आपकी आंखें सभी रंग देख सकती हैं! अगर आपका जवाब हां है तो जरा एक बार फिर से सोच लें। कहीं आपको लाल या हरे रंग में भ्रम तो नहीं है? अगर ‘हां’ तो आपको कलर ब्लाइंडनेस हो सकता है। कलर ब्लाइंडनेस (Color blindness) को हिंदी में वर्णांधता कहा जाता है। हैरानी की बात तो यह है कि कलर ब्लाइंडनेस से महिलाओं के तुलना में पुरुष ज्यादा प्रभावित रहते हैं। इस आर्टिकल में आप वर्णांधता के बारे में बहुत कुछ जानेंगे और इसके समाधान माने जाने वाले एनक्रोमा ग्लासेस की जानकारी भी मिलेगी।
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कलर ब्लाइंडनेस (Color blindness) क्या है?
वर्णांधता यानी कि वर्णों में अंधापन। नाम से ही जाहिर है कि जो लोग रंगों में भेद नहीं कर पाते हैं, उन्हें कलर ब्लाइंड (Color blindness) कहा जाता है। जिन्हें वर्णांधता होती है, वे लोग सामान्यतः लाल और हरे रंगों में अंतर नहीं कर पाते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो लोग लाल, हरे के साथ-साथ नीले रंग में भी अंतर नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोगों को सड़क पर वाहन चलाते समय बड़ी समस्या होती है। ट्रैफिक लाइट में लाल और हरे में अंतर नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा उन्हें सामान्य व्यक्ति की तुलना में रंगों को लेकर हमेशा समस्या होती है।
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कलर ब्लाइंडनेस (Color blindness) के लिए क्या कहते हैं डॉक्टर?
इस संबंध में हैलो स्वास्थ्य ने वाराणसी के टंडन नर्सिंग होम के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराग टंडन से बात की। डॉ. अनुराग टंडन ने बताया कि, ‘ब्लाइंड लोगों की जिंदगी में रंगों की कमी होती है। उन्हें अक्सर रंगों को पहचानने में समस्या होती है। ये समस्या पुरुषों में जीन्स डिफेक्ट के कारण ज्यादा होती है। महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा रंग देख पाती हैं, लेकिन लगभग हर दसवें पुरुष में ये समस्या देखने को मिलती है। राहत की बात यह है कि ज्यादातर पुरुष हल्के या माइल्ड कलर ब्लाइंड होते हैं। इस समस्या का कोई सटीक इलाज नहीं है, लेकिन बाजार में मौजूद कलर ब्लाइंडनेस के लिए चश्मे मौजूद हैं। जो कुछ हद तक ऐसे लोगों को रंगों को देखने में मदद करते हैं।’
वर्णांधता का क्या कारण है? (Cause of Color blindness)
वर्णांधता के लिए हमारी रेटिना जिम्मेदार होती है। रेटिना दो तरह की कोशिकाओं से बनी होती है, जो प्रकाश की पहचान करता है। इन कोशिकाओं का नाम रॉड और कोन सेल है। रॉड सेल प्रकाश और अंधेरे के लिए संवेदनशील होता है। जबकि कोन सेल रंगों को पहचानने और नजर (Vision) को केंद्रित करने का काम करती है।
कोन सेल तीन प्रकार की होती हैं, जो लाल, हरे और नीले रंगों को देख पाती हैं। हमारा मस्तिष्क कोन सेल द्वारा भेजे गए संदेश से ही रंगों को पहचान सकता है। लाल, हरा और नीला प्राइमरी रंगों के रूप में जाना जाता है। जिसे संक्षेप में RGB (Red, green, blue) कहा जाता है। इन्हीं तीन रंगों से मिलकर सभी रंगों का निर्माण होता है। हमारे आसपास की सभी चीजों का रंग इन्हीं तीन रंगों के मिलने से बनता है।
कलर ब्लाइंडनेस के मामले में आंखों से एक या एक से अधिक कोन सेल नहीं रहती है या फिर काम नहीं करती हैं। वर्णांधता के कुछ मामलों में तीनों रंगों की कोन सेल अनुपस्थित रहती हैं।
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कलर ब्लाइंडनेस कितने प्रकार की होती है? (Types of Color blindness)
वर्णांधता दो प्रकार की होती है। पहली माइल्ड कलर ब्लाइंडनेस है, जिसमें आंखों में तीनों रंगों की कोन सेल होती है, लेकिन कोई एक रंग को कोन सेल पहचानने में असमर्थ रहती है या कुछ निश्चित रोशनी में रंगों को नहीं पहचान पाता है।
दूसरा जटिल कलर ब्लाइंडनेस होता है। जिसमें व्यक्ति को सभी चीजें ग्रे रंग की दिखाई देती हैं, लेकिन यह दुर्लभ मामला है। वर्णांधता एक नहीं, बल्कि दोनों आंखों को प्रभावित करती है। इससे प्रभावित व्यक्ति को वर्णांधता के साथ पूरी जीवन जीना पड़ता है।
ज्यादातर पुरुष ही क्यों होते हैं कलर ब्लाइंड (Color blindness)?
सबसे पहले ये जान लीजिए कि कलर ब्लाइंड जैसी समस्या अनुवांशिक होती है। कलर ब्लाइंड की समस्या पीढ़ी दर पीढ़ी माता-पिता से बच्चों में ट्रांसफर होती रहती है। वर्णांधता का गणित को समझने के लिए पहले गुणसूत्रों को समझना होगा।
मनुष्यों में 23 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं, जिसे हम 46 गुणसूत्र कह सकते हैं। इन 46 गुणसूत्रों में से किसी गुणसूत्र पर वर्णांधता का जीन्स मौजूद होता है। महिला के पास XX क्रोमोसोम (गुणसूत्र) और पुरुष के पास XY क्रोमोसोम होते हैं। दोनों के X* क्रोमोसोम पर ही वर्णांधता का जीन्स रहता है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि माता-पिता दोनों में ही कलर ब्लाइंड समस्या के जीन्स हो।
उदाहरण के तौर पर अगर पिता सामान्य है और माता के एक जीन्स में कलर ब्लाइंड के लिए जिम्मेदार जीन है तो ऐसे मामले में पुत्र और पुत्री पर अलग-अलग असर देखने को मिलेगा। दोनों का क्रोमोसोम मिलने से अगर पुत्री पैदा होती है तो वह कलर ब्लाइंड जीन्स की कैरियर होगी। पुत्री X*X क्रोमोसोम के साथ जन्म लेगी, लेकिन अगर दंपति को बेटा पैदा होता है तो X*Y क्रोमोसोम के साथ बेटा वर्णांध पैदा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि कलर ब्लाइंड के मामले में X क्रोमोसोम ज्यादा प्रभावी होता है और Y कम प्रभावी होता है।
यही कारण है कि 12 में से 1 पुरुष कलर ब्लाइंड होता है, वहीं 200 में से कोई एक महिला वर्णांध होती है। क्योंकि ज्यादातर महिलाएं कल ब्लाइंड जीन्स की कैरियर होती हैं। भारत में लगभग एक करोड़ से ज्यादा लोग वर्णांध हैं।
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कलर ब्लाइंडनेस के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Color blindness)
नाम से ही पता चल रहा है कि कलर ब्लाइंड लोगों के निम्न लक्षण हो सकते हैं :
- कलर ब्लाइंड व्यक्ति को लाल-हरे-नीले रंगों में अंतर करने में समस्या होती है।
- ऐसे लोगों को रंगों को पहचानने में परेशानी होती है, वे लाल, पीले, हरे, नीले रंगों में अंतर नहीं कर पाते हैं।
वर्णांध होने की समस्या कुछ अन्य बीमारियों के साथ भी हो सकती है :
- लेजी आई
- निस्टैगमस
- प्रकाश के प्रति आंखों का अधिक संवेदनशील होना
- नजरों का कमजोर होना
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क्या कुछ बीमारियों के कारण भी कलर ब्लाइंडनेस (Color blindness) हो सकता है?
कलर ब्लाइंड होने की समस्या का कारण कभी-कभी मस्तिष्क और आंखों की बीमारियां भी हो सकती हैं। जिनके कारण आंखों में कोन सेल डैमेज हो जाती हैं। जैसे-
- ग्लॉकोमा या मैक्यूलर डिजेनरेशन जैसी आंखों की बीमारियां।
- अल्जाइमर या मल्टिपल स्क्लेरोसिस जैसी मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियां।
- आंखों और ब्रेन में चोट लगना।
- मोतियाबिंद के कारण भी रंगों को पहचानने में समस्या होती है।
कलर ब्लाइंडनेस का निदान कैसे करें? (Diagnosis of Color blindness)
वर्णांधता की समस्या होने पर जब लक्षण सामने आते हैं तो आपको नेत्र रोग विशेषज्ञ या ऑफ्थैल्मोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए। जो आपके आंखों की जांच करके रंगों के लिए अंधापन का पता लगाते हैं। डॉक्टर किसी पैटर्न में बने हुए कई रंगों के डॉट्स के चित्र या आकार दिखाते हैं। अगर आपको कलर ब्लाइंड जैसी समस्या है तो आप आकृतियों के बीच में लिखे नंबरों या अक्षरों को नहीं देख पाएंगे।
कलर ब्लाइंडनेस का इलाज क्या है? (Treatment for Color blindness)
फिलहाल कलर ब्लाइंडनेस का कोई स्थायी इलाज इजात नहीं हो पाया है, लेकिन कलर ब्लाइंड व्यक्ति के लिए ऐसे चश्मे बने हैं, जिससे रंगों को देखने में कुछ हद तक मदद मिलती है। वहीं, कुछ लक्षणों के लिए डॉक्टर दवा देते हैं।
कलर ब्लाइंडनेस (Color blindness) के लिए एनक्रोमा ग्लास क्या है?
कलर विजन डेफिशिएंसी यानी कि वर्णांधता में एनक्रोमा ग्लास का इस्तेमाल किया जाता है। कलर विजन डेफिशिएंसी से पीड़ित व्यक्ति कलर शेड्स की गहराइयों को नहीं देख पाता है। एनक्रोमा ग्लास इस प्रकार निर्मित ग्लास होते हैं जो व्यक्ति को रंगों में अंतर करने में मदद करते हैं। एनक्रोमा ग्लास का चलन अभी सिर्फ एक दशक पहले से ही प्रचलन में आया है। जो लोग जन्मजात वर्णांध होते हैं, उनके लिए एनक्रोमा ग्लास वरदान की तरह है। वे लोग अपने जीवन में रंगों को देख सकते हैं।
एनक्रोमा ग्लासेस कलर ब्लाइंड (Color blindness) व्यक्ति की मदद कैसे करता है?
एनक्रोमा ग्लास के पीछे की साइंस को समझना जरूरी है कि ये रंगों के साथ काम कैसे करता है। जैसा कि हमने पहले ही बताया है कि हमारी आंखे तीन रंगों- लाल, हरे और नीले रंग को देख सकती हैं। ये तीनों रंगों के फोटोपिग्मेंट को ही कोन सेल कहते हैं। जब ये फोटोपिग्मेंट सही से काम नहीं करते हैं तो कलर विजन डिफिशियेंसी होती है।
एनक्रोमा ग्लासेस मुख्य रूप से उन डॉक्टर्स के लिए बनाया गया था जो लेजर सर्जरी की प्रक्रिया को करते हैं। जिससे डॉक्टर्स को दिखाई देता है कि लेजर किधर और कितना गहरा जा रहा है। एनक्रोमा ग्लास पर कलर पिग्मेंट की एक ऐसी कोटिंग चढ़ाई जाती है, जिससे रंगों को सही तरीके से देखा जा सके।
2017 में 10 वर्णांध लोगों पर एक रिसर्च की गई। ये लोग लाल और हरे रंगों में अंतर नहीं कर पा रहे थे। इन सभी को एनक्रोमा ग्लासेस लगाने के लिए दिया गया, लेकिन 10 में से सिर्फ 2 लोग ही रंगों में भेद कर सके। इस तरह से रिसर्च में ये परिणाम सामने आया कि जो लोग पूरी तरह से कलर ब्लाइंड हैं, उन पर एनक्रोमा ग्लासेस काम नहीं करते हैं, लेकिन जिन्हें माइल्ड कलर ब्लाइंडनेस की समस्या है, उन पर ही एनक्रोमा ग्लासेस काम करते हैं। हालांंकि अभी भी रिसर्च जारी है कि एनक्रोमा ग्लासेस के अलावा अन्य किस तरीके से कलर ब्लाइंड लोगों के जीवन में रंग भरे जा सकते हैं।
क्या एनक्रोमा ग्लासेस का कोई विकल्प है?
एनक्रोमा ग्लासेस का विकल्प है कलर मैक्स कॉन्टेक्ट लेंस। कलर मैक्स या एक्स-क्रोमा कॉन्टेक्ट लेंस की मदद से भी माइल्ड कलर ब्लाइंड लोगों को रंगों को देखने में मदद मिलती है। इस विषय में अभी तक और ज्यादा जानकारी नहीं है, इसलिए किसी भी समस्या के लिए एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
एनक्रोमा ग्लासेस की कीमत क्या है?
एनक्रोमा ग्लासेस ऑनलाइन और चश्मों की दुकानों पर उपलब्ध हैं। इनकी कीमत लगभग 6,000 रूपए से शुरू होती है। क्वालिटी के आधार पर इसके दाम में बढ़ोत्तरी होती है।
महिलाओं को पुरुषों की तुलना में ज्यादा रंग क्यों दिखाई देते हैं?
महिलाओं को पुरुषों की तुलना में ज्यादा रंग दिखाई देते हैं। न्यूकासल यूनिवर्सिटी (Newcastle University) के रिसर्चर का मानना है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों को कम रंग दिखाई देते हैं। इसके साथ ही उनका मानना है कि कुछ महिलाओं को 990 लाख रंग दिखाई देते हैं जो आम लोगों के रंग को पहचानने की तुलना में बहुत ज्यादा है। रिसर्च में पाया गया कि दुनिया की 12 प्रतिशत महिलाओं में पुरुषों से ज्यादा रंग देखने की काबिलियत है यह या तो जीन की वजह से है या चौथे कोन सेल्स की वजह से।