सेप्टिसीमिया क्या है ?
सेप्टिसीमिया एक गंभीर ब्लड इंफेक्शन है। इसे बैक्टीरिया या ब्लड पॉइजनिंग भी कहा जाता है। शरीर के अलग-अलग हिस्से जैसे लंग्स, स्किन या ब्लडस्ट्रीम में बैक्टीरिया इंफेक्शन के कारण भी सेप्टिसीमिया की समस्या हो सकती है। यह खतरनाक भी हो सकता है क्योंकि इससे पूरे शरीर में बैक्टीरिया और इसके टॉक्सिन फैलने की संभावना ज्यादा होती है।
सेप्टिसीमिया का अगर इलाज नहीं शुरू किया गया तो सेप्सिस (sepsis) होने का खतरा बढ़ जाता है। इलाज वक्त पर शुरू नहीं होने पर सेप्टिसीमिया से पीड़ित व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
सेप्टिसीमिया और सेप्सिस दोनों अलग-अलग बीमारी है। सेप्टिसीमिया के अत्यधिक बढ़ने पर सेप्सिस होता है। पूरे शरीर में सूजन की होने की स्थिति में सेप्सिस होता है।सूजन की वजह से ब्लड क्लॉट होने लगता है। इस कारण ऑक्सीजन की कमी होने लगती है, जिस वजह से शारीरिक अंगे काम करना बंद कर देती हैं।
लक्षण
सेप्टिसीमिया के लक्षण क्या हैं ?
- तेज बुखार
- ठंड लगना
- कमजोरी
- अत्यधिक पसीना आना
- ब्लड प्रेशर कम होना
- इन लक्षणों के साथ-साथ कुछ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं। जैसे:
- भ्रमित रहना
- ठीक से सोच नहीं पाना
- मतली और उल्टी
- स्किन पर लाल स्पॉट होना
- यूरिन कम आना
- शरीर में खून कम बनना
इन लक्षणों को बिलकुल भी नजर अंदाज न करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
ऐसा भी हो सकता है की इन लक्षणों के अलावा कोई अन्य लक्षण हों।
डॉक्टर से कब मिलना चाहिए ?
यदि सेप्टिसीमिया के संकेत या लक्षण नजर आते हैं या आप इस बीमारी से जुड़ी कोई जानकारी चाहते हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हर किसी का शरीर अलग तरह से कार्य करता है। हेल्थ एक्सपर्ट से बात कर इसे बेहतर तरह से समझा जाता है।
कारण
किन कारणों से होता है सेप्टिसीमिया ?
शरीर में इंफेक्शन की वजह से सेप्टिसीमिया की समस्या होती है। यह गंभीर समस्या हो सकती है। कई तरह के बैक्टीरिया के कारण सेप्टिसीमिया की समस्या होती है। हालांकि, इस बीमारी का सबसे अहम कारण क्या है इसके बारे में कह पाना मुश्किल है। इस विषय पर अभी भी रिसर्च की जा रही है।
निम्लिखित इंफेक्शन की वजह से सेप्टिसीमिया की समस्या हो सकती है:
- यूरिनरी ट्रेक इंफेक्शन (UTI)
- लंग्स में इंफेक्शन होना (निमोनिया होना)
- किडनी इंफेक्शन
- पेट में इंफेक्शन होना (abdominal)
इन अंगों में इंफेक्शन की वजह से बैक्टीरिया ब्लडस्ट्रीम तक पहुंच जाता है।
और पढ़ें: Pompe Disease: जानें पोम्पे रोग क्या है?
Risk factors
किन कारणों से बढ़ सकती है सेप्टिसीमिया की समस्या ?
इसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे:
- घाव का जल्दी ठीक नहीं होना
- कम उम्र या बुजुर्गों में
- यूरिन बैग की वजह से इंफेक्शन
- HIV या ल्यूकेमिया की स्थिति
- मेकेनिकल वेंटिलेशन
- कीमोथेरिपी या स्टेरॉयड इंजेक्शन की वजह से इम्यून सिस्टम कमजोर होना।
वैसे लोग जो अस्पताल में सर्जरी या किसी बीमारी के लिए एडमिट हैं, उनमें सेप्टिसीमिया का खतरा ज्यादा होता है।
यह इंफेक्शन ज्यादा खतरनाक होता हैं क्योंकि बैक्टीरिया पहले से ही एंटीबायोटिक दवाओं के लिए प्रतिरोधी हो सकते हैं।
निदान और उपचार
दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
सेप्टिसीमिया का निदान कैसे किया जाता है ?
सेप्टिसीमिया का इलाज डॉक्टरों के लिए एक चैलेंज की तरह है। इंफेक्शन के अहम कारणों का अंदाजा लगा पाना मुश्किल होता है। इसलिए कई तरह के शारीरिक जांच किये जाते हैं।
डॉक्टर पीड़ित व्यक्ति से लक्षण और मेडिकल हिस्ट्री समझ सकते हैं। शारीरिक जांच कर ब्लड प्रेशर और बॉडी टेम्प्रेचर जांच करते हैं। सेप्टिसीमिया की वजह से कई अन्य लक्षण भी शुरू हो जाते हैं। इनमें शामिल है: निमोनिया, मेनिन्जाइटिस और सेल्यूटिटिस। बीमारी की जानकारी कन्फर्म करने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट करते हैं।
जैसे-
ब्लड टेस्ट आदि।
डॉक्टर प्लेटलेट्स काउंट जानने के साथ-साथ टेस्ट भी करेंगे जिससे ब्लड क्लॉटिंग की स्थिति समझने में आसानी होगी।
सांस लेने में समस्या होने पर डॉक्टर ऑक्सिजन और कार्बन डायऑक्साइड लेवल की जांच भी कर सकते हैं।
अगर इंफेक्शन की जानकारी ठीक से समझ नहीं आने की स्थिति में निम्नलिखित जांच की जा सकती है।
- एक्स-रे (X-ray)
- एमआरआई (MRI)
- सीटी स्कैन (CT scan)
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
सेप्टिसीमिया का इलाज कैसे किया जाता है ?
शारीरिक अंगों और टिशू पर सेप्टिसीमिया से प्रभावित है, तो मेडिकल इमर्जेंसी हो सकती है। इसका इलाज अस्पताल में होना चाहिए। ज्यादातर सेप्टिसीमिया का इलाज आईसीयू में किया जाता हैं, जिससे पेशेंट जल्दी ठीक हो सके।
इलाज निम्नलिखित कारणों पर निर्भर करता है:
- पेशेंट की उम्र
- पेशेंट कितने स्वस्थ्य हैं
- परेशानी कितनी बढ़ चुकी है
- पेशेंट को किस तरह की दवा दी जानी चाहिए
बैक्टीरियल इंफेक्शन कितना फैल चुका है इसे ध्यान में रखकर एंटीबॉयोटिक्स दी जाती है। हालांकि ऐसी स्थिति में ये ध्यान नहीं दिया जाता है की किस तरह के बैक्टीरिया के कारण इंफेक्शन हुआ है। शुरुआती इलाज में एंटीबॉयोटिक्स दी जाती है। जिसका असर बैक्टीरिया पर पड़ता है। अगर बैक्टीरिया के प्रकार की जानकारी मिल जाती है, तो एंटीबॉयोटिक्स बढ़ा दी जा सकती है। ब्लड क्लॉट से बचने के लिए दवा दी जाती है। सांस लेने में ज्यादा कठिनाई होने पर मास्क या वेंटीलेटर की मदद ली जाती है।
[mc4wp_form id=’183492″]
जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार
लाइफस्टाइल में क्या बदलाव लाएं और घरेलू उपचार क्या करें जिससे सेप्टिसीमिया में आराम मिल सके ?
निम्नलिखित तरह से बदलाव लाकर सेप्टिसीमिया की समस्या को कम किया जा सकता है:
- बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से सेप्टिसीमिया होता है। लक्षण समझ आने पर डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करें। यदि इंफेक्शन को शुरुआती चरणों में एंटीबायोटिक दवाओं की मदद से इलाज किया गया, तो बैक्टीरिया को ब्लड में फैलने से रोक सकते हैं। बच्चों में सेप्टिसीमिया से बचाने के लिए डॉक्टर से सलाह लेकर वैक्सिन दी जा सकती है।
- अगर इम्यून सिस्टम कमजोर है, तो निम्नलिखित टिप्स अपनाएं:
- स्मोकिंग न करें
- ड्रग्स का सेवन न करें
- पौष्टिक आहार का सेवन करें
- नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।
- हाथों की सफाई ठीक से करें।
- वैसे लोगों के संर्पक में न आएं जिनमें इंफेक्शन की संभावना हो।
अगर इस बीमारी से जुड़ी कोई परेशानी है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।