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क्या डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग के फायदों के बारे में जानते हैं आप?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/10/2021

    क्या डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग के फायदों के बारे में जानते हैं आप?

    डायबिटीज (Diabetes) एक ऐसी कॉमन कंडिशन है, जो ब्लड शुगर लेवल में असमानता के कारण होती है। आपके शरीर के कामकाज के लिए एनर्जी की जरूरत पड़ती है, यह एनर्जी शरीर को खाने से मिलती है। जब शरीर खाने से यह एनर्जी ठीक ढंग से नहीं ले पाता, तो इसका सीधा असर आपके ब्लड शुगर लेवल पर पड़ता है। यही डायबिटीज का कारण बनता है। यही वजह है कि डायबिटीज की समस्या को सही आहार और सही एक्सरसाइज के बूते सामान्य बनाए रखने की कोशिश की जाती है। जब बात हो एक्सरसाइज की, तो डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग (Cross fit training) का अच्छा तालमेल बैठता है। डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग (Cross fit training and diabetes) एक ऐसा उपाय साबित होता है, जिससे आप डायबिटीज ही नहीं, बल्कि इससे जुड़ी समस्याओं को भी कंट्रोल में ला सकते हैं। तो चलिए जानते हैं डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग से जुड़ी कुछ खास बातें। लेकिन इससे पहले जान लेते हैं कि आखिर डायबिटीज की समस्या आपको कैसे होती है। 

    कैसे होती है डायबिटीज (Diabetes) की दिक्कत? 

    डायबिटीज (Diabetes) की तकलीफ का सीधा असर हमारे इम्यून सिस्टम पर पड़ता है। आमतौर पर जब व्यक्ति खाना खाता है, तो शरीर भोजन से मिले शुगर को तोड़कर उसका इस्तेमाल कोशिका में उर्जा बनाने के लिए करता है। इस कार्य को पूरा करने के लिए पैंक्रियाज को इंसुलिन का उत्पादन करना पड़ता है। इंसुलिन हॉर्मोन शरीर में एनर्जी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन जब आप डायबिटीज की गिरफ्त में होते हैं, तो यही पैंक्रियाज पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन (Insulin) पैदा नहीं कर पाती। इसकी वजह से शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ता चला जाता है। जब शरीर में ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) ज्यादा बढ़ जाता है, तो शरीर के कामकाज पर इसका प्रभाव पड़ता है और शरीर की कार्यप्रणाली कमजोर होती चली जाती है।

    यदि समय पर ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल ना किया जाए, तो डायबिटीज अपने साथ-साथ कई अन्य जटिलताओं को भी साथ ले आता है। आपके साथ ऐसी स्थिति ना हो, इसलिए जरूरत है आपको डायबिटीज (Diabetes) के लक्षण पहचानने की। आइए जानते हैं डायबिटीज के लक्षणों के बारे में। 

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    पहचानें डायबिटीज के लक्षणों को! (Symptoms of Diabetes)

    यह तो सभी जानते हैं कि डायबिटीज के दो प्रमुख प्रकार होते हैं, टाइप वन डायबिटीज (Type 1 Diabetes) और टाइप टू डायबिटीज (Type 2 Diabetes)। टाइप वन डायबिटीज में पैंक्रियाज इंसुलिन बनाना बंद कर देता है, जिसकी वजह से बीमार व्यक्ति को इंसुलिन के इंजेक्शन लेने पड़ते हैं। वहीं टाइप टू डायबिटीज में पैंक्रियाज में इंसुलिन बनाने की रफ्तार कम हो जाती है, जिसकी वजह से ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है। लेकिन जब आपको डायबिटीज की समस्या रहती है, तब आपको यह लक्षण दिखाई दे सकते हैं – 

    • बार-बार प्यास लगना
    • ज्यादा पेशाब होना
    • वजन घटना
    • थकावट महसूस होना।

    ऐसे भी कुछ लक्षण हैं जो व्यक्तिगत रूप से किसी को महसूस हो सकते हैं और किसी को नहीं। जिनमें शामिल हैं:

    • मतली और उलटी।
    • धुंधला दिखाई देना।
    • महिलाओं में बार-बार योनि संक्रमण।
    • मुंह सूखना।
    • जख्म या कट्स भरने में ज्यादा समय लगना।
    • त्वचा में खुजली होना, खासतौर पर कमर और जेनिटल एरिया के आस-पास।

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    जब आपको यह लक्षण दिखाई दें, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जितनी जल्दी आप डॉक्टर से संपर्क करेंगे, उतनी ही जल्दी आप ब्लड शुगर लेवल को सामान्य स्तर पर ला सकते हैं। इसलिए समय रहते डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी माना जाता है। तो अब आप समझे, डायबिटीज (Diabetes) किस तरह आपके लिए चैलेंजिंग साबित हो सकती है? इसलिए आपको जरूरत पड़ती है डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग (Cross fit training) की। आइए जानते हैं कैसे डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग (Cross fit training and diabetes) का इस्तेमाल किया जा सकता है। 

    डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग क्यों की जाती है? (Cross fit training and diabetes)

    डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग (Cross fit training and diabetes)

    डायबिटीज (Diabetes) से ग्रसित व्यक्ति के लिए क्या इंटेंस एक्सरसाइज फायदेमंद मानी जाती है? इसका जवाब ‘हां’ हो सकता है। डॉक्टर की सलाह के बाद डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति 6 सप्ताह के लिए इंटेंस क्रॉसफिट प्रोग्राम (Crossfit program) का हिस्सा बन सकता है। जिससे उसका ब्लड शुगर लेवल बेहतर बन सकता है। डायबिटीज से ग्रसित कुछ लोग जरूरी इंसुलिन नहीं बना पाते, जिसका कारण कई बार इन्सुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance) या गलत आहार माना जाता है। वहीं कुछ लोगों के शरीर में जरूरी इंसुलिन तैयार होता है, लेकिन उनका शरीर इसका इस्तेमाल ठीक ढंग से नहीं कर पाता। यही वजह है कि उन्हें वजन घटाने में तकलीफ होती है और उनका वजन तेजी से बढ़ता चला जाता है। 

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    आसान और रेग्यूलर एक्सरसाइज से डायबिटीज (Diabetes) की समस्या में वजन घटाना थोड़ा मुश्किल साबित हो सकता है, इसलिए डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग (Cross fit training and diabetes) करने की सलाह दी जाती है। आइए जानते हैं डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग (Cross fit training)करने के क्या फायदे हो सकते हैं। डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग के अंतर्गत हाय इंटेंसिटी एरोबिक एक्सरसाइज के साथ-साथ हाय इंटेंसिटी वेटलिफ्टिंग (High intensity weightlifting) और बॉडी वेट एक्सरसाइज का समावेश होता है। इसमें एक सेशन 8 से 20 मिनट का होता है, जिसमें व्यक्ति को अपना पूरा जोर लगाने की कोशिश करनी होती है। इस तरह की हाय इंटेंसिटी एक्सरसाइज के बाद इन्सुलिन सेंसटिविटी को बेहतर होते हुए देखा गया है। यही वजह है कि डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग को महत्व दिया जाता है।

    क्योंकि टाइप टू डायबिटीज (Diabetes) से ग्रसित लोग आसानी से वेट गेन कर लेते हैं, यही वजह है कि डायबिटीज में क्रॉसफिट प्रोग्राम व्यक्ति के लिए बेहतर साबित होता है। आइए अब जानते हैं डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग (Cross fit training and diabetes) के क्या फायदे हो सकते हैं। 

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    डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग के क्या हैं फायदे? (Advantages of Cross fit training and diabetes)

    जैसा कि आपने जाना डायबिटीज (Diabetes) में व्यक्ति आसानी से वेट गेन कर सकता है और वजन डायबिटिक व्यक्ति के लिए एक चिंता का विषय साबित होता है, इसलिए डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग फायदेमंद साबित होती है। डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग (Cross fit training and diabetes) करने से ये फायदे हो सकते हैं – 

    क्रॉसफिट ट्रेनिंग (Cross fit training) करने से शरीर की क्षमता आसानी से बढ़ती है और नियमित रूप से वर्कआउट करने पर आपकी मांसपेशियों में खिंचाव बढ़ता है और मसल गेन करने में मदद मिलती है। डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग एक हाय इंटेंसिटी पावर ट्रेनिंग (High intensity power training) मानी जाती है, जो आपके शरीर की एरोबिक फिटनेस को सुधारने में मदद करती है। डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेंनिंग करने से शरीर में लचीलापन आता है और डायबिटीज (Diabetes) की वजह से नर्व से जुड़ी समस्याओं और मांसपेशियों से जुड़ी समस्याओं का रिस्क भी कम होता है।

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    जैसा कि हम पहले बता चुके हैं डायबिटीज में आसानी से वेट गेन की समस्या देखी जाती है, डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग (Cross fit training and diabetes)की वजह से शरीर के अलग-अलग हिस्सों में गतिविधि होती है, जिससे व्यक्ति तेजी से कैलोरी बर्न कर सकता है और उसे वजन घटाने में मदद मिल सकती है। 

    डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग (Cross fit training) को सही तरह से किया जाना बेहद जरूरी है। हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह के बाद ही इस तरह की ट्रेनिंग ली जानी चाहिए। साथ ही इसे एक्सपर्ट के सामने ही किया जाना चाहिए। इस ट्रेनिंग से पहले आपको वॉर्मअप करने की जरूरत पड़ती है, ऐसा न करने पर आपके शरीर की मांसपेशियों में दिक्कत हो सकती है।

    कई बार इस हाय इंटेंसिटी ट्रेनिंग के दौरान व्यक्ति को चोट लग सकती है, जिसके बाद आपको कुछ समय खुद को आराम देने की जरूरत पड़ सकती है। डायबिटीज (Diabetes) में लगने वाले घाव आसानी से ठीक नहीं होते, ऐसी स्थिति में आपको आराम करके अपनी ट्रेनिंग दोबारा शुरू करनी चाहिए। इन बातों का ध्यान रखकर आप डायबिटीज में क्रॉसफिट ट्रेनिंग (Cross fit training and diabetes) ले सकते हैं। 

    डिस्क्लेमर

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