backup og meta

यूपी के 11 जिले जानलेवा मलेरिया की चपेट में, जानें मलेरिया के लक्षण

यूपी के 11 जिले जानलेवा मलेरिया की चपेट में, जानें मलेरिया के लक्षण

इस साल उत्तर प्रदेश में मलेरिया प्लास्मोडियम वाइवैक्स (Plasmodium vivax ) के 39,135 मामले और प्लास्मोडियम फैलसिफैरम (Plasmodium falciparum) के 852 मामले सामने आए हैं। हर साल देश में हजारों मलेरिया के मामले रिकॉर्ड किए जाते हैं। ये आंकड़े जनवरी से अगस्त के बीच दर्ज किए गए हैं। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, इस साल जनवरी से अगस्त तक में कुल 852 पीएफ मामलों का पता चला था और इनमें से सबसे अधिक बरेली (707) में दर्ज किए गए थे।अन्य 10 पीलीभीत, बदायूं, शाहजहांपुर, बहराइच, कानपुर देहात, कुशीनगर, मिर्जापुर, सोनभद्र, ललितपुर और गौतम बौद्ध नगर में भी पीएफ के मामले सामने आए हैं।

IANS और इंडिया टुडे के मुताबिक ‘पीएफ लक्षण से ग्रस्त कुल 852 व्यक्तियों में 707 बरेली, 106 बदायूं में, सोनभद्र में 23, शाहजहांपुर में पांच, पीलीभीत और बहराइच में तीन-तीन और कानपुर देहात, कुशीनगर, मिर्जापुर, ललितपुर और गौतम बौद्ध नगर में एक-एक व्यक्ति थे। सितंबर के महीने में बरेली और बदायूं में मलेरिया के मामलों में बढ़त दर्ज की गई है’।

मलेरिया कंट्रोल विभाग के डायरेक्टर अवधेश यादव ने कहा कि ‘पिछले साल बरेली और बदायूं में मलेरिया के प्रकोप के बाद से ही इन दोनों जिलों में मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन स्थिति वर्ष के अंत तक नियंत्रित हो जाएगी। सोनभद्र व अन्य जिलों को छोड़कर कुछ ही जिलों की सूची के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है। मामलों के सामने आते ही पीएफ रोगी के निवास स्थान के आसपास कम से कम 50 घरों को पाइरेथ्रम( प्राकृतिक कीटनाशक) का छिड़का किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने इस साल अगस्त तक मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए 22 गांवों में छिड़काव किया। बरेली के 193 गांवों में पाइरेथ्रम( Pyrethrum) का छिड़काव किया गया है।

मलेरिया क्या है

मलेरिया मच्छरों से पैदा होने वाला एक जानलेवा रोग है। फीमेल एनोफिलीस मच्छर (Female Anopheles mosquito) से यह इंसानों तक पहुंचाता है। मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के पैरासाइट्स प्लास्मोडियम जीन्स से संबंधित हैं। प्लास्मोडियम पैरासाइट्स के 100 से अधिक प्रकार अलग-अलग तरह की प्रजातियों को संक्रमित कर सकते हैं। हर एक प्रकार अलग-अलग स्पीड से खुद को रेप्लीकेट करते हैं जिसके कारण लक्षण भी जल्दी बढ़ जाते हैं और इस तरह से रोग की गंभीरता का कारण बनते हैं।

प्लास्मोडियम पैरासाइट्स के पांच प्रकार मानव को संक्रमित कर सकते हैं। ये दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में होते हैं। कुछ दूसरे की तुलना में अधिक गंभीर प्रकार के मलेरिया का कारण बनते हैं। एक बार जब एक संक्रमित मच्छर एक इंसान को काटता है तो पैरासाइट्स रेड ब्लड सैल को संक्रमित करने और खत्म करने से पहले व्यक्ति के लिवर में अपनी संख्या को मल्टीप्लाई करता है।

कुछ जगहों पर मलेरिया का सही समय पर डायग्नोसिस, इलाज और नियंत्रण में मदद कर सकता है। हालांकि अभी भी कुछ देशों में असरदार स्क्रीनिंग करने के लिए संसाधनों की कमी है।

और पढ़ें : जानें डेंगू टाइमलाइन और इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

मलेरिया के लक्षण

डॉक्टर मलेरिया के लक्षणों को दो भागों में बांटते हैं।

  1. अनकॉम्प्लिकेटेड मलेरिया
  2. सिवियर मलेरिया।

अनकॉम्प्लिकेटेड मलेरिया के लक्षण

एक डॉक्टर इस मलेरिया को डायग्नोसिस तब करता है जब मलेरिया के लक्षण मौजूद हों, लेकिन कोई भी लक्षण ऐसे न हों जो अंगों के सीरियस इंफेक्शन या ऑर्गन के ठीक से काम करने के बारे में बताते हो। मलेरिया का यह रूप इलाज के बिना गंभीर मलेरिया बन सकता है या अगर मरीज की इम्यूनिटी खराब हो या उसके अंदर इस बीमारी के लिए इम्यूनिटी न हो। आमतौर पर अनकॉम्प्लिकेटेड मलेरिया के लक्षण 6 से 10 घंटे तक रहते हैं और हर दूसरे दिन दोबारा आते हैं। मलेरिया के लक्षण फ्लू जैसे होते हैं और कई बार लोगों को पता भी नहीं चलता की उन्हें मलेरिया है खासकर ऐसी जगहों पर जहां मलेरिया कम होता हो।

अनकॉम्प्लिकेटेड मलेरिया में लक्षण इस तरह से होते हैं जिसमें ठंडी, गर्मी और पसीना सबसे आम हैः

उन क्षेत्रों में जहां मलेरिया आम है बहुत से लोग लक्षणों को मलेरिया के रूप में पहचानते हैं और बिना देरी किए डॉक्टर से इलाज करवाते हैं।

और पढ़ें : सावधान: सेक्स करने से भी हो सकता है डेंगू, पहला मामला मिला

गंभीर मलेरिया के लक्षण

गंभीर मलेरिया के लक्षणों की वजह से कई बार ऑर्गन में परेशानी हो सकती हैः

गंभीर मलेरिया के लक्षणों में शामिल हैं:

  • बुखार और ठंड लगना
  • पूरी तरह से होश में ना होना
  • किसी एक पोजिशन में रहना
  • शरीर में ऐंठन
  • सांस लेने में परेशानी
  • असामान्य ब्लीडिंग और एनीमिया के लक्षण
  • क्लिनिकल ​​पीलिया और ऑर्गन फेल

मलेरिया से किसको खतरा है?

2017 में दुनिया की लगभग आधी आबादी को मलेरिया का खतरा था। अधिकांश मलेरिया के मामले और मौतें सब-सहारन अफ्रीका (Sub-Saharan Africa) में होती हैं।  2017 में 87 देशों और क्षेत्रों में मलेरिया के कई मामले पाए गए।

कुछ आबादी समूहों में मलेरिया का खतरा अधिक है और दूसरे लोगों की तुलना में उनको इस गंभीर बीमारी से खतरा है। इनमें शिशु, 5 साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं और एचआईवी/एड्स के रोगी, साथ ही नॉन इम्यून माइग्रेंट्स, मोबाइल पॉप्यूलेशन और ट्रैवलर शामिल हैं। इन आबादी समूहों को उनकी कंडिशन को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रमों को इन आबादी समूहों को मलेरिया संक्रमण से बचाने के लिए विशेष उपाय करने की जरुरत है।

और पढ़ें : चमकदार त्वचा चाहते हैं तो जरूर करें ये योग

मलेरिया के बारे में जानने वाली जरूरी बातेंः

  • मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो पैरासाइट्स के कारण होती है जो संक्रमित फिमेल एनोफिलीस मच्छरों के काटने से लोगों में पहुंच जाती है। इसको रोकना और इसका इलाज आसान है।
  • 2017 में 87 देशों में मलेरिया के अनुमानित 219 मिलियन मामले थे।
  • 2017 में मलेरिया से होने वाली मौतों की अनुमानित संख्या 4,35,000 थी।

मलेरिया से बचाव

अगर आप ऐसी जगह रहते हैं या ऐसे क्षेत्र की यात्रा कर रहे हैं जहां मलेरिया होना आम है तो मच्छरों के काटने से बचने के लिए जरूरी कदम उठाएं। मच्छर शाम और सुबह के बीच सबसे अधिक एक्टिव होते हैं। अपने आप को मच्छर के काटने से बचाने के लिए आपको इन टिप्स को फॉलो करेंः

  • अपनी त्वचा को ढकेंः मच्छर और मलेरिया से बचने का सबसे आसान उपाय है कि आप खुद को कवर करके रखें। पैंट और लंबी बाजू की शर्ट पहनें।
  • मच्छर रिपेलेंट को त्वचा और कपड़ों पर लगाएंः जिन स्प्रे में DEET होता है उसका उपयोग त्वचा पर किया जा सकता है। इसके अलावा जिन लोशन या स्प्रे में पर्मेथ्रिन होता है उन स्प्रे को कपड़ों पर लगाना आपके लिए सुरक्षित होगा।
  • मच्छरदानी लगाएंः रात को सोते समय बिस्तर के आसपास मच्छरदानी लगाएं। ऐसी मच्छरदानी जो विशेष रूप से कीटनाशक का इलाज करने वाले हो वह सोते समय मच्छरों के काटने से रोकने में आपकी मदद करते हैं।

मलेरिया से बचाव आप आसानी से कर सकते हैं। बच्चों को मलेरिया होने के चांसेस ज्यादा होते हैं क्योंकि वह शाम के समय घर से बाहर खेलते हैं। जो बच्चे घर से बाहर खेलते हैं उन्हें मच्छर से बचने वाली क्रीम या पैच लगाकर बाहर भेजें।

नोट : नए संशोधन की डॉ. प्रणाली पाटिल द्वारा समीक्षा

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Diagnosis and Treatment of Plasmodium vivax Malaria https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5198890/ Accessed on 09/12/2019

Malaria (Plasmodium Vivax) https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK538333/ Accessed on 09/12/2019

Plasmodium vivax and drug resistance https://www.wwarn.org/about-us/malaria-drug-resistance/plasmodium-vivax-and-drug-resistance Accessed on 09/12/2019

Plasmodium vivax https://www.cdc.gov/dpdx/resources/pdf/benchAids/malaria/Pvivax_benchaidV2.pdfAccessed on 09/12/2019

Plasmodium vivax https://www.mmv.org/newsroom/film/plasmodium-vivaxAccessed on 09/12/2019

Plasmodium vivax https://www.britannica.com/science/Plasmodium-vivax Accessed on 09/12/2019

What to know about malaria https://www.medicalnewstoday.com/articles/150670.php Accessed on 09/12/2019

Malaria https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/malaria Accessed on 09/12/2019

Current Version

18/03/2021

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar

Updated by: Nikhil deore


संबंधित पोस्ट

विश्व मच्छर दिवस: जानें किस वजह से पड़ी इस दिन को मनाने की जरूरत और रोचक तथ्य

परिवार की देखभाल के लिए मेडिसिन किट में रखें ये दवाएं


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Dr Sharayu Maknikar


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/03/2021

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement