बोन डेंसिटी टेस्ट (Bone Density Test)
इसके नाम से पता चला जाता है कि यह शारीरिक हड्डियों से संबंधित है। बता दें कि हड्डियों के कमजोर होने पर हल्के-फुल्के झटके या चोट लगने पर इनके टूटने की संभावना अधिक हो जाती है, जिसके कारण कई बीमारियों का खतरा सिर पर मंडराने लगता है। इस टेस्ट में एक विशेष प्रकार के एक्सरे के जरिए कलाइयों, स्पाइन और कूलों की हड्डियों की डेंसिटी माप कर इनकी मजबूती को आंका जाता है, ताकि भविष्य में हड्डियों को होने वाले भारी नुकसान से बचाया जा सके। इसमें हड्डियों में मौजूद कैल्शियम और अन्य खनिजों की जानकारी मिलती है। 30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए यह टेस्ट करवा लेना चाहिए। वहीं, मेनोपॉज के बाद महिलाओं को और कम उम्र में ही गर्भाशय को निकलवा लेने वाली महिलाओं की हड्डियों में दर्द की शिकायत सामने आती हैं। एंटीसाइकेट्रिक या स्टेरॉयड की दवा लेने वालों को यह टेस्ट कराने का सलाह दी जाती है। बता दें कि अचानक हाइट कम होने पर भी यह टेस्ट करवाया जा सकता है।
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थाॅयराइड फंक्शन टेस्ट (Thyroid Function Test)
थाॅयराइड महिलाओं में तेजी से फैलने वाली बीमारी है। इसमें सिर्फ वजन बढ़ना ही महिलाओं की मुख्य समस्या नहीं है बल्कि इसके कारण बाल झड़ना भी महिलाओं के लिए बहुत दुखदायी होता है। वैसे महिलाओं के शरीर में पांच जगह सबसे ज्यादा फैट बढ़ता है, जिससे उनका शरीर अनियमित रूप से बढ़ता रहता है। बता दें कि थाॅयराइड का खतरा गर्भावस्था, हार्मोनल्स बैलेंस और रजोनिवृत्ति के दौरान अधिक होता है। इसलिए तेजी से मोटापा बढ़ने पर भी महिलाओं को थायरॉइड फंक्शन टेस्ट करवा लेने की सलाह दी जाती है।
हीमोग्लोबिन टेस्ट (Hemoglobin Test)
हीमोग्लोबिन (HB) को एक ‘कॉम्प्लेक्स प्रोटिन’ कहा जाता है। यह प्रोटीन लाल रक्त कोशिकाओं में मिलता है जिसमें आयरन के गुण होते हैं। बता दें कि हीमोग्लोबिन का मुख्य काम ऑक्सीजन को फेफड़ों से शरीर के टिश्यू तक ले जाने का होता है। हीमोग्लोबिन में मौजूद लाल रक्त कोशिकाएं और आयरन शरीर को मजबूत बनाए रखने का काम करते हैं। खून की कमी से एनीमिया (Anemia) होता है, जिसे लोग आयरन की गोलियां खाकर ठीक करने में लगते रहते हैं। लेकिन, गर्भवती महिलाओं को हर तीन महीने में हीमोग्लोबिन टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। इस टेस्ट में हीमोग्लोबिन के लेवल को मापा जाता है। इस टेस्ट में ब्लड सैंपल लेकर खून की गहन जांच की जाती है। हीमोग्लोबिन के स्तर की महिलाओं में नॉर्मल रेंज 12.1 से 15.1 ग्राम प्रति डेसीलीटर और गर्भवती महिलाओं में 11 से 15.1 ग्राम प्रति डेसीलीटर होती है। ऐसा न होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए।
डिप्रेशन, हाथ-पैर ठंडे होना, अत्यधिक थकान, नाखून, स्किन और मसूड़े पीले पड़ना , कमजोरी महसूस होना, भूख कम लगना, चक्कर आना, छाती में दर्द, और सांस फूलना इसके लक्षण हैं, जिनके महसूस होने पर हीमोग्लोबीन टेस्ट करवा लेना चाहिए।