यौन उत्पीड़न या सेक्शुअल हैरेसमेंट का अधिकतर महिलाओं से काफी गहरा संबंध रखता है। महिलाओं के साथ, ऑफिस में यौन उत्पीड़न की घटना भी इसी का ही एक हिस्सा है। हालांकि, ऑफिस में यौन उत्पीड़न के हालात अब बदल रहे हैं। पहले की तरह अब कोई भी महिला इसे चुपचाप नहीं सहती। अब वह इसके खिलाफ अपनी आवाज उठा रही है और इंसाफ लेकर ही सांस लेती हैं।
लेकिन, यहां पर सवाल यह है कि क्या ऑफिस में यौन उत्पीड़न सिर्फ एक ही महिला के साथ हो सकता है या उसकी शिकार दूसरी महिलाएं भी हो सकती हैं? या फिर अगर ऑफिस में यौन उत्पीड़न हो रहा है, तो उसके खिलाफ आवाज किसे उठानी चाहिए? उठाने की जिम्मेदारी सिर्फ पीड़ित महिला की होती है या उसके साथ काम करने वाले सहकर्मियों या परिवार के सदस्यों की भी एक जिम्मेदारी हो सकती है?
हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में हम आपको ऑफिस में होने वाले यौन उत्पीड़न के बारे में बताएंगे। इसमें हम जानेंगे कि किस-किस तरीकों को ऑफिस में यौन उत्पीड़न माना जाता है और ऐसा होने पर आपको क्या कदम उठाने चाहिए। आपको बता दें कि यौन उत्पीड़न का मतलब सिर्फ महिलाओं के साथ ऑफिस में यौन उत्पीड़न ही नहीं है, बल्कि ये पुरुषों के साथ भी हो सकता है। ऐसे में व्यक्ति को क्या करना चाहिए, आइए जानते हैं।
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कौन होता है ऑफिस में यौन उत्पीड़न का जिम्मेदार?
ऑफिस में यौन उत्पीड़न के लिए कोई भी जिम्मेदार हो सकता है। वो बॉस, सहकर्मी, चपड़ासी, ग्राहक या आपके ऑफिस से संबंध रखने वाला कोई भी व्यक्ति हो सकता है।
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ऑफिस में यौन उत्पीड़न के इशारे
दफ्तरों और कामकाजी जगहों पर होने वाले यौन उत्पीड़नों का खुद बॉलीवुड एक जीता-जागता और सबसे बड़ा गवाह है। इसके लिए सोशल मीडिया पर #MeToo अभियान भी चलाया जा चुका है। इसके जरिए कई महिलाओं और अभिनेत्रियों ने ऑफिस में यौन उत्पीड़न या उनके साथ किसी भी तरह के हुए यौन उत्पीड़न की घटनाएं साझा की हैं और उनके खिलाफ आवाज भी उठाई है।
यह भी ध्यान रखें कि ऑफिस में यौन उत्पीड़न का मतलब सिर्फ शारीरिक उत्पीड़न से ही जुड़ा नहीं होता है। इसमें मानसिक उत्पीड़न, कुछ तरह की बातें, कुछ अनकहे इशारे, गलत तरीके से किसी को छूना जैसी हरकत या व्यवहार को भी यौन उत्पीड़न कहा जा सकता है। इसके अलावा, इन तथ्यों से भी समझें यौन उत्पीड़न के संकेत :
- बार-बार मिलने के लिए फोर्स करना
- किसी लड़की की शारीरिक बनावट के बारे में टिप्पणी करना
- घूरना
- सीटी बजाना
- बेहूदा इशारेबाजी करना
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यौन उत्पीड़न के कारण पड़ने वाला प्रभाव
ऑफिस में यौन उत्पीड़न के कारण महिलाओं पर कई तरह के मानसिक प्रभाव देखे जा सकते हैं। ऐसे मामले में अधिकतर महिलाएं डिप्रेशन और सदमे का शिकार हो सकती हैं, जिसका साफ असर उनके निजी और सामाजिक जीवन पर देखा जा सकता है। कई महिलाएं इसके कारण अपने ऑफिस जाना भी बंद कर देती हैं। इसका प्रभाव कई बार उनके साथ काम करने वालीं महिला सहकर्मियों पर भी पड़ सकता है।
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जानिए एक्सपर्ट की सलाह
ऑफिस यौन उत्पीड़न के मामले को करीब से समझने के लिए हेलो हेल्थ की टीम ने राजधानी दिल्ली के साकेत डिस्ट्रिक कोर्ट के वकील विशाल तिवारी के साथ बातचीत की। इस दौरान विशाल तिवारी ने इसके बारे में जानकारी दी कि ऑफिस में सेक्सुअल हैरेसमेंट किन मामलों में हो सकता है और इसके लिए किस तरह के सजा और कानून बनाए गए हैं।
विशाल ने बताया कि भारतीय संविधान में बनाए गए कानूनों के तहत, अगर ऑफिस में कोई भी पुरुष कर्मचारी किसी महिला कर्मचारी को घूरता है, अश्लील मैसेज या तस्वीरें दिखाता है, अश्लील बातें करता है या शारीरिक रूप पर किसी तरह की अभद्र टिप्पणी करता है, तो ये ऑफिस यौन उत्पीड़न के अंतर्गत आता है।
क्या कहता है कानून?
वकील विशाल तिवारी ने बताया कि ऑफिस सेक्शुअल हरासमेंट 2013 के तहत इसके लिए सख्त कानून बनाए गए हैं। इसमें यह साफ कहा गया है कि ऑफिस प्लेस, मिटिंग रूम या वर्किंग एरिया में ऐसी किसी भी हरकत या छेड़खानी करने के लिए आरोपी को सजा हो सकती है। अगर आरोपी पर लगाए गए आरोप साबित होते हैं, तो उस पर आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 376 (ई) के तहत पांच से 10 साल की कैद हो सकती है। इसके साथ ही, आरोपी को दंड के तौर पर जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
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ऑफिस में यौन उत्पीड़न से कैसे बचाव करें?
आज के समय में अपने खिलाफ हो रहे यौन उत्पीड़न के बारे में जानकारी बताने के लिए महिलाएं सोशल मीडिया को सबसे बड़ा हथियार मानती हैं लेकिन, कुछ हद तक उनका यह सोचना गलत हो सकता है। सोशल मीडिया के अलावा, इससे बचाव के लिए उस तरीके का सहारा लेना चाहिए, जहां पर उनके साथ इस तरह का बर्ताव किया जा रहा है।
अगर कोई महिला ऑफिस में यौन उत्पीड़न का शिकार हो रही है, तो इसके बारे में उसे सबसे पहले अपने घर में बात करनी चाहिए। बिना डरे उसे ऐसी हरकत करने वाले व्यक्ति को ऐसा न करने की चुनौती देनी चाहिए। आपको गलत के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए, ताकि ये बात सभी तक पहुंचे और आपकी समस्या का समाधान निकल सके।
अगर इसके बाद भी वो अपनी हरकतें जारी रखता है, तो महिला को इसके बारे में अपने दूसरे सहकर्मियों और मैनेजर से बात करनी चाहिए। साथ ही, नजदीकी पुलिस स्टेशन में इसके बारे में रिपोर्ट भी करानी चाहिए, ताकि आपके बाद वो किसी अन्य महिला के साथ ऐसी हरकत न कर सके।
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क्या न करें?
यह ध्यान रखें कि आरोपी की हरकतों से आकर अपना ऑफिस न छोड़ें और न ही उससे डर कर चुप बैठें। आपकी ऐसी हरकतें आरोपी को ऐसा करने के लिए और भी ज्यादा उत्तेजित कर सकती हैं। इसलिए, इसके बारे में तुरंत आरोपी को सतर्क करें और ऑफिस में मैनेजर, सीनियर और सहकर्मियों के साथ-साथ घर में भी इसके बारे में बात करें। आपके बात करने से कोई न कोई आपकी मदद के लिए आगे आएगा और सही मार्ग बताएगा।
इसके अलावा, अगर फिर भी मामला आपके हाथों से नहीं संभल रहा हो, तो आप किसी अच्छे वकील की मदद ले सकती हैं। बता दें कि अलग-अलग जगहों पर होने वाले यौन उत्पीड़न के लिए अलग-अलग धाराएं और कानून बनाए गए हैं। उम्मीद है ये आर्टिकल आपको पसंद आएगा। यदि आप इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं तो आप अपना सवाल कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप हमें कमेंट कर बता सकते हैं।