आज कि विमेन भले कितनी ही स्मार्ट हों, लेकिन कई बार, उन्हें एक साथ अपने कई रोल निभाने पड़ते हैं, जैसे कि बेटी, वाइफ, मदर और एक वर्किंग विमेन का भी। तो ऐसे में, कई बार खुद को मल्टी टास्किंग बनाने का तनाव, उन्हें सूपरविमेन सिंड्रोम का शिकार बना देता है। सन् 1984 में पहली बार सूपरविमेन सिंड्रोम का केस सामने आया था। हम यह भी कह सकते हैं कि जब एक महिला खुद की, खुद से ज्यादा अपेक्षा करने लगती है, और जब वह पूरा नहीं कर पाती है, तो उस स्थिति में वो सूपर सिंड्रोम की शिकार हो सकती है। इसके लक्षण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है। इसे जानने के लिए सबसे पहले जानें कि सपूरविमेन सिंड्रोम क्या है।
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