कोरोना काल में सबके मुँह में एक ही बात है कब इससे छुटकारा मिलेगा और हमें हमारा पूराना जीवन वापस मिलेगा। कब हम खुल कर सांस ले पाएंगे। इस संकट की घड़ी में एक अच्छी बात यह हुई है कि लोगों को घर में बंद रहने के कारण अपने लोगों के साथ समय बिताने का मौका मिला है। बीजी लाइफ के कारण रिश्तों के बीच जो खालीपन आ गया था वह फिर से भरने लगा है। इस लॉकडाउन के अगर पॉजिटिव प्वाइंट को देखें तो हर पति-पत्नी को अपने मैरिज लाइफ को नए तरह से अनुभव करने का मौका मिल रहा है। उन्हें एक दूसरे से साथ समय बिताने का और पास आने का भी ज्यादा समय मिल रहा है। लेकिन इस मधुर पल में कोविड-19 के कारण जो आर्थिक संकट का मानसिक तनाव है वह उनके सेक्स लाइफ पर भी असर डाल रहा है। शारीरिक और मानसिक अस्वस्थता रिश्तों पर भारी पड़ रहा है। पर इस चुनौतियों का सामना कपल्स को एक दूसरे के साथ बात करके ही निकालना है।
शायद आपको पता नहीं कि एक स्टडी के अनुसार भारत को “दुनिया की नपुंसकता की राजधानी’ कहा जाता है क्योंकि घनी आबादी के कारण भारत में जीवनशैली संबंधित बीमारियाँ भी बहुत होती है। ऐसी बीमारियों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन भी आता है जिसमें पेनिस इरेक्शन या पेनाइल इरेक्शन नहीं हो पाता है जिसके कारण सेक्शुअल लाइफ में भी असंतोषजनक अवस्था उत्पन्न होती है। वैसे तो इसका इलाज भी संभव हैं और आसानी से किया भी जा सकता है। लेकिन मुश्किल की बात यह है कि पुरुष वर्ग इस बात को दूसरों के सामने बताने से हिचकिचाते हैं। उनकी इसी शर्मिंदगी के एहसास के कारण वह अपनी इस बीमारी को अपने पत्नी के सामने बोल नहीं पाते हैं। इस बीमारी के संदर्भ में फाइजर अपजोन (Pfizer Upjohn) ने एक सर्वे लॉच किया है। जिसमें इरेक्टाइल डिसफंक्शन या नपुंसकता के इलाज और उसको प्रभावित करने वाले फैक्टर्स के बारे में पता चलेगा।
सर्वे से यह पता चलता है कि 35% पुरुष और 47% महिलाओं का यह मानना है कि नपुंसकता होने का मूल कारण तनाव या चिंता होता है। फाइजर अपजोन सर्वे की एक दिलचस्प बात यह है कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन के इलाज में महिलाओं की भूमिका बहुत ही प्रंशसनीय है। क्योंकि अधिकतर महिलाएं यानि लगभग 82% औरतें चाहती हैं कि उनके पार्टनर घरेलू नुस्खे या दोस्तों से बात करने के जगह पर डॉक्टर के पास जाएं और सही तरह से इसका इलाज करवाएं। पर मुश्किल की बात यह है कि 56% पुरुष अपने पार्टनर से ही बात करके प्रॉबल्म को सुलझाना चाहते हैं। जब पुरुष अपना सही तरह से इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज करवाने से कतराने लगते हैं तब 28% महिलाएं डिवोर्स या सेपरेट हो जाना ही बेहतर ऑप्शन मानती है।
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सच तो यह है कि भारत एक ऐसा देश है जहाँ इरेक्टाइल डिसफंक्शन बीमारी को लेकर ज्यादा बात नहीं की जाती है जबकि इसका इलाज आसानी से हो जाता है। बस इस बात का ध्यान रखने की जरूरत होती है कि इसका इलाज मान्यता प्राप्त हेल्थकेयर प्रैक्टिशनर से होनी चाहिए। आजकल मर्दों की अपेक्षा महिलाएं इस मुद्दे को लेकर मुखर हो गई हैं। वह इस बीमारी को लेकर खुलकर बात करने लगी हैं और अपने पार्टनर को इलाज करवाने के लिए उत्साहित भी करती हैं।
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सर्वे के बारे में-
फाइजर का यह सर्वे दो भागों में संचालित किया गया था। जनवरी 2020 को यह सर्वे संचालित हुआ था। इसमें दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई, बैंगलोर, चेन्नई या कोलकाता के 1042 जोड़े शामिल हुए थे। साथ ही 307 डॉक्टर्स भी थे, जो यूरोलॉजिस्ट, एंड्रोलॉजिस्ट, सेक्सोलॉजिस्ट और कंसल्टेंट फिजिशियन थे।
फाइजर अपजॉन के बारे में-
130 से अधिक वर्षों का अनुभव लेकर फाइजर ने मरीजों का इलाज करने के लक्ष्य को लेकर इस सर्वे को किया है। फाइजर अपजोन चाहता है कि 2025 तक 225 मिलियन रोगियों को इसका लाभ मिले। इस सर्वे का सबसे विश्वसनीय ब्रांड हैं- नॉरवास्क® जे- एम्लोडिपीन(Amlodipine) ,लाइरिका®- प्रेगाबेलिन (Pregabalin) और वियाग्रा®-सिल्डेनाफिल (Sildenafil)- जिनको 100 से अधिक बाजारों में विश्व स्तरीय मेडिकल, मैनुफैक्चरिंग और कमर्शियल विशेषज्ञता है।
चलिये अब जानते हैं सर्वे को लेकर कुछ रोचक फैक्ट्स जिनको पढ़कर आप रह जाएंगे दंग-
इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile dysfunction) को लेकर लोगों में जागरूकता का प्रतिशत-
- 53% पुरुष और 78% महिलाएं इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) के बारे में जानते हैं या जागरूक हैं।
- 35% पुरुषों और 47% महिलाओं को लगता है कि स्ट्रेस नपुसंकता का मूल कारण होता है।
- 75% पुरुषों और 66% महिलाओं का मानना है कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) बुढ़ापा या बढ़ते उम्र की समस्या नहीं है।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile dysfunction) या नपुंसकता का रिलेशनशिप को प्रभावित करने का प्रतिशत-
- 56% पुरुष अपने पार्टनर से बात करके ही इस बीमारी के समस्या को सुलझाने की कोशिश करते हैं।
- 28% महिलाएं अपने पार्टनर से अलग होने के लिए सोचती हैं अगर मेल पार्टनर इसका सही तरह से कोई भी इलाज नहीं करवाते हैं।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के उपचार (Erectile dysfunction treatment) के लिए आग्रह का प्रतिशत-
- 82% महिलाओं का मानना है कि खुद से दवा करने, दोस्तों से बात करने या घरेलू नुस्खों को ट्राई करने से बेहतर है डॉक्टर से बात करके सही इलाज करवाना।
- 42% पुरुष डॉक्टर द्वारा बताए गए दवा के जगह पर विकल्प दवाओं या सस्ते दवाओं का सेवन करना पसंद करते हैं। यहाँ तक कि वह फार्मासिस्ट से पुछकर ही दवा ले लेते हैं।
सेक्शुअल इंटीमेसी और रिलेशनशिप (Sexual Intimacy and Relationships)
- 70% पुरुषों का मानना है कि वह अपने पार्टनर को सेक्शुअली संतुष्ट कर देते हैं।
- 87% पुरुषों का मानना है कि सेक्शुअल इंटीमेसी मजबूत रिलेशनशिप के लिए जरुरी होता है।
इस संदर्भ में डॉक्टर्स का क्या सोचना है-
96% डॉक्टर्स का यह मानना है कि पुरुषों का नपुंसकता के इलाज के सफलता और असफलता में पार्टनर की भूमिका अहम होती है। यहाँ तक कि इलाज को जारी रखने का फैसला भी पार्टनर के सोच और व्यवहार पर निर्भर करता है।
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इन फैक्ट्स के अलावा सर्वे यह भी बताता है कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन या नपुंसकता को लेकर हर शहर में लोगों के अभिमत का क्या प्रतिशत है-
मुंबई
पुरुष
- 30% पुरुषों को लगता है कि नपुंसकता बढ़ते उम्र की समस्या है।
- 22% पुरुष निश्चित नहीं है कि वे अपने पार्टनर को संतुष्ट कर पाते हैं या नहीं।
- 43% पुरुष डॉक्टर्स के जगह पर फार्मासिस्ट के सुझाव के अनुसार सस्ती दवा ले रहे हैं (यहां ब्रांड के अनुसार सर्वे के रिजल्ट के नंबर को जोड़ दिया गया है)।
महिलाएं
- 33% महिलाएं अलग होने की बात सोच सकती हैं यदि उनका पार्टनर नपुंसकता का इलाज नहीं करवाता है।
- 20% महिलाएं निश्चित नहीं हैं कि उनके पार्टनर उनको सेक्शुअली सेटिस्फाई कर रहे है कि नहीं।
- 19% महिलाएं यह नहीं सोचती कि उनका सेक्शुअल रिलेशनशिप संतोषप्रद है या नहीं।
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दिल्ली
पुरुष
- 28% पुरुषों को लगता है कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन बढ़ते उम्र की समस्या है।
- 33% पुरुष निश्चित नहीं है कि वे अपने पार्टनर को संतुष्ट कर पाते हैं या नहीं।
- 45% पुरुष डॉक्टर्स के जगह पर फार्मासिस्ट के सुझाव के अनुसार सस्ती दवा ले रहे हैं (यहां ब्रांड के अनुसार सर्वे के रिजल्ट के नंबर को जोड़ दिया गया है)।
महिलाएं
- 26% महिलाएं अलग होने की बात सोच सकती हैं यदि उनका पार्टनर नपुंसकता का इलाज नहीं करवाता है।
हैदराबाद
पुरुष
- 26% पुरुषों को लगता है कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन बढ़ते उम्र की समस्या है।
- 40% पुरुष डॉक्टर्स के जगह पर फार्मासिस्ट के सुझाव के अनुसार सस्ती दवा ले रहे हैं (यहां ब्रांड के अनुसार सर्वे के रिजल्ट के नंबर को जोड़ दिया गया है)।
- 29% पुरुष निश्चित नहीं है कि वे अपने पार्टनर को फिजिकली संतुष्ट कर पाते हैं या नहीं।
महिलाएं
- 30% महिलाएं अलग होने की बात सोच सकती हैं यदि उनका पार्टनर नपुंसकता का इलाज नहीं करवाता है।
- 25% महिलाएं यह नहीं सोचती कि उनका सेक्शुअल रिलेशनशिप संतोषप्रद है या नहीं।
बैंगलोर
पुरुष
- 12% बैंगलोर के पुरुष सोचते हैं कि वे अपने पार्टनर को संतुष्ट कर पाते हैं।
- 21% पुरुष निश्चित नहीं है कि वे अपने पार्टनर को फिजिकली संतुष्ट कर पाते हैं या नहीं।
- 25% पुरुषों को लगता है कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन बढ़ते उम्र की समस्या है।
महिलाएं
- 24% महिलाएं अलग होने की बात सोच सकती हैं यदि उनका पार्टनर इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज नहीं करवाता है।
- 20% महिलाएं इस बात को लेकर निश्चिंत नहीं कि उनका सेक्शुअल रिलेशनशिप संतोषप्रद है या नहीं।
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कोलकाता
पुरुष
- 25% कोलकाता के पुरुषों को लगता है कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन बढ़ते उम्र की समस्या है।
- 7% कोलकाता के पुरुष सोचते हैं कि वे अपने पार्टनर को संतुष्ट कर पाते हैं।
- 16% पुरुष निश्चित नहीं है कि वे अपने पार्टनर को फिजिकली संतुष्ट कर पाते हैं या नहीं।
- 59% पुरुष डॉक्टर्स के जगह पर फार्मासिस्ट के सुझाव के अनुसार सस्ती दवा ले रहे हैं (यहां ब्रांड के अनुसार सर्वे के रिजल्ट के नंबर को जोड़ दिया गया है)।
महिलाएं
- 25% महिलाएं इस बात को लेकर निश्चिंत नहीं कि उनका सेक्शुअल रिलेशनशिप संतोषप्रद है या नहीं।
चेन्नई
पुरुष
- 22% पुरुष निश्चित नहीं है कि वे अपने पार्टनर को फिजिकली संतुष्ट कर पाते हैं या नहीं।
- 28% पुरुष डॉक्टर्स के जगह पर फार्मासिस्ट के सुझाव के अनुसार सस्ती दवा ले रहे हैं (यहां ब्रांड के अनुसार सर्वे के रिजल्ट के नंबर को जोड़ दिया गया है)।
महिलाएं
- 31% महिलाएं अलग होने की बात सोच सकती हैं यदि उनका पार्टनर इरेक्टाइल डिसफंक्शन का इलाज नहीं करवाता है।
- 23% महिलाएं इस बात को लेकर निश्चिंत नहीं कि उनका सेक्शुअल रिलेशनशिप संतोषप्रद है या नहीं।
अब तक आप समझ ही गए होंगे कि Pfizer Upjohn सर्वे का एकमात्र ही लक्ष्य है, वह है इरेक्टाइल डिसफंक्शन के बारे में खुल कर चर्चा करना और उसका सही समाधान पाना।
यहाँ तक कि कई वैश्विक स्टडियों के आधार पर यह पाया गया है कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन का सही तरह से इलाज करने, उसे जारी रखने का श्रेय कुछ हद तक उसके पार्टनर पर भी निर्भर करता है। यहाँ तक 96% डॉक्टर्स का मानना है कि मरीज का इलाज करवाना और ट्रीटमेंट को पूरा करने की प्रक्रिया उसके पार्टनर के प्रोत्साहन पर भी निर्भर करता है। स्टडी के अनुसार 34% पुरुष अपना इलाज महिला पार्टनर के कहने पर ही करते हैं। यानि इलाज की सफलता और असफलता का आधार पार्टनर के भूमिका पर निर्भर करता है।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और इरेक्टाइल डिसफंक्शन से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।