के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
यह डिजीज एक प्रकार का डेमेंशिया है, जो अल्जाइमर के समान है। लेकिन यह अल्जाइमर से ज्यादा समान नहीं है। पिक्स डिजीज मस्तिष्क के उस हिस्से को प्रभावित करती है, जो भावनाओं, व्यवहार, व्यक्तित्व और भाषा को नियंत्रित करता है। पिक्स डिजीज को फ्रंटोटेंपोरल डेमेंशिया के नाम से जाना जाता है। आपका मस्तिष्क पोषक तत्वों की आवाजाही के लिए ट्रांसपोर्ट सिस्टम का इस्तेमाल करता है। यह सिस्टम प्रोटीन्स से मिलकर बना होता है, जो रेलरोड ट्रैक के जैसा बना होता है। यह रेलरोड ट्रैक पोषक तत्वों का मार्गदर्शन करते हैं। यानिकी शरीर के जिन हिस्सों में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, उन हिस्सों में जाने के लिए यह सिस्टम गाइड करता है। यह प्रोटीन्स एक सीधा रास्ता बनाते हैं, जिसे टाउ प्रोटीन्स (Tau Proteins) कहा जाता है। जब आपको पिक्स डिजीज हो जाती है तब यह टाउ प्रोटीन्स उचित तरह से कार्य नहीं करते हैं। इस डिजीज में सामान्य लोगों की तुलना में आपकी बॉडी में इन प्रोटीन्स की संख्या ज्यादा हो सकती है।
टाउ प्रोटीन्स का असामान्य रूप से इक्कट्ठे हुए ढेर को पिक्स बॉडी कहा जाता है। पिक्स बॉडी आपके ट्रांसपोर्ट सिस्टम को पटरी से उतार देते हैं। इस स्थिति में यह ट्रैक या रास्ता सीधा नहीं रहता है। ऐसा होने पर जरूरत के स्थान पर पोषक तत्व पहुंच नहीं पाते हैं। इस डिजीज से मस्तिष्क को जो नुकसान पहुंचता है, उसे ठीक नहीं किया जा सकता है।
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अमेरिका में करीब 50-60 हजार लोगों को यह डिजीज है। आमतौर पर 40 और 75 वर्ष के बीच में पिक्स डिजीज होती है। इसके अलावा, 20 वर्ष की आयु के युवाओं को भी पिक्स डिजीज हो सकती है। पिक्स डिजीज महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को ज्यादा प्रभावित करती है। स्कैंडिनेवियाई मूल के लोगों को सामान्य लोगों के मुकाबले इस डिजीज होने का खतरा रहता है।
इस डिजीज के लक्षण निम्नलिखित हैं:
इस डिजीज में भाषा और न्यूरोलॉजिकल के कुछ अन्य लक्षण:
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यदि आपको उपरोक्त लक्षणों में से किसी एक का अनुभव होता है तो आपको तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। हालांकि, उपरोक्त लक्षण किसी अन्य बीमारी में भी नजर आ सकते हैं। ऐसी स्थिति में बेहतर जानकारी के लिए चिकित्सा सहायता अनिवार्य है।
टाउ प्रोटीन्स कोशिकाओं का असामान्य मात्रा में मस्तिष्क में इक्कट्ठा होने से पिक्स डिजीज होती है। यह प्रोटीन्स आपकी सभी तंत्रिका कोशिकाओं में पाए जाते हैं। यदि आपको पिक्स डिजीज है तो यह अक्सर गोलाकार गुच्छ में इक्कट्ठा होते हैं, जिन्हें पिक्स बॉडी या पिक्स कोशिकाओं के नाम से जाना जाता है। मस्तिष्क की फ्रंटल और टेंपोरल लोब की कोशिकाओं में इनके इक्कट्ठा होने से कोशिकाएं मृत हो जाती हैं। इससे आपके मस्तिष्क के ऊत्तक सिकुड़ जाते हैं जिससे डेमेंशिया के लक्षण सामने आते हैं।
हालांकि, वैज्ञानिक अभी तक इन असामान्य प्रोटीन्स के इक्कट्ठा होने का कारण पता नहीं लगा पाए हैं। हालांकि, आनुवांशिकी विज्ञानी ने पाया है कि पिक्स डिजीज और अन्य एपटीडी का संबंध असामान्य जीन से है। आनुवांशिक विज्ञानियों ने परिवार के अन्य सदस्यों में भी पिक्स डिजीज होने के मामलों का पता लगाया है।
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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किसी एक जांच से पिक्स डिजीज का पता नहीं लगाया जा सकता है। पिक्स डिजीज का पता लगाने के लिए डॉक्टर मेडिकल हिस्ट्री, स्पेशल इमेजिंग टेस्ट और अन्य प्रकार के टूल्स का इस्तेमाल कर सकता है।
उदाहरण के लिए डॉक्टर निम्नलिखित तरीकों से इस बीमारी का पता लगा सकता है:
पिक्स डिजीज के अन्य कारणों का पता लगाने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट करा सकता है। उदाहरण के लिए हार्मोन की कमी, विटामिन बी12 की कमी और सिफलिस अधिक उम्र के व्यस्कों में डेमेंशिया के सामान्य कारण हैं।
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पिक्स डिजीज का कोई प्रभावित इलाज नहीं है। लक्षणों को कम करने के लिए आपका डॉक्टर किसी इलाज की सलाह दे सकता है। उदाहरण के लिए भावनात्मक और व्यवहार में होने बदलाव का इलाज करने के लिए डॉक्टर एंटीडिप्रेशन और एंटीसाइकॉटिक दवाइयां दे सकता है। इसके अलावा, लक्षणों को और बदतर करने वाले कारणों का इलाज भी किया जा सकता है, जिससे इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
पिक्स डिजीज के लक्षणों को कम करने के लिए निम्नलिखित बीमारियों का इलाज किया जा सकता है:
मौजूदा समय में पिक्स डिजीज के इलाज के संबंध में अभी भी शोध जारी हैं। पिक्स डिजीज में जीवन शैली और घरेलू उपाय के संबंध में अभी तक विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, इस बीमारी में हर व्यक्ति अलग ढंग से प्रतिक्रिया देती है। ऐसे में यह जरूरी नहीं किसी अन्य मामले में कारगर उपाय आपकी बॉडी पर समान प्रभाव डालेंगे। लाइफस्टाइल में बदलाव के संबंध में बेहतर होगा कि आप अपने डॉक्टर से सलाह लें।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
डिस्क्लेमर
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