हमारे शरीर में सभी ऑर्गन का स्थान महत्वपूर्ण होता है। अगर किसी कारण से ऑर्गन में समस्या आ जाए, तो डॉक्टर उसे सुधारने का पूरा प्रयास करते हैं। यूरिनरी सिस्टम भी हमारे शरीर में अहम भूमिका निभाता है। ये शरीर में पहुंचने वाले पोषक तत्वों को अलग कर टॉक्सिक या बेकार पदार्थों को यूरिन के माध्यम से शरीर के बाहर करने का काम करता है। अगर किसी कारण से ब्लैडर में समस्या हो जाए, तो यूरिन पास करने में भी दिक्कत होने लगती है। यूरिन का शरीर से बाहर निकलना भी बहुत जरूरी है। ब्लैडर कैंसर या अन्य कारण से ब्लैडर को हटाना पड़ सकता है, ऐसे में यूरिन को शरीर से बाहर निकलाने के लिए अन्य मार्ग की आवश्यकता होती है। कॉन्टिनेंट यूरीनरी रेसरवायर (Continent urinary reservoir) में शरीर से यूरिन को बाहर निकालने के लिए अन्य मार्ग बनाया जाता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको कॉन्टिनेंट यूरीनरी डायवर्जन (Continent urinary diversion) के बारे में अहम जानकारी देंगे।
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कॉन्टिनेंट यूरीनरी रेसरवायर (Continent urinary reservoir) क्या है?
हमारे शरीर में ब्लैडर की भूमिका अहम होती है।अगर ब्लैडर में किन्हीं कारणों से समस्या हो जाए, तो यूरिन पास करने में समस्या होने लगती है। यानी यूरिनरी सिस्टम में खराबी के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है। नॉर्मल कंडीशन की बात करें, तो यूरिनरी ट्रेक्ट एक पंपिंग सिस्टम की तरह काम करता है। इसमें कुछ पाइप होते हैं, जो पानी के साथ ही सॉल्ट को जाने की अनुमति मिलती है। किडनी (Kidney) ब्लड को फिल्टर करने का काम करती है और वेस्ट या टॉक्सिक को बाहर निकालकर शुगर, सॉल्ट के साथ ही अन्य मिनिरल्स (Minerals) को शरीर के इस्तेमाल के लिए बचा लेती है। यूरिन (Urine) यूरेटर के माध्यम से शरीर से बाहर निकलती है, जो करीब 12 इंज लंबे ट्यूब की तरह होते हैं। ब्लैडर में यूरिन को स्टोर किया जाता है। यूरेटर की सहायता से यूरिन वापस किडनी में नहीं जा पाती है। यूरेथ्रा के माध्यम से यूरिन शरीर के बाहर निकलती है।
यूरिनरी सिस्टम का नॉर्मल स्ट्रक्चर बिगड़ने पर शरीर से यूरिन को बाहर निकालने के लिए अलग मार्ग बनाना पड़ता है। कॉन्टिनेंट यूरीनरी रेसरवायर (Continent urinary reservoir) में पाउस का निर्माण कर यूरिन को बाहर निकालने में मदद की जाती है। ये समस्या उन लोगों को हो सकती है, जिनका ब्लैडर अचानक से खराब हो गया हो या फिर ब्लैडर कैंसर (bladder Cancer) के कारण ब्लैडर को हटाना पड़ा हो। ऐसे में यूरिन को ब्लैडर के स्थान पर अन्य स्थान (Neobladder) में डायवर्ट करना पड़ता है। एब्डॉमिनल वॉल को खोलकर एक स्थान बनाया जाता है, जिसे स्टोमा (Stoma) कहते हैं।
कॉन्टिनेंट यूरीनरी रेसरवायर (Continent urinary reservoir) में सर्जन शरीर के अंदर यानी आंतों के हिस्से में मूत्र को रोकने के लिए एक थैला यानी पाउच का निर्माण करते हैं। ये पाउच दो प्रकार का हो सकता है। जिन लोगों के पेट से स्टोमा निकलता है और जो दूसरा जिनमें निओब्लैडर (Neobladder) बनता है। नियोब्लैडर के साथ यूरिन पास करने में दिक्कत नहीं होती है। सर्जिकल स्टोमा के अंतरर्गत एक ट्यूब को स्टोमा में इंसर्ट किया जाता है ताकि यूरिन को निकाला जा सके।
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कॉन्टिनेंट यूरीनरी रेसरवायर(Continent urinary reservoir) कैसे किया जाता है?
कॉन्टिनेंट यूरीनरी रेसरवायर (Continent urinary reservoir) में करीब दो से छह घंटे का समय लग सकता है। इस सर्जरी को करने के लिए डॉक्टर पेशेंट को एनेस्थेसिया (Anesthesia) देते हैं। एनेस्थेसिया के कारण सर्जरी के दौरान दर्द का एहसास नहीं होता है। इस दौरान ही ब्लैडर को सिस्टेक्टोमी के माध्यम से हटाया जाता है। इस दौरान मुख्य रूप से तीन भागों में बांटकर यूरीनरी डायवर्जन किया जाता है।
- यूरिन को इकट्ठा करने के लिए पाउच का निर्माण किया जाता है।
- अब पाउच से एक ट्यूब को कनेक्ट किया जाता है, जो एब्डॉमन में जाकर खुलती है।
- अब एब्डॉमन में एक ओपनिंग बनाई जाती है, जिसे स्टोमा कहते हैं।
सर्जन एब्डॉमन का पार्ट लेकर पाउच बनाते हैं। इसे इंटरनल यूरिन पाउच कहते हैं। सर्जन ट्यूब की मदद से पाउच को टमी वॉल में कनेक्ट करते हैं। वो बाउल, अपेंडिक्स, यूरेटर, यूरेथ्रा या फैलोपियन ट्यूब का इस्तेमाल कर सकते हैं। टमी बटन के अंदर स्टोमा का निर्माण किया जाता है। आप स्टोमा के बेस्ट प्लेस के संबंध में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से भी बात कर सकते हैं। ऐसा इसलिए जरूरी है ताकि डॉक्टर को ये पता चल सके कि आपको किस स्थान में सहज महसूस होगा। आपको कॉन्टिनेंट यूरीनरी रेसरवायर (Continent urinary reservoir) के संबंध में डॉक्टर से बिना हिचके अपनी राय रखनी चाहिए।
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ट्रीटमेंट के बाद करना पड़ सकता है इन समस्याओं का सामना
कॉन्टिनेंट यूरीनरी रेसरवायर (Continent urinary reservoir) यानी यूरीनरी डायवर्जन के बाद भले ही पेशेंट को संतुष्टि का एहसास हो लेकिन ये कई समस्याएं भी अपने साथ लेकर आती है। सर्जरी के कुछ समय बाद पेशेंट नॉर्मल रूटीन में वापस आ जाता है। ज्यादातर लोगों को इस सर्जरी के बाद कुछ समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। जानिए सर्जरी के बाद किन परिवर्तनों का सामना करना पड़ सकता है।
- फ्लूड या फिर सॉल्ट के लेवल में बदलाव आना।
- स्टोमा में ट्यूब को इंसर्ट करने में समस्या।
- स्टोमा के ऊपर स्किन आ जाने की समस्या।
- एब्डॉमिनल ऑपरेशन जैसे कि ब्लॉक्ड बाउल (Blocked bowel) या बाउल लीकेज की समस्या।
यूरीनरी डायवर्जन के बाद किस प्रकार के परिवर्तन आते हैं, आप इस संबंध में डॉक्टर से भी जानकारी ले सकते हैं। जरूरी नहीं है कि सभी पेशेंट्स को एक जैसे परिवर्तन महसूस हो। जब आपको होश आएगा, तो आपके शरीर में बहुत सी ट्यूब लगी होंगी लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं है।
ट्रीटमेंट के बाद कब जा सकते हैं घर?
आपको एक से दो हफ्तों में छुट्टी मिल जाएगी। आपके पास एक पतली ट्यूब यानी कैथेटर (Catheter) होगी, जो लगभग 6 सप्ताह लगी रहेगी। इसका इस्तेमाल यूरिन ड्रेन करने के लिए किया जाता है। कुछ समय बाद आप अस्पताल में वापस आ कर कैथेटर हटवा सकते हैं। नर्स आपको बताएंगी कि कैसे आप अपना स्टोमा खाली कर सकते हैं। साथ ही आपको वो कुछ सावधानियों के बारे में भी जानकारी देंगी। आपको सावधानियों का खास ख्याल रखने की जरूरत है। अगर फिर भी आपको किसी प्रकार की दिक्कत का सामना करना पड़े, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। अगर आप समस्या डॉक्टर को नहीं बताएंगे, तो ये बढ़ सकती है।
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कैंसर की समस्या किसी को भी हो सकती है। कैंसर से बचने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल (Healthy lifestyle) बहुत जरूरी है। अगर आप कैंसर के लक्षणों को पहचानकर तुरंत इलाज कराएंगे, तो कैंसर को शुरुआत में रोकने में मदद मिलेगी। आप ब्लैडर कैंसर (Bladder cancer) के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। आपको इस बारे में बेहतर जानकारी डॉक्टर दे सकते हैं। हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। इस आर्टिकल में हमने आपको कॉन्टिनेंट यूरीनरी रेसरवायर (Continent urinary reservoir) के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको हेल्थ से संबंधित अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।