कोई पर्यावरणीय कारक (Environmental factor) भी इम्यून सिस्टम को बदल सकता है और बाद में इम्यून समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे कि हेपेटाइटिस सी या एपस्टीन-बार वायरस से संक्रमण होना।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को यह समस्या अधिक होती है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा महिलाओं के हार्मोन्स की वजह से होता है। हालांकि इस बारे में सही से बताया नहीं जा सकता।
रजोनिवृत्ति भी इसका एक कारण हो सकता है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि एस्ट्रोजेन स्जोग्रेन की सुरक्षा करता है और हार्मोन का गिरता हुआ स्तर इम्यून फंक्शन को बदल सकता है और स्थिति बदतर बना सकता है।
स्जोग्रेन सिंड्रोम का कोई उपचार नहीं है। लेकिन, प्रभावित अंगों के रूखेपन को दूर कर के इस रोग में होने वाली समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। वर्तमान में कई क्लिनिकल ट्रायल प्रोग्राम हैं जो स्जोग्रेन के लिए नई थेरेपी को विकसित करने पर केंद्रित हैं।
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जोखिम
स्जोग्रेन सिंड्रोम की समस्या निम्नलिखित स्थितियों में जोखिम भरा हो सकती है:
- उम्र : स्जोग्रेन सिंड्रोम होने का जोखिम 40 साल की उम्र के बाद अधिक होता है।
- लिंग : पुरुषों की तुलना में महिलाओं को यह समस्या होने की संभावना अधिक रहती है।
- रूमेटिक रोग (गठिया संबंधी रोग): जिन लोगों को रूमेटिक रोग यानि गठिया जैसा रोग है। उनमें भी यह रोग होने का जोखिम अधिक होता है।
- पारिवारिक इतिहास : ऐसा भी माना जाता है कि अगर आपके परिवार में यह रोग किसी को है, तो आपको यह रोग होने की संभावना अधिक होती है।
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उपचार
स्जोग्रेन सिंड्रोम का निदान थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि इस रोग के लक्षण अन्य बीमारियों की तरह ही होते हैं। इसका निदान करने के लिए डॉक्टर रोगी की शारीरिक जांच कर सकते हैं और कुछ सवाल पूछ सकते हैं जैसे
- क्या आपकी आंखों में खुजली या जलन होती है?
- आपके दांतों में बहुत अधिक कीड़ा लगता है?
- आपका मुंह रुखा रहता है?
- आपके जोड़ों में दर्द या अकड़न रहती है?