backup og meta

डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज के खतरे को कैसे करें कम?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/02/2022

    डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज के खतरे को कैसे करें कम?

    नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार कोरोनरी आर्टरी का खतरा (Coronary artery disease) डायबिटीज के मरीजों में सबसे ज्यादा डायग्नोस किये जाते हैं। अगर सामान्य शब्दों में समझें तो कोरोनरी आर्टरी डिजीज का अर्थ है दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा। इसलिए आज इस आर्टिकल में डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा (Diabetes and coronary artery disease) एवं इससे जुड़े सभी पहलुओं को समझेंगे, लेकिन सबसे पहले डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज के बारे में संक्षेप पर समझ लेते हैं।

    डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा: क्या है डायबिटीज (Diabetes) की समस्या?

    डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा (Diabetes and coronary artery disease)

    मधुमेह एक ऐसी शारीरिक परेशानी है, जिसमें शरीर में मौजूद ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) इमबैलेंस हो जाता है। जब किसी खाद्य पदार्थों के सेवन के बाद फूड डायजेस्ट होने लगता है उससे मानव शरीर को ग्लूकोज मिलता है, जिससे बॉडी को एनर्जी मिलती है। वहीं अगर शरीर में इन्सुलिन (Insulin) मौजूद ना हो, तो वो अपना काम ठीक तरह से नहीं कर पाती है और ब्लड से सेल्स तक ग्लूकोज नहीं पहुंच पाता है। ऐसी स्थिति होने पर ग्लूकोज ब्लड में इकट्ठा होने लगता है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार ब्लड में ग्लूकोज (Glucose) अगर इकट्ठा होने लगे तो यह शरीर के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। मधुमेह यानी डायबिटीज (Diabetes) 3 अलग-अलग प्रकार के होते हैं। जैसे: टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes), टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) एवं जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes)।

    • डायबिटीज टाइप 1 (Diabetes Type 1)- जब शरीर में इन्सुलिन का उत्पादन करने वाली सेल्स नष्ट हो जाती हैं, तो ऐसी स्थिति टाइप 1 डायबिटीज की ओर इशारा करती है।
    • डायबिटीज टाइप 2 (Diabetes Type 2)- जब शरीर में इन्सुलिन (Insulin) का निर्माण ना हो सके या इन्सुलिन कोशिकाओं के साथ रिएक्ट ना कर सके, तो ऐसी स्थिति टाइप 2 डायबिटीज की ओर इशारा करती है।
    • जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes)- गर्भावस्था के दौरान ब्लड शुगर लेवल बढ़ना जेस्टेशनल डायबिटीज कहलाती है।

    आर्टिकल में आगे बढ़ते हैं और डायबिटीज के बाद कोरोनरी आर्टरी डिजीज को समझने की कोशिश करते हैं।

    डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा: कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Diabetes and coronary artery disease) क्या है?

    डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा (Diabetes and coronary artery disease)

    कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease) को अगर सामान्य शब्दों में समझें, तो हार्ट तक ब्लड सप्लाय ठीक तरह से नहीं हो पाना। ऐसी स्थिति तब होती है जब आर्टरी में किसी भी कारण ब्लॉकेज की समस्या शुरू हो जाए। डायबिटीज के मरीजों में कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा अत्यधिक होता है। इसलिए आर्टिकल में डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा (Diabetes and coronary artery disease) क्यों होता है इस बारे में समझेंगे।

    और पढ़ें : Diuretics in Cardiomyopathy: कार्डियोपैथी में डाइयुरेटिक्स के फायदे तो हैं, लेकिन इसके सीरियस साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं!

    डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा: क्यों हो सकती दिल (Heart) से जुड़ी समस्या?

    डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा यानी हार्ट डिजीज का आपस में गहरा रिश्ता है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार डायबिटीज पेशेंट को हार्ट डिजीज एवं स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है। दरअसल डायबिटीज के मरीजों में हार्ट डिजीज (Heart disease) हमेशा कोरोनरी आर्टरी (Coronary Artery) से ही शुरू होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ब्लड सप्लाय करने वाली धमनियों में कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) जमा होने लगता है, जिससे आर्टरी सख्त होने लगती है और ब्लॉकेज की समस्या शुरू हो जाती है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा (Diabetes and coronary artery disease) सबसे ज्यादा होता है। एक आंकड़े के मुताबिक 70 प्रतिशत डायबिटीज पेशेंट्स में ब्लॉकेज की समस्या देखी जाती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा हमेशा बना ही रहेगा। इसके लिए इसके लक्षणों को ध्यान में रखकर और डॉक्टर से समय-समय पर कंसल्टेशन से निजात पाया जा सकता है।

    और पढ़ें : क्या डायबिटीज पेशेंट के पास है मील रिप्लेसमेंट ऑप्शन?

    डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा (Diabetes and coronary artery disease): कैसे समझें लक्षणों को?

    डायबिटीज की समस्या होने पर निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं। जैसे:

    • बार-बार टॉयलेट (Urine) जाना
    • अत्यधिक प्यास लगना।
    • बहुत भूख लगना
    • हमेशा थका हुआ महसूस करना।
    • देखने (Vision) में परेशानी होना।
    • किसी चोट को ठीक होने में ज्यादा समय लगना।
    • वजन कम (Weight loss) होना या वजन ज्यादा (Weight gain) होना।
    • हाथ या पैरों में झुनझुनी या दर्द महसूस होना।

    अगर आप ऐसे लक्षण महसूस कर रहें हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करें।

    ये हैं डायबिटीज के लक्षण।

    कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:

    • सांस लेने में कठिनाई (Breathing problem) होना।
    • कंधे में दर्द (Shoulder pain) होना।
    • सीने में दर्द (Chest pain) महसूस होना।
    • डायजेशन (Digestion) से जुड़ी समस्या होना।
    • बिना कारण कमजोरी (Weakness) महसूस होना।

    इन लक्षणों को इग्नोर ना करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्टेशन करें।

    और पढ़ें : डायबिटीज में गिलोय एंटी-डायबेटिक की तरह करता है काम, लेकिन बिना डॉक्टर के एडवाइस के सेवन करने से हो सकते हैं साइड इफेक्ट्स!

    डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा (Diabetes and coronary artery disease) ना हो इसलिए क्या करें?

    डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा (Diabetes and coronary artery disease)

    डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा ना हो, इसलिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। जैसे:

  • डायबिटीज पेशेंट्स को हमेशा संतुलित आहार (Balanced diet) का सेवन करना चाहिए। आहार के साथ-साथ योगासन (Yoga) को अपने दिनचर्या में रोजाना शामिल करना चाहिए
  • डायबिटीज के मरीजों को फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity) जरूर करना चाहिए।
  • ब्लड शुगर के मरीजों को डॉक्टर से सलाह लेकर इकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography) और स्ट्रेस टेस्ट (Stress test) समय-समय पर करवाना चाहिए।
  • एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा स्मोकिंग (Smoking) ना करें और थर्ड हैंड स्मोकिंग (Third Hand Smoking) से भी बचें।
  • डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब्ड मेडिसिन (Medication) को समय-समय पर लेना चाहिए।
  • इन 5 बातों को जरूर ध्यान रखना चाहिए, जिससे डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा टल सके।

    देखा जाए, तो पिछले कुछ सालों से डायबिटीज यानी ब्लड शुगर (Blood sugar) की समस्या पूरी दुनिया में एक बड़ी शारीरिक समस्या बनती जा रही है। दुनिया की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा इस बीमारी से पीड़ित है। वहीं अलग-अलग रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार यह भी साफ है कि डायबिटीज की वजह से कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease) का भी खतरा बना रहता है। इसलिए इन गंभीर बीमारियों से खुद को दूर रखें।

    और पढ़ें : Sacubitril+Valsartan: सकुबिट्रिल+वालसार्टन दवाएं: हार्ट फेलियर के इलाज में करती हैं मदद

    अगर आप डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा (Diabetes and coronary artery disease) ना हो, इसलिए इससे जुड़ी किसी तरह की कोई जानकारी पाना चाहते हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं हमारे हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों का जवाब देंगे। हालांकि अगर आप डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Diabetes and coronary artery disease) की समस्या से परेशान हैं, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर से कंसल्ट करें। क्योंकि डॉक्टर ब्लड शुगर (Blood sugar) यानी डायबिटीज की समस्या को ध्यान में रखकर कोरोनरी आर्टरी डिजीज का इलाज शुरू करते हैं।

    डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा (Diabetes and coronary artery disease) ना हो, इसलिए हेल्दी डायट (Healthy diet) फॉलो करना बेहद जरूरी है। डॉक्टर से द्वारा प्रिस्क्राइब्ड ड्रग्स भी समय पर लें और नियमित योगासन करें। योग के फायदे और करने का तरीका जानिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक में।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    Sayali Chaudhari

    फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


    Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/02/2022

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement