परिचय
एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन क्या है?
हर कोई अपने जीवन में कुछ दर्दनाक अनुभवों से गुजरते हैं। कोई अपने प्रियजन को खो देता है। कोई महिला फिजिकल या सेक्सुअल एसॉल्ट से जूझती है। कुछ बच्चे के साथ दुर्व्यवहार होता है। कुछ बच्चे यौन उत्पीड़न का शिकार हो जाते हैं। लाखों बच्चे ऐसे हैं जिन्हें स्कूल में धमकाया जाता है। जब किसी के साथ इस तरह की दर्दनाक घटनाएं होती हैं तो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। इससे तनाव पैदा होता है। तनाव से कई तरह की मानसिक बीमारी भी जन्म लेती हैं। इसको पोस्टट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर भी कहा जाता है। एएसडी एक अस्थायी मनोवैज्ञानिक स्थिति है। इसके लक्षण 3 से 30 दिन तक रहते हैं।
एक्यूट स्ट्रेस डिसऑर्डर और पोस्टट्रॉमैटिक डिसऑर्डर के बीच गहरा संबंध है। कुछ लोगों में एक्यूट स्ट्रेस होने के बाद पोस्टट्रॉमैटिक डिसऑर्डर हो जाता है। यह कम से कम तीन दिनों तक रहता है और एक महीने तक बना रह सकता है। संयुक्त राज्य विभाग के अनुसार, लगभग 19 प्रतिशत लोगों में किसी दर्दनाक घटना की वजह से एक्यूट स्ट्रेस डिसऑर्डर विकसित हो जाता है। एक्यूट स्ट्रेस डिसऑर्डर होने वाले लोग अलग तरह से प्रतिक्रिया देते हैं। इसके शारीरिक और मानसिक प्रभावों के बारे में पता होना भी जरूरी है।
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लक्षण
एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन के लक्षण क्या हैं?
किसी तनावपूर्ण घटना के चलते एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन होता है। इसके लक्षण कई बार मिनटों में तो कई बार घंटों में दिखते हैं। इसके लक्षण जल्द खत्म हो जाते हैं लेकिन कई बार हफ्तों तक बने रहते हैं। एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन के लक्षणों में निम्नलिखित हैं:
- कुछ मनोवैज्ञानिक लक्षण जैसे चिंता, मन का खराब होना, चिड़चिड़ापन, भावनात्मक उतार-चढ़ाव, नींद न आना, किसी काम में मन ना लगना, अकेले रहने की इच्छा होना
- बुरे सपने आना या पुरानी बातों के बारे में सोचते रहना, ये चीजें आपके मन को दुखी कर सकती हैं।
- पुरानी यादों को ट्रिगर करने वाली किसी भी चीज के सामने से बचना। इसका मतलब यह हो सकता है कि आप लोगों से, बात करने से या अन्य स्थितियों से बचने की कोशिश कर रहे हैं। ये चीजें आपको चिंतित कर देती हैं।
- काम में मन ना लगना और बहुत जल्दी गुस्सा आ जाना
- दूसरे से दूर हो जाना
- मन में हमेशा नकारात्मक विचार आते रहना
- आसपास क्या हो रहा है, ये ध्यान ना देकर अपने में ही खोए रहना
- किसी बात की बहुत ज्यादा चिंता करना
- सुसाइड करने के विचार
- बेवजह रोने का मन करता है
- निराशा होती है
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एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन के मनोवैज्ञानिक के अलावा कुछ शारीरिक लक्षण भी दिखते हैं, जो इस प्रकार हैं—
- दिल की धड़कन तेज हो जाना।
- जी मिचलाना।
- सीने में दर्द।
- सिरदर्द।
- पेट दर्द।
- सांस लेने में तकलीफ होना।
- वजन बढ़ जाना।
- हमारे शरीर में कुछ स्ट्रेस हर्मोन्स होते हैं। जैसे एड्रेनालाइन, यह हार्मोन रक्त में पाए जाते हैं। इस वजह से एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन होने पर शारीरिक लक्षण भी दिखने लगते हैं।
ज्यादा तनाव लेने के कारण होने वाले लक्षण
आमतौर पर आप तनाव की गिरफ्त में इमोशनल और फिजिकल कारणों की वजह से आ सकते हैं। कई बात तो आपको पता भी नहीं चलता और आप तनाव की गिरफ्त में आ जाते हैं। बता दें कुछ कारण हैं जिनकी वजह से आप तनाव ग्रसित हो सकते हैं, जिसमें
- डायरिया और कब्जियत
- एकाएक मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द
- सिरदर्द
- फोकस करने में एनर्जी में कमी
- सेक्शुअल प्रॉब्लम्स की वजह से
- जॉ और गर्दन में स्टिफनेस का एहसास होना
- थकान की वजह से
- पेट का ठीक न होने की वजह से
- रिलेक्स करने के लिए शराब और ड्रग्स पर निर्भरता बढ़ने की वजह से
- वजन का घटना और बढ़ने की वजह से
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कारण
एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन का कारण क्या है?
जब किसी के साथ कई सारी ऐसी घटनाएं हो जाती हैं जिससे उसकी जिंदगी प्रभावित होती है तो वो धीरे—धीरे तनाव में जाने लगते हैं। इसी से एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन होता है। इससे मानसिक और शारीरिक नुकसान होता है। ये घटनाएं या कारण इस प्रकार हो सकते हैं—
- किसी प्रियजन की मौत
- हादसे के बाद मौत या गंभीर चोट का खतरा
- प्राकृतिक आपदा
- सड़क दुर्घटना
- यौन उत्पीड़न, बलात्कार या घरेलू शोषण
- कोई भयानक बीमारी होना
- किसी मानसिक चोट से जूझना
- कोई दर्दनाक चीज देख लेना
- अपनी मौत का डर
- अमेरिका के वेटेरन अफेयर के विभाग के अनुसार, 6 से 33 फीसदी लोग दर्दनाक घटना का अनुभव करने के बाद एक्यूट स्ट्रेस का शिकार हो जाते हैं।
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किन लोगों को एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन का ज्यादा खतरा होता है?
किसी दर्दनाक घटना से जूझने के बाद किसी को भी एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन हो सकता है। ऐसे लोगों को सावधान रहना चाहिए—
- अतीत में किसी दर्दनाक घटना को सहन किया हो या किसी के साथ अप्रिय घटना होते हुए देखी हो तो ऐसे लोगों को आगे चलकर एक्यूट स्ट्रेस हो सकता है।
- अगर पहले भी कभी एक्यूट स्ट्रेस या पोस्टट्रॉमैटिक डिसऑर्डर रहा हो।
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परीक्षण
एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन का परीक्षण कैसे होता है?
एक डॉक्टर या मनोवैज्ञानिक चिकित्सक लोगों में एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन का परीक्षण कर सकता है। किसी व्यक्ति में घटना के 1 महीने के अंदर एक्यूट स्ट्रेस के लक्षण दिखते हैं। वो मरीज से उस दर्दनाक घटना और व्यक्ति के लक्षणों के बारे में सवाल पूछेंगे। इसके अलावा डॉक्टर ये चीजें भी पूछ सकते हैं—
- अन्य मानसिक समस्या के बारे में
- कोई नशीले पदार्थ का इस्तेमाल तो नहीं कर रहे
- अभी कोई इलाज चल रहा है
- ज्यादा दवाएं तो नहीं खा रहे
- डॉक्टर किसी दवाई के साइड इफेक्ट की भी जांच करेगा
- अन्य शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं के बारे में
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इलाज
एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन का इलाज क्या है?
डॉक्टर उस व्यक्ति की पूरी जांच करेगा। फिर उससे बात करके एक योजना तैयार करेंगे। डॉक्टर आपसे व्यक्तिगत तौर पर कई सारी चीजें पूछ सकते हैं। एक्यूट स्ट्रेस के लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टर ये उपचार कर सकते हैं—
- कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी— इस थेरेपी का इस्तेमाल सबसे पहले किया जाता है। इसमें डॉक्टर आपकी मानसिक स्थिति के बारे में जानने की कोशिश करते हैं। आपसे बात करके आपकी समस्या को सुलझाते हैं। यह थेरेपी किसी प्रशिक्षण द्वारा ही की जाती है।
- माइंडफुलनेस— इस थेरेपी में आपको तनाव और चिंता से निबटने के लिए कुछ तकनीक सिखाई जाती हैं। इसमें सांस द्वारा किए जाने वाले व्यायाम शामिल होते हैं।
- दवाइयां— डॉक्टर आपको कुछ दवाइयां भी दे सकते हैं। ये दवाएं एंटीडिप्रेसेंट या एंटीकॉनवल्सेंट होंगी।
- काउंसलिंग— अगर एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन के लक्षण ज्यादा गंभीर दिखते हैं तो काउंसलिंग एक विकल्प हो सकता है। इससे आपको तनाव से निबटने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा कुछ अन्य तरीकों से भी इलाज हो सकता है—
- मनोचिकित्सक से बात करें
- अगर आपको सुसाइड के ख्याल आ रहे हैं या आपको लगता है कि आप खुद को नुकसान पहुंचा सकते हैं तो अस्पताल में भर्ती हो जाएं।
- अपने साथ किसी दोस्त या परिवार के सदस्य को रखें, जो आपके खाने, कपड़े आदि का ध्यान रख सके।
- अपनी बीमारी के बारे में डॉक्टर से पूरी जानकारी लें।
- डॉक्टर आपको हिप्नोथेरेपी भी दे सकते हैं।
हमेशा लें एक्सपर्ट की सलाह
यदि आपमें भी एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन के लक्षण दिखाई देते हैं तो ऐसे में आप एक्सपर्ट की सलाह लें। क्योंकि यदि आप इसे नजरअंदाज करेंगे तो बीमारी की गिरफ्त में उतना ही आते जाएंगे। बेहतर यही होगा कि आप एक्सपर्ट की सलाह लेकर उचित इलाज कराएं। ताकि समस्या से छुटकारा पा सकें।