इस पोजिशन के लिए मरीज पेट के बल लेट जाता है और उसके पैर और नितंब (Hips) तकिये पर ऊपर की ओर रहता है। इसके बाद देखभाल करने वाला रीढ़ (Spine) की बाईं और दाईं ओर से पीठ के निचले हिस्से को दबाव देगा Percussion) और कंपन (vibrate) करेगा।
पोजिशन 8
लोअर लोब्स लैटरल बेसल सेग्मेंट का पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Postural Drainage of the Lower Lobes Lateral Basal Segments)
इस पोजिशन के लिए दाहिनि तरफ लेट जाए, नितंब और पैरों को तकिये के ऊपर रखकर पैरों को थोड़ा मोड़कर पीछे की ओर ले जाएं और एक चौथाई आगे की ओर झुकें। ऊपरी पैर को सपोर्ट के लिए तकिये ऊपर टिकाएं। फिर देखभाल करने वाला व्यक्ति बाई पसलियों (Left ribs) के ऊपरी भाग के ऊपरी हिस्से पर दबाव (Percussion) डालेगा और कंपन (vibrate) करेगा। ऐसा ही दाहिनी ओर भी करें।
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पोजिशन 9
लोअर लोब्स सुपीरियर सेग्मेंट का पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Postural Drainage of the Lower Lobes Superior Segments)
इस अंतिम पोजिशन के लिए मरीज सीधा या पेट के बल बिस्तर या टेबल पर लेट सकता है। नितंब (Hips) के नीचे दो तकिया रखें। इसके बाद देखभाल करने वाला रीढ़ के दाएं और बाएं दोनों तरफ कंधे के ब्लेड के निचले हिस्से को टक्कर (Percussion) और कंपन (vibrate) करेगा, रीढ़ की हड्डी का ख्याल रखते हुए।
पोस्ट्युरल ड्रेनेज क्या सचमुच काम करता है? (Does postural drainage work?)

हालांकि, इस संबंध में विस्तृत अध्ययन की जरूरत है। इसलिए अपनी मर्जी से इस तकनीक को अपनाने की बजाय अपने डॉक्टर से सलाह लें वह बताएगा कि आपको कौन सी पोजिशन करनी है या आपके लिए कौन सी दूसरी चेस्ट फिजियोथेरेपी (chest physiotherapy techniques) तकनीक असरदार है।
क्या पोस्ट्युरल ड्रेनेज जोखिम भरा हो सकता है? (Postural drainage risk)
यदि आप भोजन के तुरंत बाद पोस्ट्युरल ड्रेनेज करते हैं तो आपको उल्टी आ सकती है, इसलिए खाना खाने के डेढ़ या दो घंटे बाद ही इसे करें। कुछ पोजिशन से आपको हार्टबर्न (Heartburn) और एसिड रिफ्लक्स (Acid reflux) की भी समस्या हो सकती है।
यदि फेफड़ों में जमा बलगम को बाहर न निकाला जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है, इसलिए यदि आप पोस्ट्युरल ड्रेनेज का निर्णय लेते हैं तो डॉक्टर की सलाह पर अमल करना जरूरी है। आपको अतिरिक्त उपचार की भी जरूरत पड़ सकती है। फेफड़ों में जमा बलगम किसी अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्या का भी संकेत हो सकता है जिसके उपचार की जरूरत है, जैसे क्रॉनिक पलमनरी ऑब्सट्रक्टिव डिसीज (Chronic pulmonary obstructive disease (COPD)।
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कब बुलाएं डॉक्टर को?
जब आपको घरघराहट के साथ खांसी आने लगे या बुखार 100.4°F (38°C) या इससे अधिक हो, तो तुरंत डॉक्टर को फोन करें। साथ ही यदि आपको लगता है कि आपका बलगम भूरे, खून के रंग का है या उसमें से दुर्गंध आ रही है तो इस बारे में डॉक्टर को बताएं। यदि आपको पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Postural drainage) के बाद निम्न लक्षण दिखें तो इमरजेंटी मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ सकती है-
- सांस उखड़ना (shortness of breath)
- सांस लेने में परेशानी (trouble breathing)
- उलझन (confusion)
- त्वचा का नीला पड़ना (skin that turns blue)
- खांसी में खून आना (coughing up blood)
- तेज दर्द (severe pain)
बलगम वाली खांसी के लिए घरेलू उपाय (Home remedies of mucus)
यदि आपको बलगम वाली खांसी (Cough) है तो समय पर सावधानी नहीं बरतने से छाती में कफ यानी बलगम (Mucus) जमा होने लगता है जो आगे चलकर गंभीर परेशानी खड़ी कर सकता है और कोरोना काल में तो खांसी आने पर आपको तुरंत उपचार शुरू करने की जरूरत है। जरूरी नहीं कि हर बार आप डॉक्टर के पास ही जाएं घर पर कुछ आसान घरेलू तरीके (Home remedies) अपनाकर भी आप बलगम वाली खांसी से राहत पा सकते हैं।
- गुनगुने पानी में चुटकीभर सेंधा नमक मिलाकर गरारे करें इससे गले में इंफेक्शन (Throat infection) से आराम मिलता है और खांसी की वजह से जो गले में दर्द होता है उससे भी राहत मिलती है।
- शरीर को हाइड्रेट (Hydrate) रखें। बलगम वाली खांसी से राहत के लिए दिन भर गुनगुना पानी पीते रहें, इसके अलावा अदरक वाली चाय या जूस जैसे तरल पदार्थ भी ले सकते हैं, इससे बलगम ढीला होकर निकल जाएगा।
- गुड़ की तासीर भी गर्म होती है इसलिए खांसी होने पर गुड़ खाना भी फायदेमंद होता है।
- अदरक (Ginger) और तुलसी (Basil) का भी सेवन किया जा सकता है। इससे खांसी और कफ से राहत मिलती है।
- कालीमिर्च का काढ़ा भी फायदेमंद है। इसके लिए दो कप पानी में थोड़ा सा कालीमिर्च मिलाएं और पानी को एक चौथाई होने तक उबालें फिर इसमें शहद मिलाकर सुबह-शाम इसे पी लें।
- नींबू (Lemon) और शहद (Honey) का सेवन भी बलगम से निजात दिलाने में मदद करता है। गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद और दो चम्मच नींबू का रस मिलाकर पीएं। नींबू कफ को पतला करता है और शहद से गले को आराम मिलता है।
- इसके अलावा अदरक, कालीमिर्च, तुलसीपत्ता, लौंग, इलायची, अजवायन आदि को पानी में डालकर काढ़ा बनाएं और इसमें गुड़ या शहद मिलाकर पीएं।
पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Postural drainage) में बलगम को ढीला करके बाहर निकलने में मदद के लिए ग्रैविटी का इस्तेमाल किया जाता है, इसकी प्रभावशीलता को लेकर भले ही थोड़ा विवाद हो, लेकिन यह बहुत जोखिमपूर्ण नहीं है, इसलिए किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह पर आप इसे ट्राई कर सकते हैं।