के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
खून में एल्युमिनियम (Aluminium) की मात्रा देखने के लिए एल्युमिनियम टेस्ट किया जाता है। आमतौर पर एक व्यक्ति के शरीर में रोजाना की डायट में 5 से 10 ग्राम एल्युमिनियम शरीर में प्रवेश करता है। इसके बाद ये एल्युमिनियम किडनी द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है। हालांकि, कुछ लोगों में रेनल फेलियर (renal failure) यानी किडनी के ठीक ढंग से काम नहीं करने या फेल हो जाने पर शरीर से एल्युमिनियम फिल्टर होकर बाहर नहीं निकल पाता। इससे एल्युमिनियम का स्तर शरीर में बढ़ने लग जाता है जिसे एल्यूमिनियम पॉइजनिंग (aluminum poisoning) कहा जाता है, जो एक बेहद खतरनाक स्थिति है।
अगर शरीर में एल्युमिनियम जमने लगता है तो ये एलब्युमिन (albumin) के साथ मिलकर पूरे शरीर में फैलने लगता है। अत्यधिक एल्युमिनियम के जमाव की वजह से यह हमारे दिमाग और हड्डियों तक पहुंचने लगता है। दिमाग में इसके पहुंचने से डिमेंशिया डाइलिसिस (dementia dialysis) नामक स्थिति पैदा होती है। वहीं हड्डियों में पहुंचकर ये कैल्शियम की जगह लेने लगता है और हड्डियों के टिशू बनने से रोकने लगता है।
किडनी के खराब होने के अलावा कुछ लोगों एल्युमिनियम के प्लाज्मा के जमाव की वजह से भी ये समस्या उत्पन्न हो सकती है। यह समस्या उन लोगों में देखी जाती है, जिनके जोड़ों आदी में किसी वजह से एल्युमिनियम धातु लगाई गई हो।
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किडनी खराब या ठीक से काम नहीं करने पर भी एल्युमिनियम टेस्ट किया जाता है। इससे खून में एल्युमिनियम की मात्रा देखी जाती है। डायलिसिस पेशेंट्स में एल्युमिनियम टाक्सीसिटी को मोनिटर करने के लिए यह टेस्ट रिकमेंड किया जाता है।
सभी उम्र के लोगों के लिए इसकी 0-6ng/mL नॉर्मल रेंज होती है। डायलिसिस पेशेंट्स के लिए 60ng/mL रेंज है। इससे ज्यादा रेंज होने का मतलब है शरीर में हैवी एल्युमिनियम टाक्सीसिटी होना। एल्युमिनियम के हाई लेवल होने का कारण गुर्दे फेल होना हो सकता है क्योंकि इन लोगों में फिल्टर के माध्यम से एल्यूमीनियम को साफ करने की क्षमता नहीं होती है। जिन लोगों के गुर्दे खराब होते है लेकिन वो डायलिसिस नहीं कराते हैं तो उनमें सीरम एल्यूमीनियम का उच्च स्तर होता है। इसलिए इन लोगों में रूटिन स्क्रीनिंग कराना बेहद जरूरी है।
अगर एल्युमिनियम के शरीर में विषैले प्रभाव से कुछ लक्षण उत्पन्न होते हैं, तो भी डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह दे सकता है। निम्न लक्षणों के दिखने पर यह टेस्ट किया जा सकता है-
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एल्युमिनियम टेस्ट (Aluminium Test) कराने के पहले इन बातों को जानना जरूरी ?
एल्युमिनियट टेस्ट को ये चीजें प्रभावित कर सकती हैं
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टेस्ट के पहले आपको किसी खास तरह की तैयारी और ना ही भूखा रहने की जरूरत होती है।
हालांकि, आपके स्वास्थ्य को देखते हुए डॉक्टर कुछ जरूरी तैयारी करने को कह सकता है। हमेशा ब्लड टेस्ट के दौरान शॉर्ट स्लीव वाली शर्ट पहनें जिससे ब्लड लेने में आसानी हो सके।
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टेस्ट करने के लिए डॉक्टर ये प्रक्रिया अपनाता है-
इस टेस्ट में किसी तरह का दर्द नहीं होता। कुछ लोगों को सूई चुभने का हल्का सा अहसास होता है, लेकिन जब इंजेक्शन से खून निकाला जाता है, तो इसका पता भी नहीं चलता। दर्द इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपको इंजेक्शन किस तरह लगाया गया और आप दर्द के प्रति कितने संवेदनशील हैं।
टेस्ट के बाद आप वापस अपनी दिनचर्या में वापस लौट सकते हैं। अगर आपको इस टेस्ट को लेकर कोई सवाल हैं, तो अपने डॉक्टर से सलाह लेना न भूलें।
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सामान्य नतीजे
असामान्य नतीजे
जब आंकड़ों में अत्यधिक वृद्धि दिखाई दे तो समझ जाएं कि आपके शरीर में एल्युमिनियम अब जहर बन चुका है। इस मामले में सटीक उपचार के लिए डॉक्टर को कई और टेस्ट साथ मिलाकर करने चाहिए।
हो सकता है कि लैब टेस्ट के उपकरण आदि की वजह से एल्युमिनियम के स्तर में कुछ उतार चढ़ाव आ जाएं। ऐसे में बेहतर होगा कि आप अपने डॉक्टर की सलाह लें।
अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना ना भूलें। हैलो हेल्थ ग्रुप Hello Health Group किसी भी तरह के चिकित्सा परामर्श और इलाज नहीं देता है।
हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में एल्युमिनियम टेस्ट से जुड़ी ज्यादातर जानकारी देने की कोशिश की है, जो आपके काफी काम आ सकती हैं। अगर आपके गुर्दों में परेशानी है तो डॉक्टर आपको यह टेस्ट लिख सकता है। बस इस बात का ध्यान रखें कि इस स्थिती में पेशेंट को काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। एल्युमिनियम टेस्ट से जुड़ी यदि आप अन्य जानकारी चाहते हैं तो आप हमसे कमेंट कर पूछ सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप हमें कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं।
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