अनुवांशिक या पर्यावरण के कारण फोबिया हो सकता है। जिन बच्चों के रिश्तेदार इस बीमारी से पीड़ित होते हैं उनको यह बीमारी होने की संभावना अधिक होती है। फोबिया बहुत अधिक ऊंचाई, जानवरों या मच्छरों के संपर्क में आने से पैदा हो सकता है।
लंबे समय से चल रही दवाईयों की वजह से या किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या की वजह चिंता में रहने वाले लोगों को भी फोबिया हाे सकता है। यदि कोई व्यक्ति नशीले पदार्थों का सेवन करता है जैसे ड्रग्स, शराब और स्मोकिंग तो यह भी फोबिया का कारण बन सकता है।
इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं
जैविक कारक : मस्तिष्क में कुछ ऐसे रसायन होते हैं जिन्हें न्यूरोट्रांसमीटर कहा जाता है। मनुष्य जो भी महसूस करता है उसे दिमाग तक पहुंचाने का कार्य यही करते हैं। सेरोटोनिन और डोपामाइन दो न्यूरोट्रांसमीटर होते हैं जो आपके अवसाद और फोबिया का कारण बन सकते हैं।
पारिवारिक काराक : जिस व्यक्ति को अपने परिवार से चिंता या किसी प्रकार का डर विरासत मे मिलता है उसे फोबिया होने की संभावना अधिक होती है। जिस तरह बच्चा अपने माता-पिता से नैन नक्श, हाइट और रंग रूप लेता है उसी तरह वह चिंता करने की प्रवृत्ति भी अपने परिवार से ले सकता है।
ऐसा उसके स्वभाव में खुद ही आ जाता है क्योंकि वह घर में चिंता के माहौल मे पला होता है। उदाहरण के लिए एक बच्चा जिसके माता-पिता कॉकरोच से डरते हैं तो उनका बच्चा भी कॉकरोच से डरना सीख सकता है।
पर्यावरण कारक : एक दर्दनाक घटना जिसका अनुभव करके व्यक्ति मानसिक रूप से नकरात्मक सोच बना लेता है जैसे कि तलाक, बीमारी या परिवार में किसी की मौत हो जाने जैसी घटनाओं से चिंता करके वह जीवन भर अवसाद में जीता है।
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ऐसे ही कुछ लोगों को तूफान यहां तक कि कुछ लोग एक सुईं से भी डरते हैं। दरअसल, डर केवल हमारे मन में होता है। कोई चीज हमें तब तक डरा सकती है, जब तक हम उससे डरना चाहते हैं। इसलिए, अपने मन से हर तरह का डर निकाल दें। लेकिन, अगर यह डर आपके मन में घर कर चुका है, जिससे आपका रोजाना का जीवन प्रभावित हो रहा है, तो डॉक्टर से मिलें और इस फोबिया का सही इलाज कराना न भूलें।