हमारे शरीर कि क्रियाप्रणाली अगर बिगड़ जाए, तो शरीर में विभिन्न ऑर्गन ठीक प्रकार से काम नहीं कर पाते हैं। डायबिटीज (Diabetes) एक ऐसी बीमारी है, जिसमें ब्लड में ग्लूकोज लेवल बढ़ने लगता है। बॉडी को एनर्जी के लिए खाने से ग्लूकोज भोजन में कार्बोहायड्रेट्स के माध्यम से प्राप्त होता है। भोजन करने के बाद ये ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाते हैं और फिर शरीर एनर्जी के रूप में इसका इस्तेमाल करता है। हम जो भी खाना खाते हैं, वो ब्लड में ग्लूकोज के रूप में रहता है। ग्लूकोज की अधिक मात्रा को ब्लड में कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन हॉर्मोन प्रमुख भूमिका निभाता है। इंसुलिन (Insulin) हॉर्मोन पेन्क्रियाज द्वारा बनाया जाता है। इंसुलिन ग्लूकोज को सेल्स तक पहुंचाने में मदद करता है। जब पैंक्रियाज से पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन की पूर्ति नहीं हो पाती है, तो ऐसी स्थिति में ग्लूकोज की मात्रा खून में अनियंत्रित हो सकती है। इस कारण से शुगर का लेवल ब्लड में कम या ज्यादा हो सकता है। डायबिटीज के कारण शरीर में एक नहीं बल्कि कई बीमारियां जन्म ले सकती हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से किडनी से संबंधित बीमारी एल्बुमिनुरिया और डायबिटीज (Albuminuria and diabetes) के बारे में जानकारी देंगे। पहले जानिए कि आखिर क्या होती है एल्बुमिनुरिया (Albuminuria) की समस्या।
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एल्बुमिनुरिया क्या है (What is Albuminuria)?
एल्बुमिनुरिया गुर्दे की बीमारी की ओर इशारा करती है। जब युरिन में अधिक मात्रा में एल्बुमिन निकलने लगता है, तो एल्बुमिनुरिया की समस्या हो जाती है। एल्बुमिन एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो ब्लड में पाया जाता है। जिस व्यक्ति को किडनी की समस्या नहीं होती है या फिर उसकी किडनी स्वस्थ्य होती है, उनके खून से एल्बुमिन प्रोटीन यूरिन में नहीं जा पाता है। अगर किडनी में किसी प्रकार की समस्या हो जाती है, तो एल्बुमिन यूरिन में पहुंचने लगता है। यूरिन में एल्बुमिन प्रोटीन की मात्रा कम होना बहुत जरूरी है। यूरिन में इस प्रोटीन की अधिक मात्रा किडनी की बीमारी की ओर इशारा करती है। कभी-कभी एल्बुमिनुरिया को प्रोटोनुरिया (Proteinuria) भी कहा जाता है।
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एल्बुमिनुरिया (Albuminuria) की जांच हेल्थ केयर प्रोवाइडर द्वारा किडनी डिजीज डायग्नोसिस (Diagnosing kidney disease), किडनी डिजीज की मॉनिटरिंग आदि के लिए की जाती है। यूरिन एल्बुमिन का लेवल सेम रहने या फिर कम हो जाने से मतलब है कि ट्रीटमेंट काम कर रहा है। यूरिन में एल्बुमिन का लेवल कम होने का मतलब है कि किडनी डिजीज के कारण किडनी फेलियर की संभावन कम हो जाती है। जिन लोगों को डायबिटीज (Diabetes), हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure), हार्ट डिजीज या फिर किडनी फेलियर की फैमिली हिस्ट्री की परेशानी होती है, उनमें किडनी डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज है, तो संभावना बढ़ जाती है कि उसके यूरिन में एल्बुमिन प्रोटीन की मात्रा बढ़ गई हो या फिर एल्बुमिनुरिया के माध्यम से यूरिन में प्रोटीन की अधिक मात्रा के बारे में जानकारी मिली हो। आइए जानते हैं एल्बुमिनुरिया और डायबिटीज (Albuminuria and diabetes) के संबंध के बारे में।
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एल्बुमिनुरिया और डायबिटीज (Albuminuria and diabetes)
टाइप 2 डायबिटीज के पेशेंट में एल्बुमिनुरिया (Albuminuria) पूअर रीनल प्रेडिक्टर के रूप में काम करता है। एल्बुमिनुरिया (Albuminuria) न सिर्फ डायबिटीज के संबंध में जानकारी देता है बल्कि ये हार्ट से संबंधित बीमारियों को भी प्रिडिक्ट करने में अहम भूमिका निभाता है। एल्बुमिनुरिया (Albuminuria) को न सिर्फ डायबिटीज के पेशेंट या हाय ब्लड प्रेशर के पेशेंट्स में मापा जाना चाहिए बल्कि हार्ट संबंधी बीमारियों (Heart diseases) को जाँचने में भी यह अहम भूमिका निभाता है। अगर समय पर एल्बुमिनुरिया (Albuminuria) को मेजर किया जाता है और इसका ट्रीटमेंट किया जाता है, तो यूरिन में एल्बुमिन की मात्रा को कम किया जा सकता है और डायबिटीज के खतरे को भी कम किया जा सकता है।
एल्बुमिनुरिया और डायबिटीज (Albuminuria and diabetes) के बीच संबंध में कई स्टडी हो चुकी हैं। डायबिटीज के कारण किडनी पर बुरा असर पड़ता है। अगर डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति लंबे समय तक मधुमेह का इलाज (Treatment of diabetes) न कराए, तो किडनी के फेल होने का खतरा बढ़ जाता है। प्रत्येक किडनी हजारो नेफ्रोन्स से मिलकर बनी होती है। ये स्ट्रक्चर ब्लड को फिल्टर करने का काम करता है और साथ ही शरीर से वेस्ट को रिमूव करने का काम भी करता है। फ्लूड बैलेंस में भी किडनी का अहम रोल होता है। डायबिटीज के कारण नेफ्रॉन्स मोटे होते जाते हैं। इस कारण से नेफ्रॉन्स लीक करने लगते हैं और साथ ही एल्बुमिन प्रोटीन यूरिन में पास होने लगता है। अगर लंबे समय तक डायबिटीज का ट्रीटमेंट नहीं कराया जाता है, तो एल्बुमिन प्रोटीन की यूरिन में मात्रा बढ़ने लगती है, जो किडनी डिजीज की ओर संकेत देती है।
एल्बुमिनुरिया (Albuminuria ) मेजरमेंट की हेल्प से डायबिटीज के बारे में जानकारी मिल जाती है। अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज है और साथ ही उसे मोटापे की समस्या है, हाय ब्लड प्रेशर रहता है या फिर फैमिली में किडनी डिज़ीज़ या फिर डायबिटीज का पेशेंट है या व्यक्ति स्मोकिंग अधिक मात्रा में करता है, तो उसे डॉक्टर से जरूरी जांच करानी चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से एल्बुमिनुरिया और डायबिटीज (Albuminuria and diabetes) के संबंध में अहम जानकारी मिल गई होगी।
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डायबिटीज की बीमारी को न लें हल्के में!
महिला या पुरुषों में डायबिटीज की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। 30 की उम्र के बाद महिलाओं और पुरुषों को ब्लड शुगर टेस्ट जरूर कराना चाहिए। बदलती जीवनशैली (Life style), अनहेल्दी डायट प्लान (Unhealthy diet plan), नींद नहीं आने की समस्या, बॉडी वेट (Body weight) अधिक होना, जरूरत से ज्यादा मीठा खाना, तनाव या टेंशन (Tension) लेना आदि मधुमेह या फिर डायबिटीज का कारण बन सकते हैं। अगर आपको भी इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो तुरंत जांच कराएं और हेल्दी डायट को फॉलो करें। आप स्ट्रेस को कम करने के लिए एक्सरसाइज के साथ ही योग या मेडिटेशन आदि का सहारा भी ले सकते हैं। डायबिटीज की जांच कराने के साथ ही आपको एक्सरसाइज भी रोजाना करनी चाहिए। एक्सरसाइज करने से भी कई बीमारियां दूर रहती हैं। अगर आपको एल्बुमिनुरिया और डायबिटीज (Albuminuria and diabetes) के बारे में अधिक जानकारी या फिर इन बीमारियों से संबंधित ट्रीटमेंट के बारे में जानना हो, तो आप डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।
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हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता है। इस आर्टिकल में हमने आपको एल्बुमिनुरिया और डायबिटीज (Albuminuria and diabetes) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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