डॉक्टर कोर बायोप्सी (Core biopsy) की मदद से बीमारी का पता लगाते हैं। अगर डॉक्टर को मास्टोपैथी के बारे में जानकारी मिलती है, तो वो बिना सर्जरी के भी ब्रेस्ट से टिशू को हटाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में लोकल एनिस्थीसिया की जरूरत पड़ती है। हालांकि डायबिटिक मास्टोपैथी सौम्य हो सकती है लेकिन स्तन कैंसर (Breast Cancer) में ऐसा नहीं होता है। अगर आपको लंबे समय से मधुमेह की बीमारी (Diabetic disease) है और आपको स्तनों में गांठ का अनुभव हो रहा है, तो ये डायबिटीज से जुड़ा मामला हो सकता है। आपको इस बारे में अवेयर रहने की जरूरत है ताकि समय पर बीमारी का इलाज कराया जा सके। स्तन कैंसर (Breast Cancer) बहुत अधिक आम है, लेकिन डायबिटिक मास्टोपैथी (Diabetic mastopathy) के ट्रीटमेंट में अनावश्यक प्रक्रियाओं का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। बेहतर होगा कि आप अच्छे डॉक्टर का चुनाव करें और अपनी समस्या का बताएं। डॉक्टर तय करेंगे कि आपको किस तरह से ट्रीटमेंट की जरूरत है।
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अगर आपको ये लग रहा है कि डायबिटिक मास्टोपैथी (Diabetic mastopathy) कैंसर नहीं होती है, तो फिर इसका ट्रीटमेंट नहीं कराना चाहिए, तो आप गलत सोच रहे हैं। ये भले ही कैंसरस न होती हो लेकिन आपको ट्रीटमेंट जरूर कराना चाहिए। सर्जरी की मदद से बढ़े हुए टिशू को हटाने में मदद मिलती है लेकिन करीब 36 प्रतिशत लोगों में कुछ समय बाद ये दोबारा बढ़ जाती है।
यानी सर्जरी के पांच साल बाद हो सकता है कि सेल्स दोबारा ग्रो करना शुरू कर दें। सर्जरी के कारण टिशू में निशान पड़ जाते हैं। दोबार टिशू बढ़ने पर कैंसर के बारे में भी जानकारी नहीं मिल पाती है। डायबिटीज के पेशेंट में ये समस्या हो, ऐसा जरूरी नहीं है। अगर आपको डायबिटीज डायग्नोज हुआ है, तो समय पर ट्रीटमेंट कराने के साथ ही लाइफस्टाइल में बदलाव जरूर करें। आपको खाने में पौष्टिक आहार (Healthy food) शामिल करने के साथ ही शुगर की मात्रा में भी नियंत्रण रखने की जरूरत है। इस बारे में डॉक्टर से भी अधिक जानकारी ले सकते हैं। अगर आपको इंसुलिन इंजेक्शन (Insulin injection) लेने के लिए कहा गया है, तो रोजाना समय पर जरूर लें और अन्य सावधानियां भी रखें।