विल्म्स ट्यूमर (Wilms’ Tumor) किडनी से संबंधित कैंसर है। इसे नेफ्रोब्लास्टोमा (Nephroblastoma) भी कहते हैं। विल्म्स ट्यूमर अक्सर एक ही किडनी में होता है, लेकिन कुछ मामलों में ये समस्या दोनों किडनियों में भी हो सकती है। सन् 1899 में जर्मन डॉक्टर मैक्स विल्म्स ने पहली बार इस तरह की बीमारी के बारे में लिखा था।
कितना सामान्य है विल्म्स ट्यूमर (Wilms’ Tumor) होना?
विल्म्स ट्यूमर बच्चों में होने वाला किडनी कैंसर है। विल्म्स ट्यूमर ज्यादातर 3 साल से ले कर 5 साल तक के बच्चों को होता है। आठ साल तक के बच्चों में विल्म्स ट्यूमर शायद ही पाया जाता है। लेकिन, फिर भी कुछ रेयर मामलों में ये किशोरों और बड़ों को भी होता है। ज्यादा जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
विल्म्स ट्यूमर के क्या लक्षण हैं? (Wilms’ Tumor Symptoms)
विल्म्स ट्यूमर के सामान्य लक्षण निम्न हैं :
- कब्ज
- पेट में दर्द, सूजन और परेशानी होना
- मितली और उल्टी आना
- कमजोरी और थकान
- भूख में कमी आना
- बुखार
- पेशाब में खून आना
- हाई ब्लड प्रेशर होना, जिससे सीने में दर्द होना, सांस लेने में तकलीफ होना और सिरदर्द होना
- शरीर के एक हिस्से की वृद्धि कम होना
इसके अलावा विल्म्स ट्यूमर के ज्यादा लक्षणों की जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
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मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अगर आप में ऊपर बताए गए लक्षण सामने आ रहे हैं तो डॉक्टर को दिखाएं। साथ ही विल्म्स ट्यूमर से संबंधित किसी भी तरह के सवाल या दुविधा को डॉक्टर से जरूर पूछ लें। क्योंकि हर किसी का शरीर विल्म्स ट्यूमर के लिए अलग-अलग रिएक्ट करता है।
विल्म्स ट्यूमर होने के कारण क्या हैं? (Wilms’ Tumor Causes)
विल्म्स ट्यूमर होने के सटीक कारणों के बारे में पता नहीं है। लेकिन कुछ मामलों में विशेषज्ञों का मानना है कि ये आनुवंशिक समस्या है। किडनी में कैंसर तब विकसित होता है जब कोशिकाओं के डीएनए में गड़बड़ी होती है। इस गड़बड़ी के कारण कोशिकाओं में अनियंत्रित विभाजन शुरू हो जाता है। जो आगे चल कर ट्यूमर का रूप ले लेती है। कुछ रेयर मामलों में डीएनए विल्म्स ट्यूमर को माता-पिता से बच्चों में ट्रांसफर करते हैं। जिससे ये एक आनुवांशिक समस्या हो जाती है।
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कैसी स्थितियां विल्म्स ट्यूमर के जोखिम को बढ़ा सकती हैं? (Wilms’ Tumor Risk Factors)
विल्म्स ट्यूमर होने का रिस्क निम्न लोगों में सबसे ज्यादा होता है :
- अफ्रीकन-अमेरिकन नस्ल के लोगों में विल्म्स ट्यूमर होने का रिस्क सबसे ज्यादा होता है। वहीं, एशियन-अमेरिकन बच्चों में ये ट्यूमर होने का रिस्क सबसे कम होता है।
- अगर परिवार में किसी को भी विल्म्स ट्यूमर रहता है तो बच्चों में होने की संभावना रहती है।
विल्म्स ट्यूमर कुछ असामान्य बच्चों को भी हो सकता है। जिनमें निम्न सिंड्रोम पाए जाते हैं :
- अनिरीडिया : इसमें आंखों के आइरिस के स्थान पर कलर पोर्शन पाया जाता है, जो टुकड़ों में टूटा रहता है।
- हेमिहाइपरट्रॉफी : इसमें शरीर का एक हिस्सा दूसरे से छोटा रहता है।
कुछ दुर्लभ मामलों में विल्म्स ट्यूमर होने का रिस्क रहता है :
- WAGR सिंड्रोम : ये एक ऐसा सिंड्रोम है जो चार सिंड्रोम से मिल कर बना होता है। विल्म्स ट्यूमर, अनिरीडिया, जेनाइटल और यूरिनरी सिस्टम अबनॉर्मैलिटीज व बौद्धिक अक्षमता को मिला कर WAGR सिंड्रोम बनता है।
- डेनिस-ड्रैश सिंड्रोम : विल्म्स ट्यूमर, किडनी डिजीज और मेल स्यूडोहर्माफ्रोडिटिज्म (महिलाओं में वृषण का पाया जाना) का संयुक्त रूप डेनिस-डॅैश सिंड्रोम है।
- बेकविथ-वाइडेमन सिंड्रोम : इस सिंड्रोम से ग्रसित बच्चों के शारीरिक अंगों में अनियमित विकास के साथ असमानताएं होती हैं।
निम्न सिंड्रोम से ग्रसित बच्चों में विल्म्स ट्यूमर होने का जोखिम ज्यादा होता है।
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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विल्म्स ट्यूमर का निदान कैसे किया जाता है? (Wilms’ Tumor Diagnosis)
- विल्म्स ट्यूमर को पता लगाने के लिए डॉक्टर पहले फिजिकल जांच करते हैं। जिससे किडनी में ट्यूमर की पुष्टि होती है।
- ब्लड और यूरिन टेस्ट के जरीए किडनी में कैंसर का पता लगाया जाता है।
- सीटी स्कैन या एमआरआई से भी ट्यूमर की जांच होती है।
विल्म्स ट्यूमर के स्टेजेस
एक बार अगर बच्चे में विल्म्स ट्यूमर की पुष्टि हो जाती है तो डॉक्टर एक्स-रे या चेस्ट सीटी स्कैन करते हैं। जिसके जरिए ये जानने की कोशिश करते हैं कि कैंसर किडनी के अलावा शरीर के किसी अन्य हिस्सों में तो नहीं फैला है। विल्म्स ट्यूमर के स्टेड निम्न प्रकार हैं :
- स्टेज 1 : कैंसर सिर्फ एक ही किडनी में पाया जाता है। जो सर्जरी के जरिए ठीक हो सकता है।
- स्टेज 2 : कैंसर किडनी के अलावा अन्य अंगों में भी फैल जाता है। जो कि सर्जरी के द्वारा पूरी तरह से निकाला जा सकता है।
- स्टेज 3 : किडनी के साथ ही लिम्फ नोड या पेट के अन्य हिस्सों में भी ट्यूमर हो जाता है। लेकिन इस स्टेज का कैंसर सर्जरी से ठीक नहीं होता है।
- स्टेज 4 : किडनी के अलावा फेफड़े, लिवर, हड्डियों या ब्रेन में भी कैंसर फैल जाता है।
- स्टेज 5 : कैंसर कोशिकाएं दोनों किडनी में पाया जाता है।
विल्म्स ट्यूमर का इलाज कैसे होता है? (Wilms’ Tumor Treatments)
कई तरह के विशेषज्ञों की टीम मिल कर विल्म्स ट्यूमर से ग्रसित बच्चे का इलाज करते हैं:
- पीडियाट्रिसियन
- सर्जन
- यूरोलॉजिस्ट या यूरिनरी ट्रैक्ट विशेषज्ञ
- ऑन्कोलॉजिस्ट या कैंसर विशेषज्ञ
विल्म्स ट्यूमर का इलाज निम्न प्रकार से किया जाता है :
- सर्जरी
- कीमोथेरिपी
- रेडिएशन थेरिपी
सर्जरी का उद्देश्य ट्यूमर को निकालने के लिए किया जाता है। वहीं, कीमोथेरिपी और रेडिएशन थेरिपी से सर्जरी से पहले ट्यूमर को सिकोड़ा जाता है। इसके बाद ही सर्जरी की जाती है। कीमोथेरिपी, रेडिएशन थेरिपी या सर्जरी के बाद भी ट्यूमर पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाता है तो डॉक्टर दवाओं के साथ उसका इलाज करते हैं।
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जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो विल्म्स ट्यूमर (Wilms’ tumor) को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?
- विल्म्स ट्यूमर के संबंध में डॉक्टर के पास जाने से पहले अपने साथ बच्चे का पसंदीदा खिलौना या किताबें ले लें। ताकि बच्चा बोर न हो सकें।
- बच्चे के ट्रीटमेंट के दौरान उसके साथ रहें।
- बच्चे को प्रोत्साहित करते रहें।
- सर्जरी के बाद अस्पताल से घर आने पर आप बच्चे को सामान्य दिनचर्या को फॉलो करने के लिए प्रेरित करें।
- बच्चे के स्वास्थ्य की जांच रोजाना घर पर करते रहें। जैसे- आप उसके शरीर का तापमान आदि जांचते रहें।
- बच्चे के डायट का ध्यान रखें। डॉक्टर ने जो चीजें खिलाने के लिए कहा है, वहीं खिलाएं।
- बच्चे के साफ-सफाई का ध्यान रखें। दांतों, त्वचा आदि का खास ध्यान रखें।
- समय-समय पर बच्चे को डॉक्टर के पास ले कर जाते रहें।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और विल्म्स ट्यूमर से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।