न्यूमोनेक्टॉमी(Pneumonectomy) के लिए रोगी को ऑपरेटिंग टेबल एक साइड के बल पर लेटना होता है और इस दौरान आपकी बाजू सिर के ऊपर होनी चाहिए। इंफेक्शन से बचने के लिए मरीज को एंटीबायोटिक्स भी दी जा सकती हैं। इसके बाद रोगी को एनेस्थीसिया दिया जाएगा, ताकि मरीज को पूरी प्रक्रिया के दौरान कुछ भी महसूस न हो और वो शांत रहे। इस सर्जरी में कई घंटे लग सकते हैं। सर्जन दो रिब्स में बीच में कई इंच लंबा एक कट लगाते हैं। यह कट बाजू से प्रभावित लंग की तरफ पीठ तक जा सकता है। अब सर्जन 2 रिब्स को अलग करते हैं। कुछ मामलों में सर्जन रिब का छोटा पार्ट रिमूव कर सकते हैं। सर्जन प्रभावित फेफड़े को डेफ्लेक्ट कर देते हैं और उसे हटा देते हैं। यही नहीं, इसके आसपास के कुछ लिम्फ नॉड्स को भी रिमूव किया जा सकता है। इनसे यह पता चल सकता है कि कैंसर कितना एडवांस्ड है। अब सर्जन रिब्स, मसल्स और स्किन को बंद कर देते हैं। ज्यादातर समय, उस प्लेयरल स्पेस (Pleural Space) में एक टेस्ट ट्यूब छोड़ी जाती है, जहां से फेफड़े को हटाया गया था। रोगी की स्थिति में सुधार होने पर इसे हटा दिया जाता है। जब एनेस्थीसिया का असर कम होता है और मरीज होश में आता है। वो कुछ समय तक बैचेन महसूस कर सकता है। ऐसा एनेस्थीसिया के प्रभाव के कारण होता है। लेकिन, रोगी में कुछ महत्वपूर्ण लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए जैसे हार्ट रेट (Heart Rate), ब्रीदिंग (Breathing) ,ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) और ऑक्सीजन लेवल (Oxygen Level) आदि। रोगी को ऑक्सीजन नाक के स्माल ट्यूब के माध्यम से भी दी जा सकती है। हालांकि, यह अस्थायी होती है। मरीज सूजन महसूस कर सकते हैं। लेकिन अगर वो दर्द महसूस करते हैं, तो आपको दर्द की दवा भी दी जा सकती है। रोगी को खास स्टॉकिंग दी जा सकती हैं, जिन्हें कम्प्रेशन स्टॉकिंग कहा जाता है ताकि ब्लड क्लॉट्स से बचा जा सके। न्यूमोनेक्टॉमी (Pneumonectomy) के बाद रोगी को 6 से 10 दिन अस्पताल में गुजरने पड़ते हैं, हालांकि, आठ हफ़्तों के बाद वो अपने नियमित काम आसानी से करने में सक्षम हो सकते हैं। जानिए न्यूमोनेक्टॉमी के बाद किन बातों का रखना चाहिए ध्यान?
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न्यूमोनेक्टॉमी के बाद किन चीजों का रखें ध्यान (Tips for Pneumonectomy)
न्यूमोनेक्टॉमी (Pneumonectomy) एक मेजर सर्जरी है और इसके बाद मरीज को खास देखभाल की जरूरत होती है। इस सर्जरी के बाद आपको इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए ताकि मरीज जल्दी रिकवर हो सके:
- रोगी को डॉक्टर की सलाह के अनुसार टांके या स्टेपल को रिमूव करना चाहिए।
- मरीज सर्जरी के बाद जल्दी तक जाने की समस्या महसूस कर सकता है। लेकिन, ऐसा होना सामान्य है। जल्दी ही रिकवरी होना शुरू हो जाती है।
- रोगी को रोजाना पर्याप्त आराम के साथ ही सैर भी अवश्य करनी चाहिए।
- मरीज कुछ हफ्तों तक कोई भी हैवी चीज को न उठाए।
- दवाईयों, व्यायाम, डायट और देखभाल आदि के मामलों में डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करें।
- अगर आपको इंफेक्शन का कोई भी लक्षण नजर आए, जैसे बुखार, सूजन या दर्द तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें। जानिए इससे जुड़े रिस्क-फैक्टर्स से।
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न्यूमोनेक्टॉमी से जुड़े रिस्क-फैक्टर्स कौन से हैं? (Risk-factors of pneumonectomy)
हर सर्जरी या मेडिकल प्रोसेस की तरह इस सर्जरी से जुड़े कुछ रिस्क-फैक्टर्स भी हैं। इन रिस्क फैक्टर्स के बारे में पहले जानकारी होने से आपको किसी जटिलता से बचने में आसानी हो सकती है। यह रिस्क और साइड इफेक्ट्स इस प्रकार हो सकते हैं:
- न्यूमोनेक्टॉमी के बाद सांस लेने के लिए मशीन की जरूरत पड़ सकती है जैसे वेंटीलेटर (Ventilator) या रेस्पिरेटर (Respirator)
- एनेस्थीसिया से रिएक्शन हो सकता है (Reaction of Anesthesia)
- ब्लीडिंग (Bleeding)
- हार्ट संबंधी समस्याएं जिनमें एरिथमिया (Arrhythmias) और हार्ट अटैक (Heart Attack) शामिल है ।
- पल्मोनरी एम्बोलिस्म (Pulmonary embolism)
- निमोनिया (Pneumonia)
- कट या चीरे में इंफेक्शन (Infection at the Incision)
- ब्रोंकोप्लुरल फिस्टुला (Bronchopleural Fistula)
- ऑर्गन फेलियर जैसे किडनी फेलियर (Organ Failure)
- आसपास के लंग या ब्लड वेसल में इंजरी (Injury to surrounding Lung or Blood Vessels)
- अधिक समय तक सांस लेने में समस्या (Long term Shortness of Breath)
- पोस्टन्यूमोनेक्टॉमी सिंड्रोम (Postpneumonectomy syndrome)
अगर आपके दिमाग में इस सर्जरी से संबंधित कोई भी सवाल या समस्या है, तो डॉक्टर से अवश्य बात करें।

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न्यूमोनेक्टॉमी (Pneumonectomy) एक मेजर सर्जरी है। जो मरीज के जीवन पर गहरा प्रभाव ड़ाल सकती है। लेकिन इस सर्जरी के बाद भी रोगी एक एक्टिव और स्वस्थ जीवन जी सकता है। इस प्रक्रिया से पहले डॉक्टर इस बात को अच्छे से जान लेते हैं कि यह प्रक्रिया रोगी के लिए सही है या नहीं। अगर किसी को इस सर्जरी की सलाह दी जाती है तो इसका अर्थ है कि रोगी हेल्दी है और वो इस प्रक्रिया को आसानी से सहन कर सकता है। लेकिन, इसके बाद रोगी की देखभाल भी बेहद जरूरी है ताकि कुछ दिनों में वो अच्छे से रिकवर हो पाएं और अपना जीवन फिर से पहले की तरह व्यतीत कर सके।