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इन 10 टेस्ट को करवाने से महिलाएं बच सकती हैं, कोई बड़ी हेल्थ प्रॉब्लम से

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/07/2022

    इन 10 टेस्ट को करवाने से महिलाएं बच सकती हैं, कोई बड़ी हेल्थ प्रॉब्लम से 

    महिलाएं (Women) मल्टीटास्किंग पर्सनैलिटी हैं। उनमें घर से लेकर ऑफिस तक का काम करने का हुनर होता है। पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफस्टाइल को वे आसानी से हैंडल कर लेती हैं, लेकिन जिंदगी की इस भागदौड़ में खुद के लिए समय निकालना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। हालांकि, कुछ गृहिणियां और कामकाजी महिलाएं खुद को फिट रखने के लिए हेल्दी फूड (Healthy Food) और एक्सरसाइज (Exercise) का सहारा लेती हैं, लेकिन इन सब के बावजूद क्या वाकई में ये महिलाएं फिट हैं। क्या आपको नहीं लगता है कि सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए समय-समय पर एक मेडिकल चेकअप करवाना चाहिए। क्योंकि कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो उस स्टेज पर आकर पता चलती हैं, जहां कुछ कर पाना मुश्किल सा हो जाता है। हेलो हेल्थ के इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं महिलाओं से जुड़े उन 10 स्क्रीनिंग टेस्ट (10 Important Women Screening Test) के बारे में, जिन्हें समय-समय पर करवा लेने से एक हेल्दी लाइफ की उम्मीद की जा सकती है।

    मैमोग्राफी टेस्ट (Mammography Test)

    स्तन कैंसर (Breast Cancer) महिलाओं में एक आम बीमारी बन चुकी है, क्योंकि बढ़ती उम्र में इस बीमारी का खतरा दिनों-दिन बढ़ता ही जाता है। आमतौर पर 40 साल की उम्र के बाद ब्रेस्ट के स्क्रीनिंग टेस्ट की सलाह दी जाती है, लेकिन यह समस्या आनुवांशिक हो तो जरूरी है कि समय-समय इसका स्क्रीनिंग टेस्ट करवा लेना चाहिए। ऐसे में मैमोग्राफी जांच के जरिए ही इस बात का पता चल जाएगा कि कोई महिला स्तन कैंसर (ब्रेस्ट कैंसर) से पीड़ित है या नहीं। एक अध्ययन के मुताबिक, दुनिया में तकरीबन 20 फीसदी महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के जंजाल से जूझ रही हैं। खास तौर पर  50 साल से कम उम्र की महिलाओं को साल में एक बार मैमोग्राम टेस्ट जरूर करवा लेना चाहिए। याद रहे स्तनों में किसी भी तरह की गांठ, असहनीय दर्द, असमानता और असामान्य निप्पल डिस्चार्ज होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

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    पैप स्मीयर टेस्ट (Pap Test)

    गर्भाशय के कैंसर की जांच करने को पैप स्मीयर टेस्ट कहा जाता है। इस बीमारी का समय से पता चलने पर इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। 30 की उम्र के बाद महिलाओं में यूट्रेस और सर्वाइकल कैंसर का खतरा अधिक बढ़ गया है। ऐसे में बढ़ती उम्र की महिलाओं को पैप स्मीयर टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। मेडिकल साइंस के मुताबिक, 30 की उम्र के बाद महिलाओं को हर दो साल में पैप स्मीयर टेस्ट कराते रहना चाहिए। जानकारी के लिए बता दें कि इस टेस्ट में योनि में एक मशीन स्पैक्युलम डाल कर सर्विक्स (Cervix) की सेल्स के लिए नमूने इकट्ठे किए जाते हैं। इसके बाद माइक्रोस्कोप की मदद से इन कोशिकाओं की गहन जांच की जाती है। बता दें कि सर्विक्स, महिलाओं के प्रजनन तंत्र का एक भाग है, जहां गर्भाशय और योनि का मिलन होता है। यह टेस्ट 21 साल की उम्र की प्रत्येक लड़की को तीन साल में एक बार जरूर करवा लेना चाहिए।

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    बोन डेंसिटी टेस्ट (Bone Density Test)

    इसके नाम से पता चला जाता है कि यह शारीरिक हड्डियों से संबंधित है। बता दें कि हड्डियों के कमजोर होने पर हल्के-फुल्के झटके या चोट लगने पर इनके टूटने की संभावना अधिक हो जाती है, जिसके कारण कई बीमारियों का खतरा सिर पर मंडराने लगता है। इस टेस्ट में एक विशेष प्रकार के एक्सरे के जरिए कलाइयों, स्पाइन और कूलों की हड्डियों की डेंसिटी माप कर इनकी मजबूती को आंका जाता है, ताकि भविष्य में हड्डियों को होने वाले भारी नुकसान से बचाया जा सके। इसमें हड्डियों में मौजूद कैल्शियम और अन्य खनिजों की जानकारी मिलती है। 30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए यह टेस्ट करवा लेना चाहिए। वहीं, मेनोपॉज के बाद महिलाओं को और कम उम्र में ही गर्भाशय को निकलवा लेने वाली महिलाओं की हड्डियों में दर्द की शिकायत सामने आती हैं। एंटीसाइकेट्रिक या स्टेरॉयड की दवा लेने वालों को यह टेस्ट कराने का सलाह दी जाती है। बता दें कि अचानक हाइट कम होने पर भी यह टेस्ट करवाया जा सकता है।

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     थाॅयराइड फंक्शन टेस्ट (Thyroid Function Test)

    थाॅयराइड महिलाओं में तेजी से फैलने वाली बीमारी है। इसमें सिर्फ वजन बढ़ना ही महिलाओं की मुख्य समस्या नहीं है बल्कि इसके कारण बाल झड़ना भी महिलाओं के लिए बहुत दुखदायी होता है। वैसे महिलाओं के शरीर में पांच जगह सबसे ज्यादा फैट बढ़ता है, जिससे उनका शरीर अनियमित रूप से बढ़ता रहता है। बता दें कि थाॅयराइड का खतरा गर्भावस्था, हार्मोनल्स बैलेंस और रजोनिवृत्ति के दौरान अधिक होता है। इसलिए तेजी से मोटापा बढ़ने पर भी महिलाओं को थायरॉइड फंक्शन टेस्ट करवा लेने की सलाह दी जाती है।

    हीमोग्लोबिन टेस्ट (Hemoglobin Test)

    हीमोग्लोबिन (HB) को एक ‘कॉम्प्लेक्स प्रोटिन’ कहा जाता है। यह प्रोटीन लाल रक्त कोशिकाओं में मिलता है जिसमें आयरन के गुण होते हैं। बता दें कि हीमोग्लोबिन का मुख्य काम ऑक्सीजन को फेफड़ों से शरीर के टिश्यू तक ले जाने का होता है। हीमोग्लोबिन में मौजूद लाल रक्त कोशिकाएं और आयरन शरीर को मजबूत बनाए रखने का काम करते हैं। खून की कमी से एनीमिया (Anemia) होता है, जिसे लोग आयरन की गोलियां खाकर ठीक करने में लगते रहते हैं। लेकिन, गर्भवती महिलाओं को हर तीन महीने में हीमोग्लोबिन टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। इस टेस्ट में हीमोग्लोबिन के लेवल को मापा जाता है। इस टेस्ट में ब्लड सैंपल लेकर खून की गहन जांच की जाती है। हीमोग्लोबिन के स्तर की महिलाओं में नॉर्मल रेंज 12.1 से 15.1 ग्राम प्रति डेसीलीटर और गर्भवती महिलाओं में 11 से 15.1 ग्राम प्रति डेसीलीटर होती है। ऐसा न होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए।

    डिप्रेशन, हाथ-पैर ठंडे होना, अत्यधिक थकान, नाखून, स्किन और मसूड़े पीले पड़ना , कमजोरी महसूस होना, भूख कम लगना, चक्कर आना, छाती में दर्द, और सांस फूलना इसके लक्षण हैं, जिनके महसूस होने पर हीमोग्लोबीन टेस्ट करवा लेना चाहिए।

    आयरन टेस्ट (Iron Test)

    आयरन की कमी से महिला और पुरुष दोनों का शरीर कमजोरी महसूस करने लगता है। बता दें कि महिलाओं में मासिक धर्म, गर्भावस्था और स्तनपान के कारण शरीर में बड़ी मात्रा में आयरन की कमी होने लगती है। यही कारण है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में आयरन की मात्रा कम होती जाती है और वह काम के दौरान जल्दी थका हुआ महसूस करने लगती हैं। इसलिए महिलाओं को समय-समय पर आयरन टेस्ट भी करवाते रहना चाहिए। ध्यान रहे कि आयरन की जांच कराने से 12 घंटे पहले तक कोई आयरन सप्लिमेंट ना लेने की सलाह दी जाती है। दिनभर आयरन के स्तर में बदलाव होता रहता है। इसलिए जरूरी है कि आयरन का टेस्ट सुबह के समय ही कराना चाहिए, क्योंकि सुबह शरीर में आयरन का स्तर सबसे उच्च होता है। बता दें कि खासकर महिलाओं के लिए शरीर को ऊर्जावान बनाने के लिए और अंदरूनी अंगों के अच्छे से काम करने और शारीरिक मांसपेशियों के लिए आयरन का सेवन बहुत जरूरी है। शरीर का तकरीबन 70 फीसदी आयरन आरबीसी में मौजूद हीमोग्लोबिन में पाया जाता है और बाकी का आयरन प्रोटीन और शरीर के अन्य टिश्यू में होता है। इस टेस्ट में खून में आयरन की मात्रा की जांच होती है। इसमें इस बात का पता लगाया जाता है कि शरीर में आयरन का चपापचय (Metabolism) अच्छे से हो रहा है या नहीं। आयरन एक खनिज की तरह होता है जो हीमोग्लोबिन को बढ़ाने के लिए जरूरी है। आयरन का टेस्ट एनीमिया, हेमोक्रोमेटोसिस जांच और पोषण संबंधी समस्या के लिए किया जाता है, जिससे शरीर में कोई बड़ी हानि न हो।

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    ओवरी टेस्ट (Ovary Test)

    पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) (Polycystic Ovary Syndrome) महिलाओं में एक आम बीमारी है, जो उनके अंडाशय को प्रभावित करती है। महिलाओं में यह तेजी से पनपने वाली बीमारी है। ओवरी में अल्सर होने से महिलाएं बांझपन और अनियमित पीरियड जैसी भंयकर स्थिति से गुजरती है। इसके लक्षणों की बात करें तो इसमें अनचाहे बाल अनचाही जगह पर आने लगते हैं। इसमें वजन बढ़ना और घटने की समस्या भी होती है। साथ ही त्वचा का ऑयली होना और सिर में दर्द इसके लक्षण हैं। साथ ही अनियमित मासिक धर्म या पीरियड्स का बिल्कुल भी न आना। प्रेग्नेंट होने में परेशानी, वजन बढ़ना, बालों का लगातार पतला होना और उनका झड़ना साथ ही स्किन ऑयली होना भी इसके सामान्य लक्षण हैं। बता दें कि PCOS हार्मोनल संतुलने बिगड़ने से होता है। ऐसे में महिलाओं के लिए जरूरी है कि अगर उन्हें खुद में PCOS के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और तुरंत इसका इलाज शुरू कर देना चाहिए।

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    स्किन टेस्ट (Skin Test)

    अगर शुरुआती चरण में मेलानोमा यानी स्किन कैंसर का पता चल जाए तो अगले 5 वर्षों तक जीने की उम्मीद 90 फीसदी से अधिक बढ़ जाती है। मेलानोमा स्किन कैंसर स्किन में मौजूद सेल्स में होता है। बर्थमार्क या तिल का भाग एक दूसरे से अलग होना। साथ ही उनके रंग का भी मेल न खाना खतरा हो सकता है। स्किन में दर्द, खुजली या खून आना, स्किन में बदलवा, मोम जैसा मसहूस होना, खुरदुरा लाल धब्बा, सूखी या परतदार स्किन, स्किन का पीला होना और त्वचा पर ठीक न होने वाला घाव स्किन कैंसर के लक्षण हैं। बता दें कि स्किन कैंसर दुनिया में कैंसर के सबसे आम कैंसर में से एक है। कामकाजी महिलाओं में स्किन कैंसर (Skin Cancer) आम और गंभीर बीमारी है। हालांकि, यह किसी भी महिला को हो सकता है, लेकिन कामकाजी महिलाओं में इसकी संख्या ज्यादा है। 25 की उम्र के बाद महिलाओं में मेलानोमा या स्किन कैंसर का खतरा बढ़ने लगता है। वहीं, गोरी त्वचा वाली महिलाओं में मेलानोमा का खतरा सबसे अधिक होता है। वे लड़कियां जिन्हें 18 की उम्र से पहले सनबर्न की परेशानी हो या फिर फैमिली में किसी का मेलानोमा मेडिकल रिकॉर्ड रहा हो तो वे एक बार फुल बॉडी स्किन कैंसर स्क्रीनिंग करा लें तो बेहतर होगा ताकि, समय रहते इसका इलाज आसानी से किया जा सके।

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    ब्लड प्रेशर (Blood Pressure)

    जानकर हैरान होगी कि महिलाओं और पुरुषों में ब्लड प्रेशर की समस्या में बहुत फर्क है। एक शोध के मुताबिक, ब्लड प्रेशर के मामले में महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले दिल की बीमारियां 30 से 40 फीसदी ज्यादा है। शोध में पाया गया है कि महिलाओं का कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम पुरुषों की तुलना में अलग से काम करता पाया गया है। जिन महिलाओं को 30 साल की उम्र के बाद ब्लड प्रेशर में असमानता नजर आए तो वे साल एक बार जरूर जांच कराएं। वैसे महिलाओं में ब्लड प्रेशर की समस्या कभी पनप सकती है। अगर आपका बीपी 140/90 से ज्यादा हो तो ऐसे में डॉक्टर की सलाह लेना ही समझदारी है। हो सकता है, इससे हाइपरटेंशन का संकेत हो। बता दें कि हाई ब्लड प्रेशर दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और किडनी खराब होने जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बनता है। ऐसे में गृहिणी और कामकागी दोनों वर्ग की महिलाओं के लिए जरूरी है कि वह समय-समय पर ब्लड प्रेशर की जांच करवाती रहें।

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    कोलेस्ट्रॉल टेस्ट (cholesterol Test)

    महिलाओं के शरीर में पांच जगह सबसे ज्यादा फैट बढ़ता है यह बात हम आपको पहले ही बता चुके हैं। फैट का अनियिमित रूप से बढ़ना थायरॉइड का संकेत होता है, लेकिन ज्यादा तला और वसा वाला खाना खाने से धमनियों में कोलेस्ट्र्रॉल जमने लगता है, जिससे पूरे शरीर में होने वाले रक्त के संचार में रुकावट होने लगती है जिसके कारण मोटापा बढ़ने लगता है। शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल दिल से जुड़ी सौ बीमारियों को दावत देता है। इसलिए जरूरी है कि 30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को हर पांच साल में एक बार ब्लड टेस्ट और कोलेस्टॉलटेस्ट जरूर करवा लेना चाहिए। ध्यान रहे अगर किसी महिला को डायबिटीज और किडनी से संबंधित कोई बीमारी है तो उसे टेस्ट करवाने से पहले डॉक्टर सलाह जरूर लेनी चाहिए।

    इस टेस्ट से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का संतुलन का पता लग जाएगा। अगर शरीर में कोलेस्ट्रॉल 130 से ज्यादा हुआ तो समझो खतरे का संकते है।

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