परिभाषा
हमारी आंखें शरीर का सबसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण अंग हैं, इसलिए हमेशा इसका खास ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। आप आंखों की सही देखभाल कर सकें, इसके लिए आंखों की बीमारी और अन्य दोष के बारे में जानकारी होना जरूरी है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि कॉर्निया में घर्षण क्या होता है और इससे किस तरह बचा जा सकता है।
कॉर्निया में घर्षण (Corneal Abrasion) होने का क्या मतलब है?
कॉर्निया आंख का एक पतला और पारदर्शी हिस्सा है जो आंखों की आयरिस और पुतली को ढंके रहता है। आइरिस आंखों का रंगीन हिस्सा है, जबकि पुतली इसके काले हिस्से को कहते हैं। जो भी प्रकाश आंखों के अंदर जाता है और आपको कोई चीज देखने में मदद करता है, सबसे पहले कॉर्निया से ही टकराता है।
धूल और रेत के कण, नाखून, जानवरों के पंजे या किसी बाहरी चीज़ से कॉर्निया में घर्षण यानी खरोंच लग सकती है, इसे कॉर्नियल एबरेशन यानी कार्निया में घर्षण कहते हैं। कई बार कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से भी कॉर्निया में घर्षण या असहजता महसूस हो सकती है। अधिकांश खरोंच मामूली होती है जो जल्द ठीक हो जाती है।
कई बार कॉर्निया में घर्षण के साथ ही आंखों में सूजन भी हो जाता है, इसे आइरिटिस कहते हैं। कॉर्नियल एब्रेशन में इंफेक्शन के कारण कॉर्नियल अल्सर भी हो सकता है। यह सब गंभीर स्थितिया हैं जो कॉर्निया में घर्षण से उत्पन्न होती है।
कॉर्निया में घर्षण क्यों होता है?
कोई भी वस्तु जो आंखों के सामने वाली सतह के सीधे संपर्क में आती है कॉर्निया में घर्षण या खरोंच का कारण बन सकती है। पेड़ की शाखाएं, पेपर, मेकअप ब्रश, पालतू जानवर, नाखून, कार्यस्थल पर मौजूद कचरे का ढेर, खेल के उपकरण आदि आंखों के सामने की सतह के सीधे संपर्क में आने पर खरोंच का कारण बन सकते हैं। अधिकांश समय कॉर्निया में घर्षण किसी बड़ी घटना जैसे आंख में कोई चीज़ चुभने से नहीं, बल्कि मिट्टी, रेत आदि के कण जाने से होता है। स्थिति तब और बिगड़ जाती है जब आप आंखों को हाथ से मलते हैं। ड्राई आंखें भी कॉर्निया में घर्षण की संभावना को बढ़ा देते हैं, खासतौर पर जब आप नींद से जगते हैं। यदि सोते समय आपकी आंखें ड्राई हो जाती है तो इस दौरान पलकें आंखों की सतह पर चिपक जाती हैं। ऐसे में जब आप उठते हैं और आंखें खोलने की कोशिश करते हैं तो पलकों से कॉर्निया में घर्षण होता है।
यदि कॉन्टैक्ट लेंस ठीक से फिट नहीं हुआ है या वह गंदा या क्षतिग्रस्त है तो इससे कॉर्निया में खरोंच आ सकती है। इसलिए कॉन्टैक्ट लेंस को देर तक और सोते समय न पहनें।
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लक्षण
कॉर्निया में घर्षण के लक्षण
कॉर्निया आपके शरीर के सबसे अधिक संवेदनशील अंगों में से एक है। इसलिए कॉर्निया में थोड़ी सी भी खरोंच आने पर बहुत अधिक दर्द होता है और आपको ऐसा लगेगा की आंखों में कोई बहुत बड़ी चीज चली गई है। दर्द और संवेदनशीलता के साथ ही आंखों में घर्षण के अन्य लक्षण हैं-
- आंखों का लाल होना
- आंख से पानी आना
- प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता
- सिरदर्द होना
- धुंधला नजर आना
कई बार कॉर्निया में खरोंच लगने पर इतनी असहजता महसूस होती है कि किसी-किसी को मितली भी आ जाती है। यदि आपको लगता है कि आपके कॉर्निया में घर्षण हुआ है और ऊपर बताए गए लक्षणों में से कुछ भी महसूस हो तो तुंरत आंख के डॉक्टर के पास जाएं।
कॉर्निया में घर्षण होने पर क्या करें?
आंखों में कुछ चले जाने पर आमतौर पर लोग आंखों को रगड़ने लगते हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है। यदि आपको लगता है कि आंख में कुछ चला गया है तो पानी से धोएं, लेकिन आंखों को रगड़े नहीं।
साथ ही आंख को पैच से कवर करने की गलती न करें, इससे बैक्टीरियल ग्रोथ जल्दी होता है जिससे आई इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। यदि संभव हो तो नल या बोतल के पानी की बजाय आंखों को स्टेराइल सेलाइन (sterile saline) आई वॉश या मल्टीपर्पस कॉन्टैक्ट लेंस सॉल्यूशन से धोएं। बोतल और नल क पानी में माइक्रोऑर्गेनिज़्म एकैंथमीबा पाया जाता है जो यदि आंखों और खरोंच वाले कॉर्निया के संपर्क में आ तो गंभीर संक्रमण और दृष्टि संबंधी परेशानी खड़ी हो सकती है।
यदि आंखों को धोने के बाद भी वह लाल है, दर्द हो रहा है और सेंसेशन हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं, वरना स्थिति गंभीर हो सकती है।
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निदान
कॉर्निया में घर्षण का निदान
कॉर्निया में घर्षण को डायग्नोस करने के लिए डॉक्टर आंख में आई ड्रॉप डालकर उसे सुन्न करता है ताकि आप परीक्षण के लिए आंखें खुली रख सकें। डॉक्टर एक दूसरा आई ड्रॉप डालकर यह देखता है कि खरोंच कितनी गहरी है, इस परीक्षण में वह एग्जामिनेशन माइक्रोस्कोप और ब्लू लाइट का इस्तेमाल करता है। खरोंच का परीक्षण करने के बाद और खरोंच किस चीज से लगी है यह जानने के बाद ही डॉक्टर आगे इलाज करता है।
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उपचार
कॉर्निया में घर्षण का उपचार
आपका डॉक्टर एंटीबायोटिक आईड्राप या मरहम लिख सकता है जो आंखों को संक्रमण से बचाएगा। आंखों की लालिमा और दर्द कम करने के लिए वह दवा के साथ ही आपको मेडिकेटेड आईड्रॉप भी देगा। आंख को परेशानी से बचाने के लिए उसे बंद रखने की सलाह देगा और उसके ऊपर एक पैच लगाकर उसे बंद करेगा ताकि आपको दिक्कत न हो और रोशनी आंख में न पड़े। खरोंच यदि छोटी है तो 1 से 3 दिन में अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन गंभीर घर्षण या खरोंच को ठीक होने में समय लगता है। जब तक आपकी आंख ठीक न हो जाए उसेः
- रगड़ने की गलती न करें।
- जब तक डॉक्टर न कहे कॉन्टैक्ट लेंस न पहनें।
- धूप से होने वाली असहजता को कम करने के लिए सनग्लास पहनें।
कॉर्निया में घर्षण यदि थोड़ी मात्रा में है तो वह आंख को बिना किसी तरह का नुकसान पहुंचाए पूरी तरह से ठीक हो जाती है, लेकिन खरोंच यदि ज्यादा है तो इससे संक्रमण, स्कार (निशान) व अन्य समस्याएं हो सकती हैं। यदि आप इसकी सही देखभाल नहीं करते हैं तो आगे चलकर आपको देखने में दिक्कत होगी। इलाज के बाद यदि दोबारा किसी तरह के लक्षण दिखे या दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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बचाव
कॉर्निया में घर्षण से कैसे बचा जा सकता है?
हालांकि, कई स्थितियों में कॉर्निया में घर्षण से बचाव नहीं किया जा सकता, लेकिन सामान्य रूप से कुछ सावधानी बरतकर आप इससे बच सकते हैं। जैसे कुछ काम के दौरान प्रोटेक्टिव ग्लास/गॉगल पहनें जैसे-
- लॉन में घास काटते समय।
- किसी उपकरण के इस्तेमाल के समय।
- जहां धूल-मिट्टी अधिक हो वहां।
- केमिकल के इस्तेमाल या वेल्डिंग उपकरण के इस्तेमाल के दौरान।
कॉर्निया में घर्षण का कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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