कब्ज (Constipation) किसी के लिए भी परेशानी का कारण बन सकता है। घरेलू उपायों को अपनाने के बाद लोग अक्सर कॉन्स्टिपेशन से राहत प्राप्त करने के लिए ओवर द काउंटर (Over the counter) दवाओं का रुख करते हैं। कब्ज से राहत दिलाने के लिए मेडिकल शॉप्स पर कई प्रकार के स्टूल सॉफ्टनर्स और लैक्सेटिव्स (Stool softeners and laxatives) उपलब्ध रहते हैं। इनमें से किसी एक को चुनना थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है। कौन सा लैक्सेटिव कैसे काम करेगा, कौन सा उचित होगा ऐसे सवाल मन में आना लाजमी है। इन सभी सवालों के जवाब लेकर हम आए हैं इस आर्टिकल में। इसके साथ ही हम स्टूल सॉफ्टनर्स और लैक्सेटिव्स में अंतर भी बताएंगे।
स्टूल सॉफ्टनर्स और लैक्सेटिव्स (Stool Softeners and Laxatives)
सबसे पहले स्टूल सॉफ्टनर्स और लैक्सेटिव्स (Stool softeners and laxatives) में अंतर जान लेते हैं। लैक्सेटिव एक सब्सटेंस (Substance) है जिसका उपयोग बॉवेल मूवमेंट (Bowel movement) के लिए किया जाता है। वहीं स्टूल सॉफ्टनर लैक्सेटिव का प्रकार है जिसे एमोलिएंट लैक्सेटिव (Amoliant laxative) कहा जाता है। इस प्रकार सभी प्रकार के स्टूल सॉफ्टनर्स लैक्सेटिव्स है, लेकिन सभी लैक्सेटिव्स स्टूल सॉफ्टनर नहीं होते।
लैक्सेटिव्स के कई प्रकार हैं। क्योंकि कब्ज का कारण कई हो सकते हैं, लैक्सेटिव्स कब्ज से राहत प्रदान करने के लिए अलग-अगल ढंग से काम करते हैं। कुछ स्टूल पर काम करते हैं कुछ इंस्टेटाइन पर तो कुछ स्टूल और इंस्टेटाइन दोनों के लिए उपयोग किए जाते हैं। सभी प्रकार के लैक्सेटिव्स का उपयोग कब्ज राहत दिलाने के लिए किया जाता है। जानते हैं लैक्सेटिव्स के प्रकार के बारे में।
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लैक्सेटिव्स के प्रकार (Laxatives Types)
मार्केट में कई प्रकार के स्टूल सॉफ्टनर्स और लैक्सेटिव्स उपलब्ध हैं। डॉक्टर मरीज की स्थिति के हिसाब से इनके उपयोग की सलाह देते हैं।
ऑस्मोटिक लैक्सेटिव्स (Osmotic laxatives)
ऑस्मोटिक लैक्सेटिव्स इंस्टेटाइन में पानी को खींचकर लाने में मदद करते हैं। डिहायड्रेशन (Dehydration) की वजह से कब्ज का सामना कर रहे लोगों के लिए यह अच्छा विकल्प नहीं है। क्योंकि यह खुद डिहायड्रेशन और मिनरल इम्बैलेंस का कारण बन सकता है। बुजुर्गों, हार्ट एवं किडनी की बीमारियों का सामना कर रहे हैं लोगों को इस लैक्सेटिव्स का यूज डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए। साथ ही ऑस्मोटिक लैक्सेटिव्स का यूज कर रहे व्यक्ति पूरे दिन पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए।
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फायबर बेस्ड लैक्सेटिव्स (Fiber-based laxatives)
डॉक्टर कई बार बल्क फॉर्मिंग लैक्सेटिव रिकमंड करते हैं, जिनमें फायबर होता है। अगर कब्ज से पीड़ित व्यक्ति रेगुलर डायट में फायबर (Fiber) की पर्याप्त मात्रा नहीं ले रहा, तो डॉक्टर इन फायबर बेस्ड लैक्सेटिव्स का उपयोग रिकमंड कर सकते हैं। ये लैक्सेटिव्स क्रोनिक और लंबे समय से कॉन्टिपेशन का शिकार कर रहे लोगों के लिए रिकमंड किए जाते हैं। ये लैक्सेटिव्स लंबे समय तक उपयोग के लिए भी सुरक्षित होते हैं। अगर इन्हें उचित प्रकार से लिया जाए तो इनके साइड इफेक्ट्स भी नहीं होते।
सलाइन लैक्सेटिव्स (Saline laxatives)
ऑस्मोटिक लैक्सेटिव्स की तरह सलाइन लैक्सेटिव्स स्टूल में पानी पहुंचाने का काम करते हैं। इस लैक्सेटिव्स में मिनरल सॉल्ट्स जैसे कि मैग्नीशियम सिटरेट (magnesium citrate) और मैग्नीशियम ऑक्साइड ( magnesium oxide) का यूज किया जाता है। सलाइन लैक्सेटिव्स सभी के उपयोग के लिए सही नहीं है। उदहारण के लिए जो लोग सोडियम लेवल को लो करने के लिए मेडिकेशन का उपयोग कर रहे हैं या किडनी में कैल्शियम लेवल को कम करने की दवाएं ले रहे हैं, उन्हें इस लैक्सेटिव का उपयोग नहीं करना चाहिए। यह शॉर्ट टर्म कॉन्स्टिपेशन के उपचार के लिए ठीक है, लेकिन लंबे समय तक इनका उपयोग डिहायड्रेशन का कारण बन सकता है।
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लुब्रीकेंट लैक्सेटिव्स (Lubricant laxatives)
डॉक्टर कब्ज (Constipation) से राहत के लिए ऐसे लैक्सेटिव्स को भी रिकमंड कर सकते हैं जिसमें मिनरल ऑयल हो। इस लैक्सेटिव का यूज शॉर्ट टर्म कॉन्स्टिपेशन के इलाज में किया जाता है। ये रेगुलर यूज के लिए उचित नहीं है। इन लैक्सेटिव्स में पाए जाने वाले ऑयल्स फैट सॉल्यूबल विटामिन्स (Fat Soluble Vitamins) से चिपक जाते हैं और उन्हें पचाने में असंभव बना सकते हैं।
स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव्स (Stimulant laxatives)
स्टिम्यूलेंट लैक्सेटिव्स पेनफुल कॉन्स्टिपेशन (Painful constipation) से राहत दिलाने में कारगर माने जाते हैं। इन लैक्सेटिव्स में मौजूद स्टिम्युलेटिंग इफेक्ट स्टूल को कोलन में मूव करने में मदद करता है। ये लैक्सेटिव्स स्टूल में लिक्विड को बढ़ाने का काम करते हैं। स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव्स रेगुलर उपयोग के लिए सुरक्षित नहीं है। रोज इनका उपयोग करने से इनकी आदत पड़ सकती है और बॉडी बॉवेल मूवमेंट के लिए इन पर निर्भर हो सकती है।
ग्वानिलेट सिसलेस सी एगोनिस्ट लैक्सेटिव्स (Guanylate cyclase-C agonist laxatives)
डॉक्टर इस लैक्सेटिव्स को क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन (Chronic constipation) के लिए सजेस्ट करते हैं। जिसका कारण पता नहीं होता है। इस लैक्सेटिव्स के उपयोग के साथ ही लाइफस्टाइल में बदलाव भी डॉक्टर सजेस्ट करते हैं। बच्चों को इस लैक्सेटिव का उपयोग नहीं करना चाहिए। किसी भी प्रकार के स्टूल सॉफ्टनर्स और लैक्सेटिव्स का उपयोग लंबे समय तक डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें। स्टूल सॉफ्टनर्स और लैक्सेटिव्स के प्रकार जानने के बाद अब पता लगाते हैं कि ये किन-किन रूपों में उपलब्ध हैं।
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स्टूल सॉफ्टनर्स और लैक्सेटिव्स किन रूपों में उपलब्ध हैं? (Stool softeners and laxatives)
लैक्सेटिव्स कई रूप में उपलब्ध हैं। कुछ का उपयोग मुंह से तो कुछ रेक्टम के द्वारा उपयोग किए जाते हैं। स्टूल सॉफ्टनर्स और लैक्सेटिव्स के निम्न रूप उपलब्ध हैं।
- ओरल सॉफ्टजेल कैप्सूल (Oral softgel capsule)
- ओरल लिक्विड्स
- रेक्टल एनिमाज (Rectal animas)
- ओरल कैप्सूल
- चबाने वाली टैबलेट्स
- ओरल टैबलेट
- पाउडर फॉर्म
- रेक्टल सपोजिटरी (rectal suppository)
- ओरल वेफर (oral wafer)
स्टूल सॉफ्टनर्स और लैक्सेटिव्स के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं? (Stool softeners and laxatives side effects)
स्टूल सॉफ्टनर्स और लैक्सेटिव्स के उपयोग से कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। हालांकि, ये साइड इफेक्ट्स कम समय के लिए होते हैं, लेकिन अगर किसी प्रकार के गंभीर साइड इफेक्ट्स दिखे तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। सभी प्रकार के स्टूल सॉफ्टनर्स और लैक्सेटिव्स के कॉमन साइड इफेक्ट्स निम्न हैं।
- पेट में दर्द (Stomach cramp)
- ब्लोटिंग और गैस (Bloating and gas)
- जी मिचलाना और उल्टी होना (Nausea and vomiting)
- डायरिया (Diarrhea)
कुछ स्टूल सॉफ्टनर्स और लैक्सेटिव्स चबाएं या निगले जाने पर थ्रोट इंफेक्शन का कारण भी बन सकते हैं। लंबे समय तक स्टूल सॉफ्टनर्स और लैक्सेटिव्स का उपयोग गंभीर साइड इफेक्ट्स का कारण बन सकते हैं। वहीं स्टूल सॉफ्टनर्स और लैक्सेटिव्स एलर्जिक रिएक्शन का कारण भी बन सकते हैं। ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। स्टूल सॉफ्टनर्स और लैक्सेटिव्स के अलावा जीवनशैली में किए गए बदलाव भी इस समस्या से राहत प्रदान कर सकते हैं।
कब्ज (Constipation) से राहत के लिए लाइफस्टाइल में करें ये बदलाव
लाइफस्टाइल में ये बदलाव कब्ज से राहत दिलाने में सहायक है।
- अधिक मात्रा में पानी पीने और रेगुलर एक्सरसाइज करने से कब्ज से राहत मिल सकती है।
- इसके साथ ही फायबर डायट भी कब्ज से लड़ने में मदद करती है।
- फायबर से भरपूर फलों और सब्जियों को डायट में शामिल कर फायबर की पर्याप्त मात्रा प्राप्त की जाती सकती है।
- फलों में सेब, संतरा वहीं सब्जियों में पालक, ब्रोकली और सूखा आलूबुखारा फायबर के अच्छे सोर्स हैं। इन्हें डायट में शामिल किया जा सकता है।
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