गई डिप्रेशन और उदासी में अंतर से यह समझना आसान हो सकता है की व्यक्ति उदास है डिप्रेस्ड है।
उदासी और डिप्रेशन के इलाज में भी है अंतर
उदासी को आप खुद से भी सुलझा सकते हैं। अगर आप उदास हैं तो किसी करीबी से बात करें, अच्छा खाएं, नींद पूरी करने पर ध्यान दें। कुछ वक्त बाद आपकी उदासी गायब हो जाएगी। डिप्रेशन को दूर कर पाना थोड़ा मुश्किल होता डिप्रेशन से कई मानसिक विकार जुड़े हुए हैं। इसलिए डिप्रेशन को ठीक करने के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग किया जाता है। डिप्रेशन में हैं या कोई करीबी डिप्रेशन में है तो डॉक्टर से मिलकर सलाह लेना जरूरी हो जाता है।
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डॉक्टर से कब मिलें?
डिप्रेशन और उदासी में अंतर सझने के बाद डिप्रेशन से पीड़ित लोगों को समझा जा सकता है। इसलिए निम्नलिखित लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से संपर्क करें। इन लक्षणों में शामिल है:-
- अगर कोई व्यक्ति ज्यादा सोता है या फिर नींद नहीं आना
- किसी से मिलने की इच्छा न होना
- मन में हमेशा नकारात्मक विचारधारा होना
- खुशी के मौकों पर भी दुखी ही रहना
- किसी के सवाल का जवाब चिढ़कर या झल्लाकर जवाब देना
- अकेले रहना ज्यादा पसंद करना
- हमेशा थका हुआ महसूस करना
- वजन अचानक बढ़ जाना या तेजी से कम हो जाना
- सिरदर्द और हमेशा बॉडी पेन की शिकायत करना
- मांसपेशियों में दर्द महसूस होना
- खाने की इच्छा न होना या बहुत ज्यादा खाना खाना
इन ऊपर बताई गई लक्षणों के साथ-साथ अगर व्यक्ति खुद को बार—बार अपने आपको कोसने लगे हैं या आप जिंदगी को जीना ही नहीं चाहते तो डॉक्टर से मिल लें। अगर आपको लगता है कि आप खुद को चोट पहुंचा सकते हैं या सुसाइड कर सकते हैं, तो तुरंत लोकल एमरजेंसी नंबर पर कॉल करें। क्योंकि अगर डिप्रेशन की समस्या ज्यादा है, तो व्यक्ति निम्नलिखित कदम भी उठा सकता है। जैसे-
- आत्महत्या या खुद को हानि पहुंचाने की बात करना
- निराशा की प्रबल भावनाओं को व्यक्त करना
- लापरवाही से कार्य करना
- हमेशा मरने की बातें करना
- अचानक से बेहद उदास होने के बाद शांत और खुश हो जाना (अचानक व्यवहार का बदलना)
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डिप्रेशन और उदासी में अंतर होता है। उदासी कुछ वक्त बाद खत्म हो जाती है लेकिन, डिप्रेशन को दोस्त नहीं डॉक्टर ही खत्म करने में मदद कर सकता है। इसलिए अगर आपके घर में कोई डिप्रेशन के शिकार हैं या आप डिप्रेशन और उदासी में अंतर नहीं समझ पा रहे हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें। इससे जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।