दीपांजलि के बाद अब हम आपको मिलवा रहे हैं दूसरी ऐसी ही महिला से जो इस क्षेत्र में बहुत अच्छा काम करते हुए आगे बढ़ रही हैं। इनका नाम है रिचा सिंह।
रिचा सिंह
ये लो कॉस्ट सैनिटरी ब्रांड नाइन हाइजीन एंड पर्सनल केयर (Niine) की सीईओ हैं। यह कंपनी कम कीमत में पैड बेचने के लिए जानी जाती है। ऐसा भी कहा जाता है इसकी वजह से ही बड़ी कंपनियों ने सैनिटरी पैड्स की कीमतों में कमी की। रिचा सिंह की सबसे बड़ी चुनौति उन वर्गों की महिलाओं तक सैनिटरी नैपकिन को पहुंचाना है जो महंगे पैड्स बेचने वाले ब्रांड्स से अभिभूत है या फिर दूसरे प्रोडक्ट्स से अंजान हैं।
एक पब्लिकेशन को दिए इंटरव्यू में रिचा सिंह ने मेंस्ट्रुशन हाइजीन, पीरियड्स एक टैबू से विषयों पर अपनी राय रखी।
Que. महिलाएं आज भी पीरियड्स (Periods) पर बात करने में झिझक महसूस करती हैं। आज भी पीरियड्स को टैबू माना जाता है (Periods are considered taboo)। आपका क्या कहना है इस बारे में?
यह एक सामान्य शीरीरिक प्रक्रिया है, जो हर महिला के जीवन का हिस्सा है। इसको लेकर शर्म या झिझक कैसी? यह एक बायोलॉजिकल प्रॉसेस (Biological process) है। जिसके बारे में हम सभी ने बचपन में पढ़ा है। जब पीरियड्स को पीरियड्स क्यों नहीं कहते। ‘टाइम ऑफ द मंथ’, ‘डाउन होना’ ऐसे शब्दों से क्यों संबोधित करते हैं। जब तक हम महिलाएं ही ऐसा करेगी तो इसमें कुछ सुधार नहीं होगा। जब सिर दर्द को सिर दर्द और सर्दी को सर्दी बोला जाता है तो पीरियड्स को पीरियड्स क्यों नहीं बोल सकते। मेरा ऐसा मानना है कि प्रजनन क्षमता का संकेत किसी के लिए शर्मनाक नहीं होना चाहिए।
Que. आप चूंकि इस क्षेत्र में काम कर रही हैं, तो बताइए कि सैनिटरी पैड (Sanitary pad) के इस्तेमाल को लेकर महिलाओं का कैसा रवैया है?
बात सिर्फ गांवों की नहीं है, शहरों की स्थिति भी बहुत खराब है। महिलाएं अभी भी पुराने कपड़े का यूज करती हैं। जिससे कई प्रकार के संक्रमण होने की आशंका होती है। कुछ महिलाओं के पास इतने रूपए नहीं होते कि वे सैनिटरी नैपकिन खरीद सकें। वहीं कुछ महिलाएं सैनिटरी नैपकिन पर ज्यादा रुपए खर्च नहीं करना चाहतीं। जागरूकता की कमी ही इसका सबसे बड़ा कारण है।
Que. मेंस्ट्रुअल हाइजीन (Menstrual hygiene) को लेकर आप क्या कहना चाहेंगी?
मेस्ट्रुअल हाइजीन के लिए जरूरी है कि सभी इस विषय की गंभीरता को समझें और अपने आसपास के लोगों को शिक्षित करें। इसके लिए नाइन सैनिटरी काम कर रहा है। हम ज्यादा से ज्यादा महिलाओं और पुरुषों को जोड़ रहे हैं ताकि वे खुद शिक्षित हो और लोगों को भी इस बारे में शिक्षित कर सकें।